क्या है खूंटी की जनता का मिजाज,बदलाव या बरकरार….

खूंटी: खूंटी लोकसभा सीट पर पिछले कई वर्षों से लगातार भाजपा का झंडा लहरा रहा है। 2004 में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा ने यहां से जीत दर्ज की, लेकिन 2009, 2014 और फिर 2019 में यह सीट फिर से भाजपा के खाते में चली गई। पद्मश्री कड़िया मुंडा और उसके बाद अर्जुन मुंडा यहां से नेतृत्व कर रहे हैं। लेकिन इसबार यहां का माहौल बदला बदला जैसा लग रहा है। जनता के मन में कई तरह की बातें उत्पन्न होने लगी है। इस बार के चुनावी मैदान में सात प्रत्याशी मैदान में हैं। हालांकि नाम वापसी की तिथि 29अप्रैल है। सात प्रत्याशियों में एक दो प्रत्याशी अपना नाम वापस ले भी सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो इसके बाद मैदान में पांच खिलाड़ी रह जायेंगे। इसमें मुख्य मुकाबला इंडी गठबंधन के कालीचरण मुंडा और एनडीए के अर्जुन मुंडा के बीच होने की संभावना है। वहीं झापा से अर्पणा हंस,पत्थलगड़ी की मास्टर माइंड भारत आदिवासी पार्टी से बबिता कच्छप और जेएमएम नेता बसंत लोंगा को किसी से कम आका नहीं जा सकता है।
चुनावी खेल का मजा एक मई के बाद आयेगा। इस समय मौसम के साथ साथ सियासी पारा भी चरम पर होगा।
सभी पार्टी के प्रत्याशी जनता को अपने पक्ष में करने के लिए द्वारे द्वारे जायेंगे।
चुनाव से पहले खूंटी की जनता का मिजाज जानने का प्रयास किया गया। शहरी क्षेत्र के अधिकांश ग्रामीण विकास के मुद्दे पर वोट करने की बातें कही। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग प्रत्याशी को नहीं मोदी को जानते हैं। हर महीने मिल रहे सरकारी अनाज से ग्रामीण अपने आप में खुश नजर आए। रोजगार के मुद्दे पर युवा खुश नहीं दिखे,उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है। नौकरी के लिए ग्रामीण दूसरे राज्य पलायन को मजबूत हैं। लक्खो मुंडा, सोमा मुंडा और बिरसा पाहन ने कहा कि अपने राज्य या जिले में रोजगार मिल जाता तो हमारे भाई और चाचा को मुंबई जाना नहीं पड़ता। रोजगार की दिशा में यहां पर कोई काम नहीं हुआ है।
ग्रामीणों से बात करने पर कुछ ने बदलाव की बात कही तो कुछ ने बरकरार रखने की। खूंटी लोकसभा सीट से 2024 के लोकसभा चुनाव में जनता का आशीर्वाद किसे मिलता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *