झारखंड विधानसभा और लोकसभा में विद्यापति की प्रतिमा स्थापित करने की केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने की वकालत

तीन दिवसीय मिथिला महोत्सव का समापन,बड़ी संख्या में मिथिलांचल के लोग हुए शामिल

रांची:राजधानी रांची के हरमू मैदान में झारखंड मिथिला मंच के द्वारा तीन दिवसीय मिथिला महोत्सव रविवार की देर रात संपन्न हो गया।

समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे उपस्थित हुए। कविवर विद्यापति के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया।मंच के अध्यक्ष मनोज मिश्रा सहित अन्य सदस्यों ने केंद्रीय मंत्री को मिथिला पाग,डोपटा देकर सम्मानित किया।

वहीं रूपम और पूनम के द्वारा गौसोउनी गीत जय जय भैरवी पशुपति भावमिनी माया प्रस्तुत की गई। मौके पर
केंद्रीय मंत्री ने अपने शुरुआती अद्बोधन मैथिली से किया बाद भी हिंदी में करने लगे। उन्होंने कहा कि कविवर विद्यापति प्रेरणापुंज हैं । जिनके घर में स्वयं देवों के देव महादेव उगना नाम से चाकरी करते हो उस विद्यापति के बारे में कुछ भी कहना बहुत कम होगा।
उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा में ऐसे महान कविवर की प्रतिमा स्थापित करना चाहिए। साथ भी कहा कि लोकसभा में भी इस बात को रखा है। लोकसभा में भी कविवर विद्यापति की प्रतिमा स्थापित किया जायेगा। इसके लिए मैंने मिथिलांचल के एमपी को कहा है कि आपलोग लोकसभा के अध्यक्ष से मिलकर प्रस्ताव देते रहिए। प्रतिमा स्थापित करवाने में सभी खर्चों का वहन मैं करूंगा। बाबा विद्यापति के लिए यह कौन सी बात है।
उन्होंने कहा कि पूर्व पीएम भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई ने मैथिली भाषा को अष्टम सूची में शामिल करने का काम किया था। उसी तरह झारखंड में पूर्व की रघुवर सरकार में नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने मैथिली को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिलाने ने कामयाब रहे,इसके लिए आपको बधाई देता हूं। साथ ही उन्होंने झारखंड मिथिला मंच के अध्यक्ष मनोज मिश्रा सहित सभी सदस्यों की मिथिला महोत्सव आयोजन कराने पर धन्यवाद दिया।
मंच के अध्यक्ष मनोज मिश्रा ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि तीन दिन से रांची मिथिलामय हो गया है। प्रथम दिन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। साहित्य सम्मान के रूप में महेंद्र मलंगिया को सम्मानित किया गया। इसके मैथिली गीत संगीत का प्रस्तुतिकरण हुआ।
झारखंड मिथिला मंच बीते कई सालों से रांची में मिथिला महोत्सव का आयोजन कर रही है। बीच में कोरोनकाल में बंद हो गया था। लेकिन अब सब कुछ सामान्य हो रहा है। बीते आठ जनवरी को मंच के द्वारा मातृभाषा दिवस का आयोजन किया गया था। श्री मिश्रा ने कहा कि मंच हमेशा सामाजिक कार्यों में अपनी उपस्थित दर्ज करता है।
संयोजक संतोष झा ने कहा कि झारखंड मिथिला मंच कुछ कुछ नया प्रयोग करता रहता है।2009में मधुश्रावणी का आयोजन किया गया था। इसमें मिथिला समाज के लोगों का काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला।उन्होंने केंद्रीय मंत्री से रांची से जयनगर तक जाने वाली ट्रेन को अलग से रांची से देने की मांग की।
महासचिव मिथिलेश मिश्रा ने कहा कि मैथिली भाषा को बढ़ावा देने के लिए हमलोगो को बोलचाल में मैथिली में ही बात करना होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह भाषा विलुप्त के कगार पर पहुंच जाएगा।
पूर्व सांसद यदुनाथ पाण्डेय ने झारखंड मिथिला मच के कार्यों की सराहना की।भाजपा विधायक सीपी सिंह ने मंच से मैथिली में संबोधन किया। साथ ही कहा कि आज हम लोग केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को सुनना है।
वहीं मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि मिथिला की संस्कृति बहुत रिच है। मिथिलाधाम दरभंगा में एम्स स्थापित करने के लिएभारत सरकार ने कैबिनेट से पास किया।लेकिन राज्य सरकार उसे लटका का काम कर रही है। मिथिला साहित्य में बाबा विद्यापति की रचना पूरे विश्व में प्रचलित है। वे शक्ति और भक्ति दोनों के उपासक थे। समाज की समरसता का उदहारण उनके कविता में रहता है।
पग पग पोखरी, पान, मांछ और मखान यह विश्व विख्यात है।
महोत्सव के अंतिम दिन पंडित हरिनाथ झा के द्वारा की कहू हे सखी रातुक रंग और हे गे बुधनी मांग एगो बीड़ी गीत प्रस्तुत किया। पूनम मिश्रा के द्वारा एहन सुंदर मिथिला धाम और जाहिए से गेलखिन सजना. माधव राय के द्वारा पावन मिथिला धाम, तोहार झुमका के गजबे डिजाइन गे ।जुली झा के द्वारा छोड़ू छोडू न साईयां,डिबिया आर केनैय छी सहित कई गीत संगीत प्रस्तुत किया गया। मिथिला महोत्सव परिसर में मिथिलांचल का दृश्य साफ नज़र आ रहा था। मिथिला के पान, मांछ,मखान,मिथिला साहित्य,सिक्की मोनी, जेनाउ सहित कई तरह के स्टॉल लगाए गए थे।

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