राष्ट्रीय खेल घोटाले में जांच की आंच तेज, विधान सभा की विशेष कमेटी की रिर्पोट निभाएगी अहम किरदार

परत दर परत खुलेगा राज
रांचीः राष्ट्रीय खेल घोटाले में कई सफेदपोश बेपर्दा होंगे। इसकी वजह यह है कि 2007 में गठित विधानसभा की विशेष कमेटी की रिर्पोट भी घोटाले की तह तक जाने में अहम किरदार निभा सकती है। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष आलमगीर आलम ने विशेष कमेटी बनाने का निर्देश दिया था। कमेटी ने वर्ष 2008 में विधानसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें घोटाले की बिंदुवार पुष्टि करते हुए जांच कराने की अनुशंसा तत्कालीन सरकार से की गई थी। मंत्री और आप्त सचिव द्वारा बिल सरकार को नहीं सौंपने को विशेष कमेटी ने नियम विरुद्ध आचरण और मर्यादा के अनुरूप नहीं बताया। विशेष कमेटी में शामिल रहे एक सदस्य ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि आश्चर्य यह है कि रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अगर इसी को आधार बनाकर जांच एजेंसियां एक्शन लें तो इसे मुकाम तक पहुंचाया जा सकता है। रिर्पोर्ट में तत्कालीन मंत्री और उनके आप्त सचिव द्वारा किए गए विदेश भ्रमण का जिक्र करते हुए उल्लेख किया गया है कि उन्होंने इसका बिल तक जमा नहीं किया। यह विदेशी मुद्रा के उपयोग-दुरुपयोग से जुड़ा मामला है। इसके लिए मंत्री से कारण पूछते हुए आप्त सचिव के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाए।इसकी सूचना लेखा और अंकेक्षण महानिरीक्षक को भी दी जाए। रिपोर्ट में इसका भी उल्लेख है कि जिस समय रांची में निर्मित होने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए मंत्री एवं अन्य अधिकारी विदेश भ्रमण कर रहे थे, उस समय फरवरी 2007 में गुवाहाटी में संपन्न हुए राष्ट्रीय खेल परियोजना का निर्माण वहां हो रहा था। मंत्री अथवा किसी भी अधिकारी ने गुवाहाटी जाकर वहां की खेल संरचनाओं का अध्ययन करना मुनासिब नहीं समझा। इसकी जगह खेल संचरना का अध्ययन करने के लिए विदेश यात्रा पर गए। जांच समिति में सरयू राय , राधाकृष्ण किशोर, गिरिनाथ सिंह, रवीन्द्रनाथ महतो, रवीन्द्र कुमार राय, मनोज कुमार यादव और अपर्णा सेन गुप्ता शामिल थे।

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