गणादेश खासः बिजली वितरण निगम ने उधार लेकर आयकर विभाग को चुकाया 15 करोड़

लेकिन टीडीएस घोटाले का पैसा अब तक वितरण निगम के खाते में नहीं आया
झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम पिछले 12 साल से खोज रहा है 15 करोड़ रुपए, अब तक खाते में हुए ही नहीं जमा
वितरण निगम के पूर्व एमडी राहुल पुरवार से चार साल तक आरोपी अफसर की दबाए रखी फाइल
अब होगी निगरानी जांच, सरकार ने जताई है सहमति, आत की तारीख तक खाते में नहीं आई है 15 करोड़ की राशि
रांचीः झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम घोटलों का सरताज बनते जा रहा है। कभी आरएपीडीआपी तो कभी ग्रामीण विद्युतीकरण में घोटाला। तो कभी मीटर व ट्रांसफरमर खरीद का घोटला। अब तक करोड़ों रूपए का घोटाला बिजली वितरण निगम में सामने आ चुका है। अब बिजली वितरण निगम में टीडीएस घोटाले की फाइल खुल गई है। सरकार ने इस मसले की जांच निगरानी से कराए जाने पर सहमति जताई है। बिजली वितरण निगम में 15 करोड़ रुपए का टीडीएस घोटाला हुआ। इस समय अफसरों ने दोषियों पर कार्रवाई नहीं की और न ही राशि की वसूली हो पाई। इस मामले में पूर्व आइएएस सह सीएमडी आरके श्रीवास्तव ने जांच का आदेश भी दिया। यह आदेश नौ फरवरी 1917 को दिया गया था। जारी आदेश में कहा गया था कि आईजी विजिलेंस की टीम बनाकर जांच की जाए। लेकिन तत्कालीन वितरण निगम के एमडी राहुल पुरवार ने तीन साल तक कोई कार्रवाई नहीं की। मामला विधानसभा में भी उठा। ऊर्जा विभाग ने भी माना था कि टीडीएस घोटाला हुआ है।
आरोपी अफसर अब बन गए हैं जीएम फाइनांश
टीडीएस घोटाले में आरोपी उमेश प्रसाद पर कार्रवाई के बदले उन्हें वितरण निगम ने प्रमोशन देकर उपकृत भी किया। फिलहाल वे वितरण निगम में जीएम फाइनांश के पद पर कार्यरत हैं। यहां तक कि एजी ने भी उमेश कुमार के प्रमोशन पर ऑडिट रिपोर्ट में कई गंभीर आरोप लगाया है। बताते चलें कि झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण के लिए आठ निजी कंपनियों को विद्युतीकरण का काम सौंपा गया था. उस काम के एवज में जब आखिरी भुगतान विभाग की तरफ से कंपनियों को कराया गया तो बिना टीडीएस कोड के ही विभाग ने इन कंपनियों को 15 करोड़ का टीडीएस सर्टिफिकेट दे दिया गया।
कर्जा लेकर भरा गया इनकम टैक्स
बिजली वितरण निगम ने 15 करोड़ रुपए कर्ज लेकर इनकम टैक्स भरा। इसकी वजह यह रही कि इनकम टैक्स ने जब इस मामले पर सवाल करना शुरू किया तो कर्ज के पैसे से इनकम टैक्स को विभाग ने टीडीएस दिया. इनकम टैक्स को तो अपना टीडीएस मिल गया. लेकिन विभाग को 15 करोड़ का घाटा हुआ. खास बात यह भी है कि जीएम फाइनांश उमेश कुमार पर कई आरोप लगे हैं लेकिन उमेश कुमार हमेशा बिजली विभाग में क्रीम पद पर ही पदस्थापित रहते हैं।

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