06 सितम्बर बुधवार का राशिफल एवम पंचांग

मेष:आज का दिन बढ़िया रहेगा। मेहनत ज्यादा होगी। लाभ के अवसर बढ़ेंगे। समस्याएं कम होंगी। मान-सम्मान मिलेगा। मित्र व रिश्तेदारों से संबंध सुधरेंगे। बुद्धि का प्रयोग सही ढंग से करें। व्यापार – व्यवसाय व नौकरी से अनुकूलता बनी रहेगी। नए मित्र बनेंगे। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। सत्संग का लाभ मिलेगा। आलस्य रहेगा लेकिन स्वास्थ्य सुधार होगा।
वृष:आज का दिन खुशनुमा रहेगा । भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। आत्मसम्मान बना रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आय में वृद्धि होगी। नए मित्र बनेंगे। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। जीवन सुखमय व्यतीत होगा। प्रसन्नता बनी रहेगी। चोट व रोग से बचें। बाहर का खाना खाने से परहेज करें।
मिथुन:आज का दिन सही रहेगा । बेवजह किसी से विवाद होने से बचें । कोई शुभ खबर मिल सकती है। स्वास्थ्य का पाया आपके साथ रहेगा। काम में मन लगेगा। मन में सकारात्मक संवेदनशीलता अधिक रहेगी। आय में निश्चितता रहेगी। भागदौड़ रह सकती है। जोखिम न उठाएं। अकारण क्रोध व उत्तेजना से बचें।
कर्क:आज का दिन बेहतरीन रहेगा । प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कामों की रुकावट दूर होगी। स्थिति मनोनुकूल रहेगी। कारोबार में लाभ वृद्धि होगी। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। घर-परिवार की चिंता बनी रहेगी। निवेश में लाभ होगा। घर में सभी सदस्य आनंदपूर्वक रहेंगे। दूसरों के काम में हस्तक्षेप न करें।
सिंह:आज का दिन थौड़ा व्यस्त रहेगा । मेहनत का पूरा-पूरा फल मिलेगा। काम में उत्साह व प्रसन्नता से ध्यान दे पाएंगे। वाद-विवाद से अपना पक्ष मजबूत कर पाएंगे। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में प्रभाव क्षेत्र बढ़ेगा। निवेश में जल्दबाजी न करें।
कन्या:आज का दिन सही रहेगा । नई योजना बनेगी। कार्यस्‍थल पर सुधार व परिवर्तन हो सकता है। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेंगे। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। सुख के साधनों की प्राप्ति की कोशिशें कामयाब रहेंगी। नए काम हाथ में आएंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। स्वास्‍थ्य का ध्यान रखें।
तुला:आज का दिन सही रहेगा । मन धार्मिक अनुष्ठान के प्रति आकर्षित होगा। धन लाभ के योग है। सामाजिक दायरा बढेगा। स्वयं व बच्चों के लिए समय निकाले । गुस्से पर नियन्त्रण रखें। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। कार्यालय में सहयोगियों से लाभ मिलेगा। स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
वृश्चिक:आज का दिन मनोनुकूल रहेगा । भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति निर्मित होगी। कोई बड़ा सौदा बड़ा लाभ दे सकता है। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। किसी प्रभावशाली व्यक्ति का सहयोग प्राप्त होगा। जल्दबाजी न करें।
धनु:आज का दिन सामान्य रहेगा । रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। व्यापार-व्यापार अच्‍छा चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। प्रसन्नता तथा उत्साह में वृद्धि होगी। जोखिम न लें। प्रमाद से बचें।
मकर:आज का दिन उत्तम रहेगा । विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। कारोबार से लाभ होगा। उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। घर के सभी सदस्य प्रसन्न व संतुष्ट रहेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। संगीत आदि में दिलचस्पी बढ़ेगी।
कुंभ:आज का दिन बेहतर रहेगा । व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रुका हुआ धन प्राप्त हो सकता है। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। नौकरी में अमन-चैन रहेगा। अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। शेयर-मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से मनोनुकूल लाभ होगा। विवेक का प्रयोग करें। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। प्रसन्नता रहेगी।
मीन:आज का दिन सामान्य रहेगा । रोजगार बढेगा । मान सम्मान को ठेस पहुंच सकती है। व्यवसाय ठीक चलेगा और लाभ होगा लेकिन फालतू खर्च करने से परहेज करें । लाभ के अन्य अवसर मिल सकते हैं। धर्म – कर्म में रूचि बढ़ेगी । शुभ समाचार मिल सकता है । दुष्टजन से दूर ही रहे । स्वास्थ्य लाभ वृद्धि होगी।
🌞ll ~ वैदिक पंचांग ~ ll🌞
🌤️ दिनांक – 06 सितम्बर 2023
🌤️ दिन – बुधवार
🌤️ विक्रम संवत – 2080
🌤️ शक संवत -1945
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – शरद ॠतु
🌤️ मास – भाद्रपद
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – सप्तमी शाम 03:36 तक तत्पश्चात अष्टमी
🌤️ नक्षत्र – कृत्तिका सुबह 09:20 तक तत्पश्चात रोहिणी
🌤️ योग – हर्षण रात्रि 10:26 तक तत्पश्चात वज्र
🌤️ राहुकाल – दोपहर 12:37 से दोपहर 02:10 तक
🌞 सूर्योदय-05:21
🌤️ सूर्यास्त- 06:19
👉 दिशाशूल- उत्तर दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण – शीतला सप्तमी,श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (स्मार्त),बुधवारी अष्टमी (दोपहर 03:37 से 07 सितम्बर सूर्योदय तक)
💥 विशेष- सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

