रहस्यमय बरमूडा त्रिभुज का हनुमान जी के साथ संबंध?

अटलांटिक महासागर में मियामी फ्लोरिडा, सैन जुआन और बर्म्युडा के बीच के त्रिकोण को बरमूडा त्रिभुज कहा जाता है। इतिहास में इसने हजारों हवाई जहाज, समुद्री जहाज और आदमियों को निगला है। जो भी वस्तु इस बरमूडा त्रिभुज के पास जाता है, उसका नामोनिशान तक नहीं मिलता। उसके कुछ भी सबूत तक नहीं मिलते। वहीं, माना जाता है कि इस रहस्यमय बरमूडा त्रिभुज का संबंध भगवान हनुमान जी के साथ है।
पुराणों के अनुसार, रावण ने भगवान शंकर की तपस्या करके अनेक अद्भुत शक्ति वाले मणि को प्राप्त किया था। उस मणि के कारण कोई भी रावण को मार नही सकता था और वो अमर हो गया था।
राम-रावण युद्ध होने से पहले भगवान शंकर ने फैसला किया कि वो किसी तरह रावण की शक्तिशाली मणि को हासिल करेंगे। इसके लिए वे वेश बदल कर लंका में रावण के पास भिक्षा मागने के लिये पहुंचे। वहां उस समय रावण की पत्नी मंदोदरी थी। भिक्षा में भगवान शंकर ने मंदोदरी से वह शक्तिशाली मणि मांगी। इसपर मंदोदरी ने बिना कुछ सोचे समझे वो मणि भगवान शंकर को दे दिया। उसके बाद ही भगवान राम रावण का वध कर सके।
जो मणि भगवान शंकर ने रावण से वापस ले ली, उसका तेज और शक्ति इतना भयंकर था कि वो अपने आसपास आने वाली हर एक वस्तु को खींच लेती थी। इसी कारण भगवान शंकर ने वो मणि छुपाने के लिये भगवान हनुमान जी को दे दी।
हनुमान जी ने उस मणि को इस बरमूडा त्रिभुज में छिपा दिया। ऊस मणि की शक्ति की वजह से ही बरमूडा त्रिभुज के आसपास आने वाली हर एक वस्तु खिंचकर समुद्र के अंदर चली जाती है।

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