झारखंड में राजनीतिक उठापटक का साइड इफेक्टः दो आइएएस दंपत्ति सहित छह आइएएस का राज्य से मोह भंग, किया दिल्ली का रूख

केके सोन, अराधना, राहुल शर्मा, हिमानी पांडेय, अजय कुमार सिंह और एम मुत्थुकुमार ने सेंट्रल डेप्यूटेशन में जाने का दिया आवेदन
रांचीः झारखंड में राजनीतिक उठा-पटक का असर ब्यूरोक्रेशी में भी पड़ा है। केंद्रीय एजेंसियों द्वारा किए जा रहे जांच के कारण फाइलों की रफ्तार भी धीमी हो गई है। सूत्रों के अनुसार अफसर भी फाइल पर हाथ लगाने से किनारा कर रहे हैं। वहीं कुछ ब्यूरोक्रेट्स का कहना है कि झारखंड में काम करने के एवज में एक्सपोजर नहीं मिल पाता है। छोटी-छोटी योजनाओं में ही सिमट कर रह जाते हैं। ऐसे में झारखंड कैडर के टॉप ऑर्डर के छह आइएएस ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ती में जाने का मन बना लिया है। इनमें पंचायती राज सचिव राहुल शर्मा, खाद्य उपभोक्चा मामले की सचिव हिमाणी पांडेय, परिवहन सचिव केके सोन, वाणिज्यकर सचिव अराधना पटनायक, वित्त विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह और ए मुत्थु कुमार शामिल हैं। इन सभी ने सरकार को केंद्रीय प्रतिनियुक्ती में जाने का आवेदन भी दे दिया है। जानकारी के अनुसार राहुल शर्मा और ए मुत्थु कुमार को सरकार ने अनुमति भी दे दी है।
झारखंड में पॉलिटिकल मेच्योरिटी भी नहीं
झारखंड कैडर के कई ब्यूरोक्रेट्स खुद को असहज महसूस कर रहे हैं. राज्य के एक वरिष्ठ आईएएस ने अपनी दिल की बात भी कही है। फिलहाल वे भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति‍ पर हैं. नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि सरकार का आना-जाना तो लगा रहता है, लेकिन हर बार सिस्टम में बदलाव से परफॉरमेंस पर असर पड़ता है. झारखंड में काम करने के एवज में एक्सपोजर भी नहीं मिल पाता. हर बेहतर काम में कोई न कोई पेंच आ ही जाता है. ऐसे में सेंट्रल डेप्यूटेशन पर जाना ही अच्छा रहेगा. झारखंड में सुझावों पर भी अमल नहीं होता. गंभीरता से बातों को सुना नहीं जाता है. जल्दी-जल्दी होने वाली ट्रांसफर पोस्टिंग से भी परफॉरमेंस पर असर पड़ता है. तबादले के कारण नये कामकाज को समझने में एक से डेढ़ माह का समय लगता है. संबंधित विभाग की नियमावली की जानकारी लेनी पड़ती है. अगर कोई महत्वपूर्ण केस चल रहा है तो उसे समझना पड़ता है.
आईएएस लॉबी भी है एक बड़ा फैक्टर
वरिष्ठ आईएएस का यह भी कहना है कि झारखंड कैडर में आईएएस लॉबी भी एक बड़ा फैक्टर है. अगर कोई आईएएस बेहतर काम कर रहा है तो सरकार से मिलकर एक नया रूप देने की कोशिश की जाती है. इस कारण परफॉरमेंस करने वाले अफसर फाइल करने से डरते हैं. अब तो नई परिपाटी यह भी चल गया है कि छोटी-छोटी बातों में आईएएस अफसरों के बीच रिएक्शन ज्यादा होता है. यही कारण है कि कई आईएएस अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर ही जाना उचित समझते हैं।. इसकी वजह यह है कि परफॉरमेंस करने वाले अफसरों को छोटे-छोटे प्रोजेक्ट में डाल दिया जाता है, जिसके कारण एक्सपोजर नहीं मिल पाता.
14 आइएएस है सेंट्रल डेप्यूटेशन में
झारखंड कैडर के फिलहाल 14 आईएएस सेंट्रल डेप्यूटेशन में हैं। इनमें राजीव गौबा, एनएन सिन्हा, आईएस चतुर्वेदी, अलका तिवारी, एमएस भाटिया, एसकेजी रहाटे, शैलेश कुमार सिंह, निधि खरे, सुरेंद्र सिंह मीणा, सत्येंद्र सिंह, सुनील वर्णवाल, हर्ष मंगला, राय महिमापत रे और शांतनु अग्रहरि शामिल हैं। बताते चलें कि राज्य में आइएएस अफसरों का इंटेक 224 का है इसमें 145 आइएएस ही कार्यरत हैं। इस हिसाब से 79 आइएएस अफसरों की कमी है।

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