7 जुलाई बृहस्पतिवार का राशिफल एवम पंचांग

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज आपका दिन बेहतर रहेगा । स्वास्थ्य में सुधार होगा। लेने देने में सावधानी बरतें। आपकी सकारात्मक सोच पुरस्कृत होगी। कामकाज में आप कुछ परेशानियाँ या थकान महसूस करेंगे। कारोबार में फायदा होगा। आज आपका पारिवारिक जीवन सुखमय होगा। अधिक व्यय रहेगा। यश, मान, प्रतिष्ठा का लाभ मिलेगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी , वु , वे, वो)
आज आप एक बार फिर समय में पीछे जाकर शादी के शुरुआती दिनों के प्यार और रुमानियत को महसूस कर सकते हैं। तनाव कम होगा। मनोबल बढेगा। नव ऊर्जा का संचार होगा। आज आप आत्मविश्वास के दम पर खुद को साबित कर पाएंगे। दबी हुई समस्याएँ फिर से उभरकर आपको मानसिक तनाव दे सकती हैं।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज आपके परिवार में सामंजस्य बनेगा। धन का अकस्मात लाभ होगा। धन प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। ससुराल पक्ष से लाभ होगा। भाग-दौड़ रहेगी। आज लंबी यात्रा करना स्वास्थ के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। किसी अधिकारी से अनबन हो सकती है। धर्म मार्ग का अनुसरण होगा।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज परिस्थिति आपको चाहे कितना भी उकसाए घर की शांति भंग ना होने दें। कभी-कभी अपने गुस्से को पी जाने में ही भलाई होती है। आज अपने गुस्से पर काबू नहीं रखा तो अपनों के बीच दूरियां आ सकती हैं। अचानक यात्रा के कारण आप आपाधापी और तनाव का शिकार हो सकते हैं।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
कारोबार में अकस्मात वृद्धि होगी। पुराना काम बनेगा। साझेदारी से फायदा होगा। आज आपको अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ेगा घरेलू समस्या से छुटकारा मिलेगा प्रतियोगी परीक्षा में सफलता हासिल होगी। स्वास्थ में ताजगी बनी रहेगी। आज पुराने मित्र मिलेंगे जिसे आप चाहते हैं उसे दिल की बात कह दें संबंधों में मधुरता बढ़ेगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
अपने रिश्ते में सुधार लाने के लिए आज का दिन बहुत अच्छा है। अपने प्रियजनों के साथ कहीं बाहर घूमने जाने की योजना बनाएं और उन्हें खुश कर दें। आज के दिन आपके लिए दूसरी कठिनाइयां खड़ी कर सकता है। धन का लाभ होगा। कार्य में नई योजना बनेगी। किसी प्रियजन से मिलाप होगा।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
दूर-समीप की यात्रा होगी। व्यय बढेगा। परिवार से पूर्ण सहयोग मिलेगा। विरोधी शांत होंगे। धन का लाभ होगा। आपके प्रिय का अस्थिर बर्ताव आज रोमांस को बिगाड़ सकता है। आज आपकी गर्व गृहपयोगी चीजों में वृध्दि होगी। धन यश कीर्ति में वृद्धि होगी व्यक्ति विशेष का साथ मिलेगा। आज आपको पुराने कर्ज से छुटकारा मिलेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज आप अपने काम से संबंधित किसी यात्रा पर जा सकते हैं। दिन चढऩे पर वित्तीय तौर पर सुधार आएगा। दफ़्तर के कामकाज में ज़्यादा व्यस्तता के चलते अपने जीवनसाथी के साथ आपका रिश्ता तनावपूर्ण हो सकता है। आपका प्रिय आज रोमांटिक मूड में होगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
