समाज में शांति ,सदभावना, भाईचारा और एकता के लिए राजयोग जरूरी: ब्रह्माकुमारी बबीता दीदी

सुपौल। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरिय विश्वविद्यालय सिमराही बाजार के तत्वधान में विश्व शांति, सदभावना एवं भाईचारा विषय पर आज स्थानीय ओम शांति केंद्र के सभागार में भव्य स्नेह मिलन समारोह का आयोजन किया गया।
यह सार्वजनिक कार्यक्रम ब्रह्माकुमारीज संस्थान के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा के 55 वे पुण्य तिथि के अवसर पर उनके द्वारा वैश्विक शांति, अमन और एकता हेतु की गई त्याग, तप और सेवाओं की स्मृति में आयोजित किया गया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज संस्थान के सिमराही सेवा केंद्र प्रभारी बबीता दीदी,डॉ वीरेंद्र प्रसाद साह,समाजसेवी प्रोफेसर बैजनाथ प्रसाद भगत,समाजसेवी परमेश्वरी सिंह यादव ,समाजसेवी विजय चौधरी,विश्व हिंदू परिषद के पूर्व जिला अध्यक्ष अनिल कुमार महतो,सौरभ कुमार,अरुण जयसवाल,सुरेंद्र भाई,ब्रह्माकुमारी बिना बहन,बिनीता देवी,मंजू देबी,रागिनी देवी ,ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी इत्यादि ओने संगठित रूप में फूलमाला द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित करके और दीपप्रज्वलन करके कार्यक्रम को शुभारंभ किया।
ब्रह्माकुमारीज संस्थान के स्थानीय सेवा केन्द्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बबिता दीदी जी ने अपने उदबोधन देते हुए कहा कि ब्रह्मा बाबा पिताश्री का दैहिक जन्म हैदराबाद सिंध में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका शारीरिक नाम दादा लेखराज था ।उनके अलौकिक पिता निकट के गांव में एक स्कूल के मुख्य प्रध्यापक थे ।दादा लेखराज अपनी विशेष बौद्धिक प्रतिभा, व्यापारिक कुशलता, व्यवसायिक शिष्टता, अथक परिश्रम, श्रेष्ठ स्वभाव एवं जवाहरात की अचूक परख के बल पर सफल प्रसिद्ध जवाहरी बने। उनका मुख्य विशेषता व्यापार में पकके थे।बिपुल धन, संपत्ति औऱ मान प्रतिष्ठा पाकर भी उनके स्वभाव में नम्रता, मधुरता औऱ परोपकार के भावना बानी रहीं। उन्होंने किसी भी परिस्थिति में, किसी भी प्रलोभन के बस अपनी भक्ति ,भावना और धार्मिक नियमों को नहीं छोड़ा। वे प्रभावशाली व्यक्तित्व और मधुर स्वभाव ,राजकुलोचित व्यवहार, शिष्ठ मधुर स्वभाव और उज्जवल चरित्र के कारण उनका उच्च प्रतिष्ठा था ।दादा लेखराज स्वभाव से ही उदार चित और दानी थे।

मुख्य अतिथि समाजसेवी एवं पूर्व मुखिया प्रोफ़ेसर बैजनाथ प्रसाद भगत जी ने कहा लोग शरीर पर तो ध्यान देते हैं। लेकिन इस शरीर को चलाने वाली आत्मा को बलिष्ठ और विकसित करने पर ध्यान नहीं देते। आत्मा को शक्तिशाली करने का उपाय राजयोग ,ध्यान का अभ्यास ही है ।उन्होंने कहा कि लोगों को आज शांति की बहुत जरूरी है।ब्रह्माकुमारीज संस्थान के सभी केंद्र शांति के स्तंभ है। जहां राजयोंग द्वारा परमात्मा के याद से शांति प्राप्त की जा सकती है।
उक्त कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी ने किया। मौके पर सुर्य नारायण भाई ,इंद्रदेव भाई,सौरभ कुमार, समाजसेवी बैधनाथ प्रसाद भगत, अरुण जयसवाल ,डॉ शशि भूषण चौधरी,अनील महतो,दीपक भाईजी,सत्यनारायण भाई, कृष्णा भाईजी , वीरेंद्र भाईजी ,नारायण भाई ,मधु देवी, ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी, बबीता दीदी, बिना बहन ,शिव माता इत्यादि सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।
अन्त में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बिना बहन जी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन करते अपने उदबोधन देते हुए कहा सभी दुखों एवं समस्याओं का मूल देह अभिमान हैं।देह अभिमान के कारण ही काम, क्रोध, लोभ ,मोह ,अहंकार,ईर्ष्या, नफ़रत, आलस्य इत्यादि मनोविकार वश हो गया है। अतः इन पर विजय पाना जरूरी है। इसके लिए नित्य दिन राजयोग का अभ्यास करना जरूरी है। उन्होंने राजयोग की विधि बताते हुए कहा कि मन ,बुद्धि से परमात्मा को याद करना, उनके गुणों को गुणगान करना, अपने आचरण को श्रेष्ठ बनाना ,कर्मयोगी बनना ही राजयोग है। अंत में सभी को ब्रह्मा भोजन एवं प्रसाद वितरण करके कार्यक्रम संपन्न किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *