हाईकोर्ट के फैसले के बाद नगर निकाय चुनाव रुका, अब सुप्रीम कोर्ट जायेगी नीतीश सरकार

गणादेश ब्यूरो
पटना: पटना हाईकोर्ट के नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाने के बाद राज्य सरकार ने नगर निकाय चुनाव के दो चरणों पर रोक लगा दी है। इस तरह नगर निकाय चुनाव टल गया। निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण हटाने के फैसले पर मंगलवार से ही सियासी उबाल है। अपने को ओबीसी का हितैषी साबित करने के चक्कर में सभी दल एक से बढ़कर एक दांव खेल रहे हैं।
अब राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि हाई कोर्ट ने 2007 से जारी ओबीसी आरक्षण पर गलत तरीके से फैसला दिया है। और ओबीसी आरक्षण बिहार सरकार की प्राथमिकता है। इसलिए उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ नीतीश सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी।
अब बिहार में 10 अक्टूबर से होने वाले नगर निकाय चुनाव नहीं होंगे। अंतिम चरण में प्रचार चल रहा था। उम्मीदवार पूरी ताकत झोंके हुए थे। इसी बीच एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी। आरक्षण के खिलाफ वाली याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया।
अदालत ने कहा कि ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य में अधिसूचित कर चुनाव कराए जाएंगे।पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और एस. कुमार की बेंच ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं नहीं पूरी कर लेती। राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व में जारी चुनावी कार्यक्रम के मुताबिक स्थानीय निकायों में पहले चरण की वोटिंग 10 अक्टूबर और दूसरे चरण की 20 अक्टूबर को प्रस्तावित थी।

हाई कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत बगैर ट्रिपल टेस्ट के ओबीसी को आरक्षण दे दिया। जबकि आरक्षण देने के पूर्व राजनीति पिछड़ेपन वाली जातियों को चिह्नित किया जाना था, लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर सीधे आरक्षण दे दिया। जो कि गलत है।

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