पितृ दिवस:तकदीर वाले वो होते हैं जिसके उपर पिता का हाथ होता है….
मन भिगोए वो पिता है
चैन खोए वो पिता है
कोर तक हों अश्रु फिर भी
जो न रोए वो पिता है
लड़के पिता को गले नहीं लगाते। लड़के पिता के गालों को नहीं चूमते और न ही पिता की गोद में सर रख कर सुकून से सोते हैं, पिता और पुत्र का संबंध मर्यादित होता है….
बाहर रहने वाले लड़के अक्सर जब घर पर फोन करते हैं तो उनकी बात मां से होती है, पीछे से कुछ दबे-दबे शब्दों में पिताजी भी कुछ कहते हैं, सवाल करते हैं या सलाह तो देते ही हैं….
जब कुछ नहीं होता कहने को तो खांसने की हल्की सी आवाज उनकी मौजूदगी दर्ज करवाने के लिए काफ़ी होती है, पिता की शिथिल होती तबियत का हाल भी लड़के मां से पूछते हैं और दवाइयों की सलाह, परहेज इत्यादि बात भी लड़के मां के द्वारा ही पिता तक पहुंचाते हैं….
जैसे बचपन में कहीं चोट लगने पर मां के लिपट कर रोते थे वैसे ही युवावस्था में लगी ठोकरों के कारण अपने पिता से लिपट कर रोना चाहते हैं, अपनी और अपने पिता की चिंताएं आपस साझा करना चाहते हैं परन्तु ऐसा नहीं कर पाते….
पिता और पुत्र शुरुआत से ही एक दूरी में रहते हैं, दूरी अदब की, लिहाज की, संस्कार की या फिर जनरेशन गैप की, हर बेटे का मन करता है कि वो इन दूरियों को लांघता हुआ जाए और अपने पिता को गले लगा कर कहे कि “पापा, आई लव यू”….
जिस प्रकार मातृदिवस पर मां को शुभकामनाएं देता है वैसे ही पिता को भी प्यार करने का एक लड़के का सपना होता है, मगर लड़के यह नहीं कर पाते, वो मां से जितना प्रेम करते हैं पिता का उतना ही सम्मान, अदब और लिहाज करते हैं और ये सम्मान और लिहाज की दीवारें इतनी बड़ी हो चुकी है कि इनको पार करना लगभग नामुमकिन हो जाता है…
फादर्स डे पास जरूर सोचिए क्या आपने अपने पिता पैरों में बैठ कर के भी मन को हल्का किया।
रचना – अनमोल कुमार