धन का लाभ होगा। परिजनों का सहयोग प्राप्त होगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा। व्यापार से लाभ होगा। आज कुछ ऐसा दिन है जब चीजें उस तरह नहीं होंगी, जैसी आप चाहते हैं। शाम ढलते-ढलते कोई आकस्मिक रूमानी झुकाव आपके दिलोदिमाग पर छा सकता है। साझीदारी की परियोजनाएँ सकारात्मक परिणाम से ज़्यादा परेशानियाँ देंगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज आपकी कारोबारी यात्रा में लाभ संभव है। चुनौतियों का डटकर सामना करेंगे मधुर वाणी से सबका दिल जीत लेंगे। आप आज रुहानी प्यार की मदहोशी महसूस कर सकेंगे। तनाव से बचने के लिए मधुर संगीत का सहारा लें। नए काम का प्रस्ताव मिलेगा परीक्षा में सफल होंगे। प्रियजन से मुलाकात संभव है।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
करीबी दोस्त आज आपकी मदद को आगे आएंगे और आपको खुश भी रखेंगे। स्वास्थ्य का लाभ होगा। यात्रा से थकावट महसूस करोगे। आज का दिन खूब मौज-मस्ती करने का है क्योंकि आपका मित्र भी आपके साथ है। अपने नजरिए को दूसरों पर न थोपें। नई तकनीक का प्रयोग करके खूब लाभ कमाएंगे।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
किसी नये मित्र के मिलने से प्रसन्नता होगी। कारोबार से लाभ होगा।आज आपके कार्यस्थल पर कामकाज को लेकर खींचतान हो सकती है। अच्छी तरह सोचें कि आप क्या करना चाहते हैं और अपने विचारों को स्पष्ट रखें। जल्दबाजी में कोई गलती ना कर बैठें। ध्यान रखें कि सब्र से आप सब कुछ जीत सकते हैं।

🌞 ll~ वैदिक पंचांग ~ ll🌞
🌤️ दिनांक – 07 जुलाई 2022
🌤️ दिन – गुरुवार
🌤️ विक्रम संवत – 2079
🌤️ शक संवत -1944
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – वर्षा ऋतु
🌤️ मास -आषाढ़
🌤️ पक्ष – शुक्ल
🌤️ तिथि – अष्टमी शाम 07:28 तक तत्पश्चात नवमी
🌤️ नक्षत्र – हस्त दोपहर 12:20 तक तत्पश्चात चित्रा
🌤️ योग – परिघ सुबह 10:38 तक तत्पश्चात शिव
🌤️ राहुकाल – दोपहर 02:24 से शाम 04:04 तक
🌞 सूर्योदय – 05:28
🌦️ सूर्यास्त – 06:23
👉 दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
🚩 *व्रत पर्व विवरण –
🔥 *विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🌷 चतुर्मास एवं पुरुष सूक्त 🌷
10 जुलाई 2022 रविवार से 04 नवम्बर 2022 शुक्रवार तक चातुर्मास है ।
🙏🏻 चतुर्मास में भगवान श्रीविष्णु के योगनिद्रा में शयन करने पर जिस किसी नियम का पालन किया जाता है, वह अनंत फल देनेवाला होता है – ऐसा ब्रह्माजी का कथन है |
🙏🏻 जो मानव भगवान वासुदेव के उद्देश्य से केवल शाकाहार करके चतुर्मास व्यतीत करता है वह धनी होता है | जो प्रतिदिन नक्षत्रों का दर्शन करके केवल एक बार ही भोजन करता हैं वह धनवान, रूपवान और माननीय होता है | जो मानव ब्रह्मचर्य – पालनपूर्वक चौमासा व्यतीत करता हैं वह श्रेष्ठ विमान पर बैठकर स्वेच्छा से स्वर्गलोक जाता है |जो चौमासेभर नमक को छोड़ देता है उसके सभी पुर्तकर्म ( परोपकार एवं धर्मसम्बन्धी कार्य ) सफल होते है | जिसने कुछ उपयोगी वस्तुओं को चौमासेभर त्यागने का नियम लिया हो, उसे वे वस्तुएँ ब्राह्मण को दान करनी चाहिए | ऐसा करने से वह त्याग सफल होता है | जो मनुष्य नियम, व्रत अथवा जप के बिना चौमासा बिताता है वह मुर्ख है |
🙏🏻 जो चतुर्मास में भगवान विष्णु के आगे खड़ा होकर ‘पुरुष सूक्त’ का जप करता है, उसकी बुद्धि बढती है | -(स्कंदपुराण, नागर खंड, उत्तरार्ध )
