खतरे में चंपाई सरकार,नाराज कांग्रेस के विधायक अपनी मांगों पर अड़े, बजट सत्र में भी नहीं लेंगे भाग !

रांची: झारखंड में चंपाई सोरेन सरकार के अस्तित्व में आते ही सियासी रस्साकसी जारी है। खासकर जब से कैबिनेट का विस्तार हुआ है,सत्तापक्ष के एक दर्जन विधायक ऑफ मूड में चले गए हैं। गठबंधन सरकार के घटक दल कांग्रेस के एक दर्जन विधायकों ने मोर्चा खोल दिया है। वहीं झामुमो विधायक बैद्यनाथ राम ने तो पार्टी छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया है। झामुमो विधायक बैद्यनाथ राम को मंत्री नहीं बनाया गया है। उनका नाम मंत्री की सूची में होने के बाद भी नाम अंतिम समय में काट दिया गया। इससे झामुमो विधायक आग बबूला हो गए हैं। वहीं कांग्रेस के नाराज 12विधायकों में 9 विधायक तीन दिनों से दिल्ली में जमे हुए हैं। रविवार तक तो उनसे संपर्क भी हुआ था।लेकिन सोमवार को संपर्क टूट गया है। यही नहीं दिल्ली के जिस रिजॉर्ट ने वे लोग रुके हुए थे,उसे भी खाली कर दिया है।
इन विधायकों का कहना है कि उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे 23 फरवरी से आयोजित होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में शामिल नहीं होंगे।वे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल से मिलकर अपनी बात रखना चाहते हैं, लेकिन सोमवार दोपहर 12 बजे तक इन्हें मुलाकात का वक्त नहीं मिला है।
रविवार को झारखंड कांग्रेस के प्रभारी गुलाम अहमद मीर और मध्यप्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता उमंग सिंघार ने नाराज कांग्रेस विधायकों से मिलकर उनसे वन-टू-वन बात की। विधायकों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि हेमंत सोरेन की कैबिनेट में पार्टी के जिन चार विधायकों को मंत्री पद की जिम्मेदारी मिली थी, उन्हें चंपई सोरेन की सरकार में क्यों रिपीट किया गया? इनमें से किसी की परफॉर्मेंस अच्छी नहीं रही है।उन्होंने पार्टी के दूसरे विधायकों और आम कार्यकर्ताओं की लगातार उपेक्षा की है और यह बात पहले भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक कई बार पहुंचाई गई है। नेतृत्व ने चंपई सोरेन की कैबिनेट में इन मंत्रियों के बजाय दूसरे विधायकों को मौका देने को लेकर आश्वस्त किया था, लेकिन इसके बाद भी आखिरी समय में पुराने चेहरों को ही मौका दिया गया। क्या बाकी विधायक नाकाबिल हैं?

अगर ये विधायक अपनी मांग पर अड़े रहे और बजट सत्र में गैरहाजिर रहे तो चंपई सोरेन की सरकार विधानसभा सत्र के दौरान खतरे में पड़ सकती है। बजट मनी बिल होता है और इसपर मतदान के दौरान अल्पमत में रहने से सरकार गिर सकती है।

दिल्ली में जमे कांग्रेस विधायकों में जयमंगल सिंह ऊर्फ अनूप सिंह, इरफान अंसारी, राजेश कच्छप, भूषण बाड़ा, उमाशंकर अकेला, दीपिका पांडेय सिंह, सोनाराम सिंकू, अंबा प्रसाद और पूर्णिमा नीरज सिंह शामिल हैं। दिल्ली के पहले रांची में हुई इन विक्षुब्ध विधायकों की बैठक में शिल्पी नेहा तिर्की और नमन विक्सल कोंगाड़ी भी शामिल थे।

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