22 अक्टूबर शनिवार का राशिफल एवम पंचांग

मेष: आज का दिन आपके लिये भाग्यशाली है। नक्षत्र आपके लिये अत्यंत अनुकूल दिखाई देता है। सकारात्मक विचार करने से आप सकारात्मक ऊर्जा पाएंगे जिससे आप अपने मकसद तक पहुंच सकेंगे।यदि आप किसी परियोजना पर कार्य कर रहे हैं और आप जिन बदलावों को लागू करने का इरादा कर रहे हैं यह उनके लिए अनुकूल समय नहीं है। आर्थिक सहायता में भी देरी हो सकती है। किसी कार्य से मन अत्यन्त प्रसन्न होगा। ध्यान रखने से स्वास्थ्य सुधार होगा।

वृष: आप किसी ऐसे व्यक्ति की ओर आकर्षित होंगे जो आपकी रुचियों और इच्छाओं तथा जुनून को साझा करेगा।यदि अपने किसी के साथ कुछ गलत किया है, तो हमेशा अपनी गलती मानकर माफी मांगना ही बेहतर होगा । आज आपके पश्चाताप को समझा जाएगा और आप माफ किए जाएँगे।

मिथुन: आज आप जिन लोगों से मिलेंगे उनके लिए आप एक प्रेरणा होंगे। आपकी फुर्तीली ऊर्जा और आपके चारों ओर प्रेम तथा सुंदरता उन्हें प्रोत्साहित करती है। आज आप भाग्यशाली साबित हो सकते है। परंतु आज छोटे से काम के लिये भी आपको जोर लगाना होगा या बहुत प्रयास करना होगा।

कर्क: आपके इरादो से संबंधित पुस्तकों का संदर्भ लें। यह पुस्तकें आपको यशस्वी योजनायें बनाने में मार्गदर्शन करेगी।आप सामान्य तौर पर चुस्त और प्रबल हैं। परंतु पिछले कुछ दिनो सें आपके व्यस्तता के कारण हो रही थकावट आपको सुस्त कर देगी। पर्याप्त आराम करें जिससे आप ठीक हो जाएंगे।

सिंह: किसी को अनचाही सलाह या तारीफ देने से बचें। इसके अतिरिक्त दूसरे लोगों के व्यक्तिगत मामलों में भी हस्तक्षेप न करें। आप बुरे सपने तथा भ्रमो से पू री तरह से घिरे हुये है। केवल आपकी इच्छाशक्ती आपके जिंदगी को बर्बाद करने वाले इन नकारत्मक विचारो से आपको मुक्ती दिला सकती है । इस लिये आप बुरे सपनो में नही उलझें।

कन्या: आपको नुकसान पहुँचाने का कारण बने व्यक्ति पर दया दिखाना या उसे माफ करना आपके लिये आज मुश्किल होगा। ऐसा करने हेतू अत्यधिक समझ की आवश्यकता होती है। परंतु हर व्यक्ति के बारें मे सहानुभूति रखने की आपकी क्षमता आपको ऐसे व्यक्ति को माफ करने में सहायता करेगी।कामकाजी महिलाओं को घर और कार्यालय दोनों जगह पर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह उनके लिए एक कठिन दिन होगा।

तुला: अपनी भावनाओं और मनोभावों को उस व्यक्ति के सामने स्पष्ट और खुले रूप से व्यक्त करें जिससे आप आकर्षित हैं। अस्वीकृति से भयभीत न हों।
आज आपको कुछ कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। किंतु आप अपनी बौद्धिकता और विश्लेषणात्मक शक्तियों के साथ सभी का समाधान करने में सक्षम होंगे।

वृश्चिक: आप एकबार पुन: दीर्घकालिक स्वप्न पर कार्य करने का प्रयास कर सकते हैं। कभी भी देरी नहीं है। वास्तव में, आपको अपने सपनों को पहले की अपेक्षा पूरा करना अधिक आसान हो सकता है।आपको अपने प्रेमी के आसपास कुत्ते के पिल्ले के समान प्रेम की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। बस आगे बढ़िए और प्रस्ताव दीजिए और आपको निश्चित ही एक सकारात्मक प्रतिसाद मिलता है।

धनु: आपका मजाकिया स्वभाव आपको मित्रों और दूसरे लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय बनाता है जिनसे आप आज मिलते हैं। यह उन लोगों को भी उत्साहित करेगा जिनके साथ आप कार्य करते हैं।
आपको नुकसान पहुँचाने का कारण बने व्यक्ति पर दया दिखाना या उसे माफ करना आपके लिये आज मुश्किल होगा। ऐसा करने हेतू अत्यधिक समझ की आवश्यकता होती है। परंतु हर व्यक्ति के बारें मे सहानुभूति रखने की आपकी क्षमता आपको ऐसे व्यक्ति को माफ करने में सहायता करेगी।

मकर: महिलाएँ आज जिन पार्टियों या फंक्शनों में उपस्थित होंगी उनमें वे आकर्षक और लोकप्रिय होंगी।
संपत्ती के बारे में या कोई घरेलू समस्या का समाधान करने हेतू आपको उसमें शामिल सभी लोगो की राय लेनी चाहिये। कुछ समय अपने अहंकार को दूर रखें।

कुंभ: आज का दिन मिश्रित फलदायक रहेगा। आज आपकी अथवा घर में किसी सदस्य की सेहत अकस्मात ख़राब होने या पुराने रोग के बढ़ने से भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। कार्य क्षेत्र पर भी आज आर्थिक कारणों से कार्य अटक सकते है। उधार की वसूली में परेशानी आएगी। किसी अरिष्ट की चिंता से मन व्याकुल रहेगा। सहकर्मियों का सहयोग मिलने से थोड़ी राहत मिलेगी। कर्ज लेना पड़ सकता है। मानसिक तनाव ना बढ़ने दें आध्यात्म का सहारा लें।