🙏🏻 बुद्धि बढाने के इच्छुक पाठक और ‘बाल संस्कार केंद्र’ के बच्चे ‘पुरुष सूक्त’ से फायदा उठायें | आनेवाले दिनों में ‘बाल संस्कार केंद्र’ के बुद्धिमान बच्चे ही देश के कर्णधार होंगे |

🌷 पुरुष सूक्त 🌷
🙏🏻 (ऋग्वेद : १०-९०, यजुर्वेद : अध्याय – ३१ )
🌷 ॐ सहस्रशीर्षा पुरुष: सहस्त्राक्ष: सहस्त्रपात् |
स भूमिं विश्वतो वृत्वात्यतिष्ठद्दशांगुलम् || १||
🙏🏻 ‘आदिपुरुष असंख्य सिर, असंख्य नेत्र और असंख्य पाद से युक्त था | वह पृथ्वी को सब ओर से घेरकर भी दस अंगुल अधिक ही था |’
🌷 पुरुष एवेदं सर्वं यदभूतं यच्च भाव्यम् |
उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति || २ ||
🙏🏻 ‘यह जो वर्तमान जगत है, वह सब पुरुष ही है | जो पहले था और आगे होगा, वह भी पुरुष ही है, क्योंकि वह अमृतत्व का, देवत्व का स्वामी है | वह प्राणियों के कर्मानुसार भोग देने के लिए अपनी कारणावस्था का अतिक्रम करके दृश्यमान जगतअवस्था को स्वीकार करता है, इसलिए यह जगत उसका वास्तविक स्वरूप नहीं है |’
🌷 एतावानस्य महिमातो ज्यायाँश्च पुरुष : |
पादोऽस्य विश्वा भूतानि त्रिपाद्स्यामृतं दिवि || ३ ||
🙏🏻 ‘अतीत, अनागत एवं वर्तमान रूप जितना जगत है उतना सब इस पुरुष की महिमा अर्थात एक प्रकार का विशेष सामर्थ्य है, वैभव है, वास्तवस्वरूप नहीं | वास्तव पुरुष तो इस महिमा से भी बहुत बड़ा है | सम्पूर्ण त्रिकालवर्ती भूत इसके चतुर्थ पाद में हैं | इसके अवशिष्ट सच्चिदानन्दस्वरुप तीन पाद अमृतस्वरूप हैं और अपने स्वयंप्रकाश द्योतनात्मक रूप में निवास करते हैं |’
🌷 त्रिपादूर्ध्व उदैत्पुरुष: पादोऽस्येहाभवत् पुन: |
ततो विष्वं व्यक्रामत्साशनानशने अभि ||४ ||
‘त्रिपाद पुरुष संसाररहित ब्रह्मस्वरूप है | वह अज्ञानकार्य संसार से विलक्षण और इसके गुण-दोषों से अस्पृष्ट है | इसका जो किंचित मात्र अंश माया में हैं वही पुन: -पुन: सृष्टि – संहार के रूप में आता – जाता रहता है | यह मायिक अंश ही देवता, मनुष्य, पशु, पक्षी आदि विविध रूपों में व्याप्त है | वही सभोजन प्राणी है और निर्भोजन जड़ है | सारी विविधता इस चतुर्थाश की ही है |’
🌷 तस्माद्विराळजायत विराजो अधि पुरुष: |
स जातो अत्यरिच्यत पश्चादभूमिमथो पुर: ||५ ||
🙏🏻 ‘उस आदिपुरुष से विराट ब्रह्माण्ड देह की उत्पत्ति हुई | विराट देह को ही अधिकरण बनाकर उसका अभिमानी एक और पुरुष प्रकट हुआ | वह पुरुष प्रकट होकर विराट से पृथक देवता, मनुष्य, पशु, पक्षी आदि के रूप में हो गया | उसके बाद पृथ्वी की सृष्टि हुई और जीवों के निवास योग्य सप्त धातुओं के शरीर बने |’
🌷 ॐ यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत |
वसन्तो अस्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्म: शरद्धवि: ||६ ||
🙏🏻 ‘देवताओं ने उसी उत्पन्न द्वितीय पुरुष को हविष्य मानकर उसी के द्वारा मानस यज्ञ का अनुष्ठान किया | इस यज्ञ में वसंत ऋतू आज्य (घृत) के रूप में, ग्रीष्म ऋतू ईंधन के रूप में और शरद ऋतू हविष्य के रूप में संकल्पित की गयी |’
तं यज्ञं बर्हिषि प्रौक्षण पुरुषं जातमग्रत: |
तेन देवा अजयन्त साध्या ऋषयश्च ये || ७ ||
🙏🏻 ‘वही द्वितीय पुरुष यज्ञ का साधन हुआ | मानस यज्ञ में उसीको पशु-भावना से युप (यज्ञ का खंभा) में बाँधकर प्रोक्षण किया गया, क्योंकि सारी सृष्टि के पूर्व वही पुरुषरूप से उत्पन्न हुआ था | इसी पुरुष के द्वारा देवताओं ने मानस याग किया | वे देवता कौन थे ? वे थे सृष्टि – साधन योग्य प्रजापति आदि साध्य देवता एवं तदनुकूल मंत्रद्रष्टा ऋषि | अभिप्राय यह है कि उसी पुरुष से सभीने यज्ञ किया |’
