गणादेश एक्सक्लूसिवः प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष, शिया के निदेशक और मेंबर सेक्रेट्री आ गए ईडी की रडार में…

पत्थर खदानों को इंवायरमेंटल क्लीयेंस में देने में हर स्टेज पर छह से सात लाख रुपए का था रेट फिक्स
प्रदूषण नियंत्र बोर्ड से आइएफएस का नहीं हो रहा मोह भंग,
हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नियमित अध्यक्ष व मेंबर सेक्रेट्री की नहीं हुई नियुक्ती
गणादेश खोल रहा है परत दर परत प्रदूषण बोर्ड का करनामा
रांचीः झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रदूषण रोकने के बजाए खुद प्रदूषित हो गया है। इस बोर्ड में प्रदूषण इतना बढ़ गया कि इसके अध्यक्ष एके रस्तोगी, मेंबर सेक्रेट्री वाइके दास और शिया(स्टेट लेवल इंवारमेंटल कंमेटी) के निदेशक अशोक कुमार ईडी की रडार में आ गए हैं। तीनों झारखंड कैडर के आइएफएस अफसर हैं। प्रेम प्रकाश से मिले इनपुट के आधार पर ईडी अब इन अफसरों पर अपनी नजरें तरेर सकता है। इन तीन आइएफएस की मिली भगत से संताल में पत्थर खदानों को इंवायरमेंटल क्लीयरेंस, सीटीओ( कन्सर्ट टू ऑपरेट) सीटीई( कन्सर्ट टू एसटेबिलिसमेंट) दिया गया। तीनों कटेगरी में लाइसेंस देने के लिए हर स्टेप में छह से सात लाख रूपए की बोली लगी। इन सभी की लाइजनिंग प्रेम प्रकाश ने की थी। ईडी के सूत्रों के अनुसार इन तीनों अफसरों के प्रेम प्रकाश से बेहतर संबंध थे।
कैसे किया इन तीन अफसरों ने खेल, आंकड़ों ने खोल दिया राज
इन तीन अफसर एके रस्तोगी, अशोक कुमार और वाइके दास ने पत्थर खदानों के नाम पर बड़ा खेल किया है। ईडी को जो इनपुट मिला है उसके अनुसार संताल परगना में 1348 पत्थर खदान हैं और 1534 क्रशर यूनिटें हैं। देवघर में 144 पत्थर खदानें हैं, जिसमें 20 चालू हैं और 124 बंद हैं। दुमका में 281 पत्थर खदानें हैं, जिसमें 33 चालू हैं, 248 बंद हैं। गोड्डा में 58 पत्थर खदानें हैं, जिसमें सात चालू हैं और 51 खदान बंद हैं। जामताड़ा में 88 पत्थर खदाने हैं जिसमें 12 चालू हैं और 76 बंद हैं। पाकुड़ में 379 पत्थर खदानें हैं, 69 चालू हैं और 310 खदानें बंद हैं। इसी तरह साहेबगंज में 433 पत्थर खदानें हैं, जिसमें 124 चालू हैं, शेष बंद हैं। इस आंकड़े के अनुसार अधिकांश पत्थर खदानें बंद हैं। इसके बावजूद संताल परगना में 4000 डीलर हैं। पत्थर के कारोबार में 828 ट्रांसपोर्टर लगे हुए हैं। पत्थर, स्टोन चिप्स और डस्ट की ढुलाई में लगभग 1.25 वाहन निबंधित हैं।
डीएमओ ने आखिरकार उगला राज
ईडी ने जब संताल के डीएमओ से पूछताछ की, तो कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। सूत्रों के अनुसार डीएमओ से हुई पूछताछ में हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए। सिर्फ संतालपरगना के चार जिलों में वहां के डीएमओ ने 60 लाख रुपए से अधिक का चलान काटा। ये स्टोन चिप्स बंग्लादेश, बिहार, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल भेजे जाते थे। मनिहारी घाट से कैंडर से अवैध पत्थर ढ़ोये जाते थे। सवाल अब यह खड़ा हो गया कि जब अधिकांश पत्थर खदानें बंद हैं तो फिर इतना पत्थर कैसे निकाला जाता था और कैसे अवैध रूप से बाहर भेजा जाता था। सूत्रों के अनुसार ईडी अब इस एंगल से जांच कर रही है।
आइफएस अफसरों का प्रदूषण बोर्ड से मोह नहीं हो रहा भंग
वहीं झारखंड कैडर के आइएफएस अफसरों का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मोह भंग नहीं हो रहा है। हाईकोर्ट के आदेश को भी दरकिनार कर दिया गया है। हाइकोर्ट ने बोर्ड में नियमित अध्यक्ष और मेंबर सेक्रेट्री की बहाली का निदेर्श दिया था, लेकिन साल भर से अधिक होने के बावजूद नियमित अध्यक्ष व मेंबर सेक्रेट्री की नियुक्ती नहीं हो पाई है। पूर्व पीसीसीएफ प्रियेश वर्मा को अध्यक्ष बना दिया गया। कहा गया कि नियुक्ती की प्रक्रिया चल रहा है। शॉर्ट टर्म के लिए प्रभार दिया या है। इसके बाद एके रस्तोगी पीसीसीएफ बने। फिर उन्हें पदूषण बोर्ड के अध्यक्ष का प्रभार दे दिया गया। खबर यह भी आ रही है कि 30 जून को पीसीसीएफ के पद से रिटायर होने के बाद रस्तोगी बोर्ड में अध्यक्ष बने रहने के लिए जीतोड़ कोशिश भी कर रहे हैं।

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