मीन: भावनात्मक रुप से आपका कठिन समय चल रहा है तथा आपके हृदय के घाव भरने में थोड़ा और समय लगेगा। परंतु आपके अपने लोगों से आपको करुणा एवं सहानुभूति प्राप्त होगी। जल्द ही यह समय भी निकल जाएगा।आज आप निष्क्रियता एवं थकावट महसूस करेंगे। यह आपके सक्रिय स्वभाव के विपरीत होगा। सहजता से क्षुब्ध भी हो जायेंगे।

🌞ll ~ वैदिक पंचांग ~ ll🌞
🌤️ दिनांक – 22 अक्टूबर 2022
🌤️ दिन – शनिवार
🌤️ विक्रम संवत – 2079
🌤️ शक संवत -1944
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – शरद ॠतु
🌤️ मास – कार्तिक
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – द्वादशी शाम 06:02 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
🌤️ नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी दोपहर 01:50 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
🌤️ योग – ब्रह्म शाम 05:13 तक तत्पश्चात इन्द्र
🌤️ राहुकाल – सुबह 09:30 से सुबह 10:56 तक
🌞 सूर्योदय – 05:47
🌦️ सूर्यास्त – 05:30
👉 दिशाशूल – पूर्व दिशा में
+🚩 व्रत पर्व विवरण – गुरु द्वादशी,शनि प्रदोष व्रत, धनतेरस, भगवान धन्वंतरि जयंती- राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस यम दीपदान
🔥 विशेष – द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🌷 सूर्यग्रहण 🌷
👉🏻 25अक्टूबर 2022 मंगलवार को खंडग्रास सूर्यग्रहण (पूर्व भारत के कुछ भाग छोड़कर पूरे भारत में दिखेगा, जहाँ दिखेगा वहाँ नियम पालनीय सूरत में ग्रहण समय शाम 04:43 से शाम 06:07 तक

🌷 ग्रहण में क्या करें, क्या न करें 🌷
🌘 चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है।
🌘 सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक ‘अरुन्तुद’ नरक में वास करता है।
🌘 सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।
🌘 ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
🌘 ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
🌘 ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।
🌘 ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
🌘 ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।
🌘 ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए। ग्रहण के स्नान में गरम जल की अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है।
🌘 ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
🌘 ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं।
🌘 ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
🌘 ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सुअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
🌘 तीन दिन या एक दिन उपवास करके स्नान दानादि का ग्रहण में महाफल है, किन्तु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रान्ति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।
🌘 भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- ‘सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।’
🌘 ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
🌘 ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। (स्कन्द पुराण)
🌘 भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए।(देवी भागवत)
🌘 अस्त के समय सूर्य और चन्द्रमा को रोगभय के कारण नहीं देखना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खं. 75.24)
🙏🏻 क्या करें क्या न करें पुस्तक से

🌷 नरक चतुर्दशी 🌷
23 अक्टूबर 2022 रविवार को नरक चतुर्दशी (रात्रि में मंत्रजप से मंत्रसिद्धि, 24 अक्टूबर सोमवार को नरक चतुर्दशी (तैलाभ्यंग स्नान) ।
🙏🏻 नरक चतुर्दशी के दिन चतुर्मुखी दीप का दान करने से नरक भय से मुक्ति मिलती है । एक चार मुख ( चार लौ ) वाला दीप जलाकर इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिये –
🌷 ” दत्तो दीपश्वचतुर्देश्यां नरकप्रीतये मया ।
चतुर्वर्तिसमायुक्तः सर्वपापापनुत्तये ॥“
👉🏻 ( नरक चतुर्दशी के दिन नरक के अभिमानी देवता की प्रसन्नता के लिये तथा समस्त पापों के विनाश के लिये मै चार बत्तियों वाला चौमुखा दीप अर्पित करता हूँ।)
🙏🏻 यद्यपि कार्तिक मास में तेल नहीं लगाना चाहिए, फिर भी नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-मालिश (तैलाभ्यंग) करके स्नान करने का विधान है। ‘सन्नतकुमार संहिता’ एवं धर्मसिन्धु ग्रन्थ के अनुसार इससे नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है। जो इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान करता है उसके शुभकर्मों का नाश हो जाता है।

दिवाली में करने योग्य 🌷
१. श्री सुरेशानंदजी ने कहा है की दीपावली के दिन श्री राम अयोध्या आए थे, तो हमारे जीवन में भी श्री राम (ज्ञान), सीताजी (भक्ति) और लक्ष्मणजी (वैराग्य) आए |
२. दीपावली के दिन रात भर घी का दिया जले सूर्योदय तक, तो बड़ा शुभ माना जाता है |
३. दीपावली के दिन चांदी की कटोरी में अगर कपूर को जलायें, तो परिवार में तीनों तापों से रक्षा होती |
४. हर अमावस्या को (और दिवाली को भी) पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाने से पितृ और देवता प्रसन्न होते हैं, और अच्छी आत्माएं घर में जन्म लेती हैं.
५. नूतन वर्ष के दिन (दीपावली के अगले दिन ), गाय के खुर की मिट्टी से, अथवा तुलसीजी की मिट्टी से तिलक करें, सुख-शान्ति में बरकत होगी |
६. दीपावली की शाम को अशोक वृक्ष के नीचे घी का दिया जलायें, तो बहुत शुभ माना जाता है |

         🌞 ~ *पंचांग* ~ 🌞

🙏🏻🌷🌻🌹🍀🌺🌸🍁💐🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *