विशेष दर्जा हस्ताक्षर यात्रा भितिहरवा चंपारण से

गणादेश ब्यूरो
पटना: 2 अक्टूबर को गांधी आश्रम भितिहरवा पश्चिम चंपारण बेतिया से बिहार विशेष राज्य दर्जा अभियान समिति द्वारा हस्ताक्षर यात्रा का शुभारम्भ किया गया।समिति के अध्यक्ष संजय सिसोदिया ने कहा कि जागरूकता अभियान विगत सात महीने से पटना,गया,मोतिहारी,बेतिया व अन्य जगहों पर चल रही है।बचे हुए जिलों में भी अभियान छठ पूजा बाद शुरू कर दिया जायेगा।दिनांक 21 सितंबर को बिहार के प्रसिद्ध हड्डीरोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ अमूल्य कुमार सिंह ने आर ब्लॉक चौराहे से हरी झंडी दिखाकर तीन जागरूकता रथों को रवाना किया।
बिहार विशेष राज्य का दर्जा का नाम लोग सुने हैं, परन्तु उन्हें ये नहीं पता कि विशेष राज्य का दर्जा होता क्या है!जागरूकता रथ द्वारा लोगो को बताया जा रहा है कि 1949 से ही महाराष्ट्र,गुजरात ने बिशेष दर्जे का लाभ लिया ।आगे चलकर कर्नाटक, आंध्र,तेलंगाना ने भी आंशिक या पूर्ण रूप से समय समय पर लाभ लिया।371ए 1962 में नागालैंड को दिया गया इसी तरह अनुच्छेद 371जे तक है।बिशेष दर्जे के लिए गाडगीळ कमीशन बनी थी, जिसके अनुसार बिहार एक तिहाई मानक को पूरा करता है।एक तिहाई बहुमत से सरकार बन सकती है तो बिहार को बिशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं मिल सकता है? गुजरात,महाराष्ट्र कौन सा मानक पूरा करता था?आश्चर्य की बात है कि 2014 में गाडगील कमीशन भंग कर नीति आयोग के हवाले कर दिया गया।नीति आयोग ने घोषणा कर दिया कि सिर्फ पर्वतीय क्षेत्र को ही दिया जा सकता है। तो बिहार को नहीं दिया जायेगा।जबकि सिर्फ एक बिहार ही ऐसा राज्य है जहाँ नेपाल के पानी से हर साल बिहार बर्बाद होता है।
संगठन का मूलमंत्र है आंदोलन से कानून बनता है।जितने भी जन कानून बने।सभी आंदोलन से ही बने है।चंपारण सत्याग्रह और पटना की संपूर्ण क्रांति आंदोलन ने पूरे भारत की तस्वीर बदल दी। फिर हम बिहारी अपनी तक़दीर क्यों नहीं बदल सकते?

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