गणादेश एक्सक्लूसिवः आरोपों और विवादों से रहा है आइएएस अरविंद कुमार का गहरा नाता,बिहार में चल रहा निगरानी जांच, होना था 2016 में रिटायरमेंट, 2010 में ही वीआरएस लेकर निकल पड़े

नीति आयोग में हुई थी एक साल के लिए अनुबंध पर नियुक्त, सात महीने में ही दिखा दिया बाहर का रास्ता
फिक्की में एक साल के लिए बनाए गए डीजी, सात महीने में ही दिखा दिया बाहर का रास्ता
रांचीः बिहार कैडर के आइएएस अफसर सह झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अरविंद कुमार का विवादों से गहरा नाता रहा है। बिहार में उनके खिलाफ निगरानी जांच चल रही है। निगरानी जांच के कारण उन्होंने अपने रिटायरमेंट से चार साल पहले ही वीआरएस ले लिया। उनकी रिटायरमेंट 2016 में होनी थी, लेकिन अरविंद कुमार ने 2010 में ही वीआरएस ले लियाष। इसके बाद वे अमेरिका चले गए। 2016 में वे अमेरिका से वापस लौटे तो वे एक साल के लिए अनुबंध पर नीति आयोग में अपनी सेवा देने लगे। लेकिन गड़बड़ी के कारण नीति आयोग ने अरविंद कुमार को सात महीने के अंदर ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद वे फिक्की में एक साल के लिए डीजी बनाए गए। लेकिन यहां भी उन्होंने वित्तीय गड़बड़ी की। यहां भी वे सात महीने ही टिक पाए। झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग का अध्यक्ष बनने के बाद आयोग में चार गाड़ियों के रहते हुए किराए पर इनोवा गाड़ी ली। हर महीने 45 हजार रुपए किराया अब तक दिया जा रहा है। अरविंद कुमार से पहले आयोग में किसी काम के लिए गाड़ी की जरूरत होती थी तो सिर्फ काम के दिन के लिए गाड़ी किराये पर ली जाती थी। आयोग कोविड काल में दो साल डिफ्कंट रहा, फिर भी हर महीने इनोवा का किराया 45 हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से दिया जाता रहा। यह आज भी दिया जा रहा है।

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