विश्व आदिवासी महोत्सव में सखी मंडल की ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों की खूब हुई बिक्री

रांची: बिरसा मुण्डा स्मृति उद्यान में दो दिवसीय झारखण्ड आदिवासी महोत्सव का गुरुवार को समापन हो गया। इस दो दिवसीय आयोजन में ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा पलाश एवं आदिवा ज्वेलरी के स्टॉल लगाकर सखी मंडल की महिलाओं के उत्पादों की प्रदर्शनी की गयी।

इसके साथ ही ‘आजीविका दीदी कैफे’ के जरिये महोत्सव में आए लोगो को पारंपरिक आदिवासी भोजन भी उपलब्ध कराये गए।
पलाश ब्रांड के अंतर्गत 13 स्टॉल में राज्य के विभिन्न जिलों से आई सखी मंडल के महिलाओं द्वारा तैयार किये गये करीब 23 तरह के उत्पादों को बिक्री के लिए महोत्सव में रखा गया था। जिसमें शुद्ध सरसों तेल, अचार, मधु , मड़ुआ आटा, मसाले, लोबिया, लेमनग्रास एवं साबुन की काफी डिमांड थी। वहीं, पलाश के अचार भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र था।
महोत्सव में राखी के त्यौहार के मद्देनज़र आदिवा ज्वेलरी की बहुत मांग रही। सखी मंडल की बहनों द्वारा निर्मित आदिवासी पारंपरिक ज्वेलरी ब्रांड आदिवा के तहत चांदी एवं अन्य धातुओं से बने ज्वेलरी, जैसे झुमका, बाली इत्यादि लोगों ने बहुत चाव से ख़रीदा। वहीं जेटीडीएस के स्टॉल में खूंटी से आए एपीपी एग्रीगेट द्वारा मशरूम और मशरूम से बने सामग्रियों की भी काफी मांग रही।एपीपी एग्रीगेट के निदेशक प्रभाकर कुमार ने कहा कि विश्व आदिवासी महोत्सव में मशरूम की बिक्री खूब हुई है। साथ ही मशरूम से निर्मित चीजों में बरी,अचार,पापड़,मशरूम का पाउडर की बिक्री हुई।
आदिवासियों के पारंपरिक पकवान भी आकर्षण के केंद्र रहे जहां सखी मंडल की महिलाओं द्वारा संचालित ‘आजीविका दीदी कैफे’ के तहतस्टॉल में करीब 40 तरह के पारंपरिक व्यंजन परोसें गए।
इस दो दिवसीय महोत्सव के दौरान करीब 10 लाख रुपये के पलाश उत्पादों की बिक्री हुई
ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत जेएसएलपीएस द्वारा लगाए गए पलाश, आदिवा ज्वेलरी और आजीविका दीदी कैफ़े ने करीब 10 लाख रुपए का कारोबार किया ।

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