निर्जला उपवास व्रत रखकर माताओं ने की अपने संतानों की रक्षा और दीर्घायु के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत

सरायकेला। कठिन तप व्रत की पूजा जीवित्पुत्रिका व्रत क्षेत्र में श्रद्धा भाव के साथ मनाया गया। इस अवसर पर माताओं ने अपनी संतानों की रक्षा और दीर्घायु होने की मंगल कामना को लेकर निर्जला उपवास व्रत किया। जिसके तहत रविवार की शाम घरों में व्रती माताओं द्वारा शुद्धता से स्नान ध्यान पर राजा जीमूतवाहन की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई। जिसमें फल प्रसाद सहित ऋतु फल का चढ़ावा चढ़ाकर जीवित्पुत्रिका व्रत कथा का श्रवण किया गया। इस अवसर पर माताओं द्वारा पूजा स्थल पर मत्था टेकते हुए अपने संतानों की सर्व सुरक्षा और दीर्घायु होने की मंगल प्रार्थना की गई। बताया गया कि सोमवार को पारण मुहूर्त में पूजा अर्चना के पश्चात पारण के नियमों का पालन करते हुए व्रती माताएं अपने संतानों के हाथों जल ग्रहण कर अपना निर्जला उपवास व्रत समाप्त करेंगी। धार्मिक मान्यता है कि जिउतिया अष्टमी के अवसर पर विधि विधान के साथ जीवित्पुत्रिका व्रत का पालन करने से संतानों की कठिन से कठिन परिस्थिति से रक्षा होती है।

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