मुरहू के किसान आम की बागवानी से बनेंगे आत्मनिर्भर : साबू

बड़ी संख्या में चीकू, नींबू और ड्रेगन फूड की हो रही है खेती

खूंटी: मुरहू प्रखंड क्षेत्र के किसानों को बागवानी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की उप प्रमुख अरुण कुमार अरुण कुमार साबू की पहल रंग ला रही है। बड़ी संख्या में किसान इसबार आम की बागवानी कर लाखों रुपए की आमदनी की है। आम के पेड़ में मंजर लगने के समय में ही व्यापारी सीधे किसान के बागवानी तक पहुंच कर एक मोटी रकम दे देते हैं। फल तैयार होने तक किसान अपने बागवानी की रखवाली करते हैं। व्यापारी तैयार फल को बड़ी मंडी में सप्लाई कर देते हैं। इससे किसानों को बाजार जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। आम की बागवानी में मुरहू के सांवना मुंडू ने सात सौ आम का पेड़ बेचा। जनवरी महीने में ही उसने व्यापारी को दे दिया। जिसमे उसे लाख रुपए की आमदनी हुई। इसमें केमिकल का छिड़काव और खाद के पैसे भी व्यापारी ने दिए। मनरेगा योजना के तहत कई किसानों को आम का पौधा मिला और उसने बागवानी की। शुरुआती दौर में किसानों को बहुत अधिक आमदनी नहीं हुई।लेकिन आने वाले दिनों में और भी अधिक आमदनी हो सकती है। आम की बागवानी में आम्रपाली, फजली और लगड़ा आम का उत्पादन हुआ। सबसे बड़ी बात यह है की किसानों को फसल बेचने के लिए बाजार जाना नहीं पड़ा। यानी घर बैठे उन्हें आमदनी हुई। इससे क्षेत्र के और भी किसानों में बागवानी के प्रति जागरूकता आई है और वे लोग भी बागवानी करने का फैसला लिया है।
मुरहू प्रखंड के उप प्रमुख अरुण कुमार साबू ने इस संबंध में कहा कि मुरहू प्रखंड क्षेत्र में आम की बागवानी के लिए काफी अच्छा है। यहां के किसान साल में एक बार सिर्फ धान का फसल उजाते थे। लेकिन किसानों में धीरे धीरे जागरूकता आई है और आम की बागवानी करना प्रारंभ कर दिया है। शुरुआती दौर में प्रखंड क्षेत्र में दस किसानों ने आम की बागवानी को मिशन के तौर पर लिया और इस बार फसल भी अच्छा हुआ। मैने किसानों को बाजार उपलब्ध कराने का काम किया। इससे किसानों को अपने फसल बेचने का झंझट ही नहीं रहा।
उप प्रमुख ने कहा कि आम के बाद किसान अब चीकू,नींबू,ड्रेगन फूड की खेती के प्रति आगे बढ़ रहे हैं। यही नहीं इस क्षेत्र में काजू की भी खेती होने की संभावना है। बहुत सारे किसानों ने लगाया भी है।लेकिन इसकी प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने के कारण किसान इसकी खेती करना नहीं चाहते हैं। काजू का फसल तैयार होने पर उसे उड़ीसा या बंगाल भेजना पड़ता है,इसमें नुकसान है। राज्य सरकार को इसपर ध्यान देना होगा।
उन्होंने कहा कि जिले में इमली की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है। क्षेत्र में काफी संख्या में इमली का पेड़ है। इमली का केक तैयार करने के लिए हर साल जिला प्रशासन सखी मंडल को मशीन देती है। लेकिन मशीन का आगे क्या हुआ इसकी निगरानी नहीं होती है। कालामाटी में इमली का प्रोसेसिंग यूनिट बंद हो गया है,यह दुर्भाग्य है।
उन्होंने कहा कि मुरहू क्षेत्र में मैने अपनी निगरानी में चीकू,नींबू और ड्रेगन फूड की खेती के लिए किसानों को जागरूक किया है। इसका रिजल्ट दिसंबर महीने में देखने को मिलेगा। चीकू 150रुपए किलो के हिसाब से बाजार में बिकता है। इसके अलावा ड्रेगन फूड और नींबू की भी मांग बाजार में काफी है। किसान यदि मेहनत करे तो सालों भर आमदनी हो सकती है। उन्हें काम की तलाश में दूसरे राज्यों की तरफ रुख नहीं करना पड़ेगा।

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