*👉🏻 *पुराणो के अनुसार जन्माष्टमी पर इन मंत्रो का जप*
जरूर करे कृष्ण भगवान की पूर्ण कृपा मिलेगी | कब करे व्रत 06 या 07 सितम्बर को⤵️

🌷 श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी 🌷
🙏🏻 ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार
भारतवर्ष में रहने वाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है, वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है। इसमें संशय नहीं है। वह दीर्घकाल तक वैकुण्ठलोक में आनन्द भोगता है। फिर उत्तम योनि में जन्म लेने पर उसे भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न हो जाती है-यह निश्चित है।
🙏🏻 अग्निपुराण के अनुसार
इस तिथिको उपवास करने से मनुष्य सात जन्मों के किये हुए पापों से मुक्त हो जाता हैं | अतएव भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी को उपवास रखकर भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करना चाहिये | यह भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाला हैं।
🙏🏻 भविष्यपुराण के अनुसार
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत जो मनुष्य नहीं करता, वह क्रूर राक्षस होता है।
🙏🏻 स्कन्दपुराण के अनुसार
जो व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी व्रत नहीं करता, वह जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है।

🌷 श्रीकृष्ण-जन्माष्टमीव्रत की कथा एवं विधि 🌷
06 सितम्बर 2023 बुधवार को जन्माष्टमी (स्मार्त) 07 सितम्बर 2023 गुरुवार को जन्माष्टमी (भागवत)
🙏 भविष्यपुराण उत्तरपर्व अध्याय – २४
🙏 राजा युधिष्ठिर ने कहा – अच्युत ! आप विस्तार से (अपने जन्म-दिन) जन्माष्टमी व्रत का विधान बतलाने की कृपा करें |
🙏 भगवान् श्रीकृष्ण बोले – राजन ! जब मथुरा में कंस मारा गया, उस समय माता देवकी मुझे अपनी गोद में लेकर रोने लगीं | पिता वसुदेवजी भी मुझे तथा बलदेवजी आलिंगन कर गद्गदवाणी से कहने लगे – ‘आज मेरा जन्म सफल हुआ, जो मैं अपने दोनों पुत्रों को कुशल से देख रहा हूँ | सौभाग्य से आज हम सभी एकत्र मिल रहे हैं |’ हमारे माता-पिता को अति हर्षित देखकर बहुत से लोग वहाँ एकत्र हुए और मुझसे कहने लगे – ‘भगवन ! आपने बहुत बड़ा काम किया, जो इस दुष्ट कंसको मारा | हम सभी इससे बहुत पीड़ित थे | आप कृपाकर यह बतलाये कि आप माता देवकी के गर्भ से कब आविर्भूत हुए थे ? हम सब उस दिन महोत्सव मनाया करेंगे | आपको बार-बार नमस्कार है, हम सब आपकी शरण में हैं | आप हम पर प्रसन्न होइये | उस समय पिता वसुदेवजी ने भी मुझसे कहा था कि अपना जन्मदिन इन्हें बता दो |’

