19 जुलाई बुधवार का राशिफल एवम पंचांग

मेष:आज का दिन भाग्यशाली बीतेगा। सामाजिक दायरा बढेगा व मान सम्मान में वृद्धि होगी। गलतफहमी का शिकार होने से बचें। घर और बाहर के अव्यवस्थित खाने से बचें। आज खर्च भी हो सकता है । घर के छोटे सदस्यों के साथ अधिक वक्त बिताएं। उन्हें आपके सहयोग की बेहद जरूरत है। गुस्से पर नियन्त्रण कर सकारात्मक सोच पर भरोसा रखें लाभ निश्चित है। स्वास्थ्य सुधार होगा।

वृष:आज का दिन खुशगवार बीतेगा क्योंकि दिन शुभ है। अपने प्रेमी से आज मिलन होगा। दिनभर उत्साह बना रहेगा। कुछ असमंजस के कारण मुनाफे के रास्ते में अड़चन आ सकती है। माता पिता का आशीर्वाद बना रहेगा। अनुभवी से सलाह लेने पर मामला सुलझ सकता है। आराम को समय दें।

मिथुन:आज का दिन थोड़ा सावधानी से चलने का है। आसपास के लोगों से बहसबाजी में न उलझें। किसी शुभ मांगलिक कार्य में जाने का मौका मिलेगा। दूसरों की मदद से दिल को सुकून मिलेगा। सेहत सामान्य रहेगी। मनोरंजन पर समय कम खराब करें।

कर्क:आपके लिए आज का दिन सामान्य रिजल्ट देने वाला होगा। रोजगार व्यवसाय में लाभ होगा । ईमानदारी से बनाए गए रिश्ते लंबे समय तक आपका साथ निभाएंगे। कुछ लोगों की किस्मत आज चमक सकती है। स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।

सिंह:आज का दिन काफी व्यस्त रहेगा। मेहनत के बाद उसका फल मिल जाएगा। अपने पार्टनर के साथ शाम का स्पेशल प्रोग्राम कामयाब होगा। इज्जत बढ़ेगी और अचानक घूमने-फिरने से कोई फायदा हो सकता है। बच्चों के प्रति चिंता रह सकती है लेकिन सब सकारात्मक ही होगा।

कन्या:आज का दिन खुशगवार बीतेगा। लाभ के मौके मिलेंगे। किसी असरदार शख्स पर पैसा खर्च होगा। जीवन की दिशा नया मोड़ लेगी। यात्रा होगी और जायदाद के कागजों में दस्तावेजों के प्रति सजग रहें। धर्म – कर्म में रूचि बढ़ेगी। मनोरंजन के प्रयास सफल होंगे।

तुला:आपके लिए आज का दिन एक्टिव है। पैसे की परेशानियां सुलझ जाएंगी। हैल्थ से जुड़ी परेशानियां हल हो जाएंगी। कोई समाचार प्राप्त होने के योग है। किसी खास व्यक्ति से परिचय होगा और बिजनेस में फायदा पहुंचेगा। किसी खास चीज के गुम होने का दुख भी हो सकता है। भगवान पर भरोसा रखें।

वृश्चिक:थोड़ी सी मेहनत से ही सम्मान मिलेगा। अच्छे व्यवहार से नए दोस्त बनेंगे और नए प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू हो जाएगा। ऑफिस में खास परिवर्तन होंगे व काम भी बनते नजर आएंगे। मनोरंजन के प्रयास रहेंगे। मित्रमंडली से सहयोग मिलेगा। थकान रह सकती है।

धनु:आज का दिन आपके लिए अच्छा है। राजनीतिक गतिविधियां बढ़ेंगी। किसी अनुभवी व्यक्ति से लाभ उठाएं लेकिन उस पर धन खर्च होगा। जीवन की दिशा नया मोड़ लेगी। प्रॉपर्टी के मामले हल होंगे। अनजान व्यक्ति पर आंखे बंद करके विश्वास न करें।

मकर:छोटे-मोटे झगड़े दिन के पहले हिस्से में सिर उठाएंगे लेकिन आपकी सूझबूझ से जल्द ही निपट जाएंगे। बढ़ते खर्च पर लगाम लगेगी। अधिक मेहनत करेंगे और अपने व्यवहार में सुधार करेंगे तो फायदे में रहेंगे। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा।

कुंभ:व्यवसाय में लाभ होगा । ऑफिस में काम को धीरे-धीरे ही करेंगे तो फायदे निश्चित हैं । पढ़ाई-लिखाई में ध्यान दें। प्रॉपर्टी का लाभ मिलेगा। मेहनत से किए गए काम के अच्छे नतीजे निकलेंगे। ऑफिस में नए साथी काम में हाथ बंटाएंगे। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

