झारखंड में खदान में मचा दी है सियासी भूचाल, अब सीबीआई के रडार पर है झारखंड के ब्यूरोक्रेट्स और इंजीनियर

रांची। झारखंड में खान खदान ने सियासी भूचाल खड़ा कर दिया है इसके लपेटे में राजनेता तो आ गए हैं लेकिन रडार पर ब्यूरोक्रेट्स भी हैं ब्यूरोक्रेट्स के साथ विभाग के वरीय अफसर और इंजीनियर की शामिल है। झारखंड में खान और खदान के मामले में घोर अनियमितता बरती गई है। इसमें आयकर रिटर्न वाणिज्य कर सहित फॉरेस्ट एक्ट का भारी पैमाने पर उल्लंघन किया गया है इस कारण खान विभाग को सालाना 1200 करोड़ रुपए का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है अब इन सब पर सीबीआई की नजर है। उरमा कोल ब्लॉक बना दी कॉल ब्लॉक और मौर्या कॉल ब्लॉक में हुए अनियमितता के मामले में ऊर्जा विभाग के कई इंजीनियर जांच के दायरे में आ गए हैं वही झारखंड के लगभग 50 से अधिक खदान के माइनिंग लीज भी जांच के दायरे में हैं 1990 बैच के आईएएस अफसर भी इस मामले में जांच के दायरे में है। इसकी वजह यह है कि पूर्व खान सचिव ने इन अनियमितताओं के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई थी लेकिन जांच आगे ना बढ़ता देख केंद्र ने इस पर कड़े निर्णय लेने का फैसला किया है सूत्रों के अनुसार अब इसकी सीबीआई जांच में तेजी आएगी। सीबीआई ने f.i.r. को जांच का आधार बनाया है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि बिना नक्शा के खदानों का माइनिंग लीज जारी कर दिया गया है। नियंमत बिना नक्शा के माइनिंग लीज जारी नहीं किया जाता है। ताजा जानकारी के अनुसार इस मामले में खान विभाग के दो पूर्व सचिव जांच के दायरे में आ गए हैं इसकी वजह भी बताई जा रही है कि नियमों का उल्लंघन होने के कारण खदानों की नीलामी में पेच फंस गया है जिसके कारण लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। सूत्रों के अनुसार अगर झारखंड में सभी कॉल ब्लॉक की नीलामी हो जाती तो 100000 लोगों को रोजगार मिलता एक कॉल ब्लॉक में लगभग 2000 लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है इस हिसाब से लगभग 40 कोल ब्लॉक में 95000 से 1 लाख लोगों को रोजगार मिलता। वहीं वर्तमान खान सचिव की कार्यशैली की वजह से उनके खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें कहा गया है कि वह खान विभाग के साथ जेएसएमडीसी के भी प्रभार में है। बताते चलें कि झारखंड के कोयला खदानों में लगभग 80 बिलियन टन कोयला रिजर्व है।

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