खूंटी लोकसभा सीट से बबिता कच्छप के मैदान में उतरने से किसे होगा लाभ और नुकसान…

खूंटी: खूंटी लोकसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही पार्टी ने अपने अपने उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया है और जनसंपर्क अभियान प्रारंभ हो गया है। एनडीए से अर्जुन मुंडा और इंडिया गठबंधन से कालीचरण मुंडा दोनो अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। कालीचरण मुंडा तो इस बार जीत के प्रति पूरी तरह से कॉन्फिडेंस दिख रहे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस बार कालीचरण मुंडा बीस हजार अधिक वोटों से लीड करेंगे और खूंटी में कांग्रेस का झंडा लहराएगा। भाजपा सांसद ने खूंटी के लिए कुछ नहीं किया है। वहीं एनडीए के कार्यकर्ताओं का मानना है कि पीएम मोदी की लहर में कही कोई नहीं टिक पाएगा। इस बार भी खूंटी में कमल ही खिलेगा।
खूंटी की जंग में तीसरे खिलाड़ी की एंट्री हो गई है। पत्थलगढी आंदोलन से जुड़ी बबिता कच्छप खूंटी से चुनाव लड़ेगी।
बबीता कच्छप का ईसाई और आदिवासी वोटरों में मजबूत पकड़ की बात सामने आ रही है। पत्थलगड़ी आंदोलन में क्षेत्र के ग्रामीणों का भरपूर समर्थन मिला था।
इस टीम में विजय कुजूर,जॉन जुनास सहित कई पत्थलगड़ी के नेता पिछले पांच सालों से खूंटी लोकसभा क्षेत्र के एक एक गांव में रात्रि विश्राम कर ग्रामीणों को गोलबंद कर चुके हैं। भारत आदिवासी पार्टी के बैनर तले बबिता कच्छप खूंटी लोकसभा सीट पर ताल ठोकेगी।
वहीं राजनीतिक जानकारों की मानें तो खूंटी में पत्थलगड़ी आंदोलन काफी चर्चित रहा था। चुनाव में यदि बबिता कच्छप को क्षेत्र के ग्रामीणों का एकमुश्त समर्थन मिल जाता है तो कालीचरण और अर्जुन मुंडा दोनों के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। दो मजबूत खिलाड़ियों की लड़ाई में कही तीसरा न बाजी मार जाए।
इससे ग्रामीणों का भी टेस्ट चेंज हो जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *