तीन दिवसीय मिथिला महोत्सव का आगाज,देर शाम बहती रही साहित्यिक रसधार

रांची: झारखंड मिथिला मंच के द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय मिथिला महोत्सव की शुरुआत शुक्रवार को हुआ।मिथिला महोत्सव के पहले दिन मंच के अध्यक्ष मनोज मिश्र के नेतृत्व में बड़ी संख्या में मैथिलों ने पारंपरिक भेष-भूषा धोती कुर्ता पाग पहनकर पदयात्रा करते हुए मेनरोड पहुंचे जहां बाबा विद्यापति की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित की. इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान बिहार के विधान पार्षद डॉ संजय पासवान भी उपस्थित थे. तत्पश्चात अरगोड़ा स्थित लेक गार्डेन में काव्य संध्या का आयोजन किया गया. काव्य संध्या का उदघाटन राज्यसभा सांसद महुआ माजी और विधायक सरयू राय ने किया. इस दौरान सभी अतिथियों के द्वारा बाबा विद्यापति के चित्र पर पुष्पांजलि किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत मंच के अध्यक्ष मनोज मिश्र के संबोधन से शुरू हुआ. मनोज मिश्र ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि मैथिली को झारखंड में द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिलाने में तथा समय-समय पर सदन में मैथिली के संबंध में आवाज सरयू राय उठाते रहे हैं. स्पष्ट वक्ता के रूप में अनुभवी राजनेता के रूप में उनके योगदान की चर्चा करते हुए मनोज मिश्र ने उनका स्वागत किया.साथ ही डॉ. महुआ माजी का साहित्य के प्रति समर्पण तथा मैथिली के प्रति उनका लगाव का उल्लेख करते हुए मनोज मिश्र ने कहा कि संपूर्ण मैथिल समाज इनका अभिनंदन करता है. इस मौके पर सांसद महुआ माजी ने कहा कि मैथिली मीठी भाषा है और इसकी साहित्यिक धारा बेहतरीन है. उन्होंने कहां की मैं संपूर्ण देश में होने वाले पुस्तक मेला में सम्मिलित होती रही हूं और मैंने पाया कि कोलकाता के पुस्तक मेला में सबसे अधिक भीड़ होती है इसका कारण है कि बंगला के साहित्यकार सबसे अधिक पुस्तक की रचना बच्चों के लिए करते हैं जिससे बचपन से ही उन्हें साहित्य संस्कृति के प्रति लगाव उत्पन्न हो जाता है. मैथिली के तमाम कवि से उन्होंने आग्रह किया कि वह मैथिली में बच्चों के लिए पुस्तक लिखें. मैथिली एवं मंगला के पारस्परिक भाषाई संबंध पर भी उन्होंने व्यापक चर्चा की.वहीं विधायक सरयू राय ने मिथिला महोत्सव आयोजन की सफलता की कामना करते हुए मिथिला की प्राचीन परंपरा की सराहना की. उन्होंने मिथिला भाषा की विशेषता एवं अन्य सभी आधुनिक भाषा के कवि पर इसके प्रभाव को रेखांकित किया. सरयू राय ने मिथिला के भू-भाग उत्तर में नेपाल दक्षिण में गंगा पुरम में महानदी एवं पश्चिम में गंदगी के बीच अवस्थित क्षेत्र की महत्ता एवं उस क्षेत्र के विद्वानों की चर्चा की. कवि सम्मेलन का आरंभ फूलचंद्र झा प्रवीण की गीत चांद हमर अहि प्राण उगु आउ से हुआ जिसे काफी सराहा गया.मंच संचालन करते हुए डॉ कृष्ण मोहन झा ने मैथिली और मिथिला की साहित्यिक धारा के बारे में जानकारी देते रहे.काव्य संध्या में कमलेश प्रेमी जगदीश चंद्र ठाकुर इतना ध्यान काव्य पाठ किया इसके अतिरिक्त कई स्थानीय कवियों ने अपनी साहित्यिक रचना प्रस्तुत की. मिथिला महोत्सव में मैथिली पुस्तक बिक्री स्टॉल सहित कई स्टॉल लगाया गया है. कार्यक्रम को सफल बनाने में मंच के समन्वयक संतोष झा, महासचिव मिथिलेश कुमार मिश्र, श्रीपाल झा,संजीत कुमार झा,सर्वजीत कुमार चौधरी एवं अन्य लोग सक्रिय दिखे.मिथिला महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को हरमू मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा जिसमें ध्रुपद गायक हरिनाथ झा,रंजना झा,पुनम मिश्रा आदि कलाकार प्रस्तुति देंगे.

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