🙏 तब मैंने मथुरानिवासी जनों को जन्माष्टमी व्रत का रहस्य बतलाया और कहा – ‘पुरवासियों ! आपलोग मेरे जन्म दिन को विश्व में जन्माष्टमी के नाम से प्रसारित करें | प्रत्येक धार्मिक व्यक्ति को जन्माष्टमी का व्रत अवश्य करना चाहिये | जिस समय सिंह राशि पर सूर्य और वृषराशिपर चन्द्रमा था, उस भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र में मेरा जन्म हुआ | वसुदेवजी के द्वारा माता देवकी के गर्भ से मैंने जन्म लिया | यह दिन संसार में जन्माष्टमी नाम से विख्यात होगा | प्रथम यह व्रत मथुरा में प्रसिद्ध हुआ और बाद में सभी लोकों में इसकी प्रसिद्धी हो गयी | इस व्रत के करने से संसार में शान्ति होगी, सुख प्राप्त होगा और प्राणिवर्ग रोगरहित होगा |’
🙏 महाराज युधिष्ठिर ने कहा – भगवन ! अब आप इस व्रत का विधान बतलाये, जिसके करने से आप प्रसन्न होते हैं |
🙏 भगवान श्रीकृष्ण बोले – महाराज ! इस एक ही व्रत के कर लेने से सात जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं | व्रत के पहले दिन दंतधावन आदि करके व्रत का नियम ग्रहण करें | व्रत के दिन मध्यान्ह में स्नान कर माता भगवती देवकी का एक सूतिका गृह बनाये | उसे पद्मरागमणि और वनमाला आदिसे सुशोभित करें | गोकुल की भांति गोप, गोपी, घंटा, मृदंग, शंख और मांगल्य-कलश आदिसे समन्वित तथा अलंकृत सुतिका-गृह के द्वारपर रक्षा के लिए खणग, कृष्ण छाग, मुशल आदि रखे | दीवालों पर स्वस्तिक आदि मांगलिक चिन्ह बना दें | षष्ठीदेवी की भी नैवेद्य आदि के साथ स्थापना करें | इस प्रकार यथाशक्ति उस सूतिकागृह को विभूषितकर बीच में पर्यंक के ऊपर मुझसहित अर्धसुप्तावस्थावाली, तपस्विनी माता देवकी की प्रतिमा स्थापित करें | प्रतिमाएँ आठ प्रकार की होती हैं –स्वर्ण, चाँदी, ताम्र, पीतल, मृत्तिका, काष्ठ की मणिमयी तथा चित्रमयी | इनमे से किसी भी वस्तुकी सर्वलक्षणसम्पन्न प्रतिमा बनाकर स्थापित करें | माता देवकी का स्तनपान करती हुई बालस्वरूप मेरी प्रतिमा उनके समीप पलंग के ऊपर स्थापित करें | एक कन्या के साथ माता यशोदा की प्रतिमा भी वहां स्थापित की जाय | सूतिका-मंडप के ऊपर की भित्त्तियों में देवता, ग्रह, नाग तथा विद्याधर आदि की मूर्तियाँ हाथोसे पुष्प-वर्षा करते हुए बनाये | वसुदेवजी को सूतिकागृह के बाहर खणग और ढाल धारण किये चित्रित करना चाहिये | वसुदेवजी महर्षि कश्यप के अवतार हैं और देवकी माता अदितिकी | बलदेवजी शेषनाग के अवतार हैं, नन्दबाबा दक्षप्रजापति के, यशोदा दिति की और गर्गमुनि ब्रह्माजी के अवतार हैं | कंस कालनेमिका अवतार है | कंस के पहरेदारों को सूतिकागृह के आस-पास निद्रावस्था में चित्रित करना चाहिये | गौ, हाथी आदि तथा नाचती-गाती हुई अप्सराओं और गन्धर्वो की प्रतिमा भी बनाये | एक ओर कालिया नाग को यमुना के ह्रदय में स्थापित करें |
🙏 इसप्रकार अत्यंत रमणीय नवसुतिका-गृह में देवी देवकी की स्थापनकर भक्ति से गंध, पुष्प, अक्षत, धूप, नारियल, दाडिम, ककड़ी, बीजपुर, सुपारी, नारंगी तथा पनस आदि जो फल उस देशमें उससमय प्राप्त हों, उन सबसे पूजनकर माता देवकी की इसप्रकार प्रार्थना करे –
🌷 गायभ्दि: किन्नराध्यै: सततपरिवृता वेणुवीणानीनादै भृंगारादर्शकुम्भप्रमरकृतकरै: सेव्यमाना मुनीन्द्रै: |
पर्यन्गे स्वास्तृते या मुदित्ततरमना: पुत्रिणी सम्यगास्ते सा देवी देवमाता जयति सुवदना देवकी कान्तरूपा ||

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