🌷 तस्माद्यज्ञात सर्वंहुत: संभृतं पृषदाज्यम् |
पशून ताँश्चक्रे वायव्यानारण्यान् ग्राम्याश्च ये || ८ ||
🙏🏻 ‘इस यज्ञ में सर्वात्मक पुरुष का हवन किया जाता है | इसी मानस यज्ञ से दधिमिश्रित आज्य-सम्पादन किया गया अर्थात सभी भोग्य पदार्थों का निर्माण हुआ | इसी यज्ञ से वायुदेवताक आरण्य (जंगली) पशुओं का निर्माण हुआ | जो ग्राम्य पशु हैं, उनका भी |’
🌷 तस्माद्यज्ञात सर्वहुत ऋच: सामानि जज्ञिरे |
छन्दांसि जज्ञिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत || ९ ||
🙏🏻 ‘पूर्वोक्त सर्वहवनात्मक यज्ञ से ऋचाएँ और साम उत्पन्न हुए | उस यज्ञ से ही गायत्री आदि छन्दों का जन्म हुआ | उसी यज्ञ से यजुष (यजुर्वेद) की भी उत्पत्ति हुई |’
🙏🏻 तस्मादश्वा अजायन्त ये के चोभयादत: |
गावो ह जज्ञिरे तस्मात तस्माज्जाता अजावय: ||१० ||
🙏🏻 ‘उस पूर्वोक्त यज्ञ से यज्ञोपयोगी अश्वों का जन्म हुआ | जीके दोनों ओर दाँत होते हैं, उनका भी जन्म हुआ | उसीसे गायों का भी जन्म हुआ और उसीसे बकरी – भेड़ें भी पैदा हुई |’
🌷 ॐ यत्पुरुषं व्यदधु: कतिधा व्यकल्पयन् |
मुखं किमस्य कौ बाहू का ऊरू पादा उच्येते ||११ ||
🙏🏻 ‘जब द्वितीय पुरुष ब्रह्मा की ही यज्ञ – पशु के रूप में कल्पना की गयी, तब उसमें किस – किस रूप से, किस – किस स्थान से, किस – किस प्रकार विशेष से उसके अंग- उपांगों की भावना की गयी ? उसका मुख क्या बना ? उसके बाहू क्या बने ? तथा उसके ऊरू (जंघा) और पाद क्या कहे गये ?’
🌷 ब्राह्मणोंऽस्य मुखमासीद् बाहू राजन्य: कृत: |
ऊरू तदस्य यद्वैश्य: पदभ्यां शूद्रों अजायत || १२ ||
🙏🏻 ‘इस पुरुष का मुख ही ब्राह्मण के रूप में कल्पित हैं | बाहू राजन्य माना गया हैं | ऊरू वैश्य है और चरण शुद्र हैं |’
चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षो: सूर्यो अजायत |
मुखादिन्द्रश्चाग्निश्च प्राणादवायुरजायत || १३ ||
🙏🏻 ‘मन से चन्द्रमा, चक्षु से सूर्य, मुख से इंद्र तथा अग्नि और प्राण से वायु की कल्पना की गयी |’
🌷 नाभ्या आसीदन्तरिक्षं शीष्णॉ द्यौ: समवर्तत |
पदभ्यां भूमिर्दिश: श्रोत्रात्तथा लोकों अकल्पयन || १४ ||
🙏🏻 ‘नाभि से अंतरिक्ष लोक, सिर से द्युलोक, चरणों से भूमि और श्रोत्र से दिशाएँ – इस प्रकार लोकों की कल्पना की गयी |’
🌷 सप्तास्यासन् परिधयस्त्रि: सप्त समिध: कृता: |
देवा यद्यज्ञं तन्वाना अबध्नन् पुरुषं पशुम् || १५ ||
🙏🏻 ‘जब देवताओं ने अपने मानस यज्ञ का विस्तार करते हुए वैराज पुरुष (परमात्मा) को पशु के रूप में कल्पित किया, तब इस यज्ञ की सात परिधियाँ हुई और इक्कीस समिधाएँ |’
🌷 यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् |
ते ह नाकं महिमान: सचन्त यत्र पूर्व साध्या: सन्ति देवा: ||१६||
🙏🏻 ‘प्रजापति के प्राणरूप विद्वान देवताओं ने अपने मानस संकल्परूप यज्ञ के द्वारा यज्ञस्वरूप पुरुषोत्तम का यजन (आराधन, याग) किया | वही धर्म है सर्वश्रेष्ठ एवं सनातन, क्योंकि सम्पूर्ण विकारों को धारण करता हैं | वे धर्मात्मा भगवान के माहात्म्य, वैभव आदि से सम्पन्न होकर परमानंद-लोक में समा गये | वहीँ प्राचीन उपासक देवता विराजमान रहते हैं |’

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