ओडिशा के लाल चींटी की चटनी को मिला जीआई टैग

भुवनेश्वर: ओडिशा में स्थित मयूरभंज जिले में मशहूर लाल चींटी की चटनी को जीआई टैग जो मिला है।
इस चटनी को काई चटनी भी कहा जाता है, जिसने 2 जनवरी, 2024 को अपने विशिष्ट स्वाद के भौगोलिक संकेत यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग हासिल किया है। 
सुनने में अजीब इस चटनी के लिए इस जिले के सैकड़ों आदिवासी परिवार इन चींटियों को इकट्ठा करके और बेचकर अपनी जीविका चलाते हैं। ओडिशा के अलावा यह चटनी अन्य पूर्वी राज्यों जैसे झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी लोग बड़े चाव से खाते हैं।

इसे बनाने के लिए चींटियों और उनके अंडों को उनके बिल या बांबी से इकट्ठा किया जाता है। इसके बाद इसकी चटनी बनाने के लिए पहले इन्हें साफ किया जाता है और फिर पीसकर सुखाया जाता है।

इसके बाद इसमें नमक, अदरक, लहसुन और मिर्च मिलाकर दोबारा पीसा जाता है और इस तरह लाल चींटी की चटनी तैयार की जाती है। यह स्वाद में बेहद तीखी होती है। स्वादिष्ट होने के साथ ही यह चटनी कई स्वास्थ्य लाभों के लिए भी जानी जाती है।

ऐसा माना जाता है कि इस चटनी में प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, विटामिन बी-12, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जो इसे सेहत के लिए फायदेमंद बनाते हैं।

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