मीन:आज आपका दिन भाग्यशाली रहेगा। व्यापार और इन्वेस्टमेंट में चिंता खत्म होगी। घूमने फिरने और मनोरंजन का सुख मिलेगा। किसी प्रियजन के लिए मानसिक चिंता हो सकती है। उदर संबंधित वेदना से बचें। नए दोस्त बनेंगे। किसी नए दोस्त से बात हो सकती है। डेली रूटीन और खाने-पीने का पूरा प्रोग्राम व्यवस्थित तरीके से बनाएं।
🌞ll ~ वैदिक पंचांग ~ ll🌞
🌤️ दिनांक – 19 जुलाई 2023
🌤️ दिन – बुधवार
🌤️ विक्रम संवत – 2080
🌤️ शक संवत -1945
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – वर्षा ॠतु
🌤️ मास – अधिक श्रावण
🌤️ पक्ष – शुक्ल
🌤️ तिथि – द्वितीया 20 जुलाई प्रातः 04:30 तक तत्पश्चात तृतीया
🌤️ नक्षत्र – पुष्य सुबह 07:58 तक तत्पश्चात अश्लेशा
🌤️ योग – वज्र सुबह 10:26 तक तत्पश्चात सिध्दि
🌤️ राहुकाल – दोपहर 12:45 से दोपहर 02:24 तक
🌞 सूर्योदय-05:18
🌤️ सूर्यास्त- 06:21
👉 दिशाशूल- उत्तर दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण – चंद्र दर्शन (शाम 07:27 से रात्रि 08:48 तक)
💥 विशेष- द्वितीया को बृहती (छोटा  बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

पुरुषोत्तम मास मे यहा पर दीपक जरूर जलाए कभी पैसे की कमी नही होगी | यह श्लोक रोज बोले मन प्रसन्न रहेगा⤵️

🌷 पुरुषोत्तम मास 🌷
18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक – पुरुषोत्तम मास
🌷 पुरुषोत्तम मास में रोज़ एक बार एक श्लोक बोल सकें तो बहुत अच्छा है
🌷 गोवर्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरुपिणम |
गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिका प्रियं | |
🙏🏻 हे भगवान ! हे गिरिराज धर ! गोवर्धन को अपने हाथ में धारण करने वाले हे हरि ! हमारे विश्वास और भक्ति को भी तू ही धारण करना | प्रभु आपकी कृपा से ही मेरे जीवन में भक्ति बनी रहेगी, आपकी कृपा से ही मेरे जीवन में भी विश्वास रूपी गोवर्धन मेरी रक्षा करता रहेगा | हे गोवर्धनधारी आपको मेरा प्रणाम है आप समर्थ होते हुए भी साधारण बालक की तरह लीला करते थे | गोकुल में आपके कारण सदैव उत्सव छाया रहता था मेरे ह्रदय में भी हमेशा उत्सव छाया रहे साधना में, सेवा-सुमिरन में मेरा उत्साह कभी कम न हो |
🙏🏻 मै जप, साधना सेवा,करते हुए कभी थकूँ नहीं | मेरी इन्द्रियों में संसार का आकर्षण न हो, मैं आँख से तुझे ही देखने कि इच्छा रखूं, कानों से तेरी वाणी सुनने की इच्छा रखूं, जीभ के द्वारा दिया हुआ नाम जपने की इच्छा रखूं ! हे गोविन्द ! आप गोपियों के प्यारे हो ! ऐसी कृपा करो, ऐसी सदबुद्धि दो कि मेरी इन्द्रियां आपको ही चाहे ! मेरी इन्द्रियरूपी गोपीयों में संसार की चाह न हो,ख आपकी ही चाह हो !

🌷 अधिक मास का माहात्म्य 🌷
🙏🏻 अधिक मास में सूर्य की संक्रान्ति (सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश) न होने के कारण इसे “मलमास (मलिन मास)” कहा गया। स्वामीरहित होन से यह मास देव-पितर आदि की पूजा तथा मंगल कर्मों के लिए त्याज्य माना गया। इससे लोग इसकी घोर निंदा करने लगे।
🙏🏻 तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहाः “मैं इसे सर्वोपरि – अपने तुल्य करता हूँ। सदगुण, कीर्ति, प्रभाव, षडैश्वर्य, पराक्रम, भक्तों को वरदान देने का सामर्थ्य आदि जितने गुण मुझमें हैं, उन सबको मैंने इस मास को सौंप दिया।
🌷 अहमेते यथा लोके प्रथितः पुरुषोत्तमः।
तथायमपि लोकेषु प्रथितः पुरुषोत्तमः।।
🙏🏻 उन गुणों के कारण जिस प्रकार मैं वेदों, लोकें और शास्त्रों में ‘पुरुषोत्तम’ नाम से विख्यात हूँ, उसी प्रकार यह मलमास भी भूतल पर ‘पुरुषोत्तम’ नाम से प्रसिद्ध होगा और मैं स्वयं इसका स्वामी हो गया हूँ।”
🙏🏻 इस प्रकार अधिक मास, मलमास, ‘पुरुषोत्तम मास’ के नाम से विख्यात हुआ।
🙏🏻 भगवान कहते हैं- ‘इस मास में मेरे उद्देश्य से जो स्नान (ब्राह्ममुहूर्त में उठकर भगवत्स्मरण करते हुए किया गया स्नान), दान, जप, होम, स्वाध्याय, पितृतर्पण तथा देवार्चन किया जाता है, वह सब अक्षय हो जाता है। जो प्रमाद से इस बात को खाली बिता देते हैं, उनका जीवन मनुष्यलोक में दारिद्रय, पुत्रशोक तथा पाप के कीचड़ से निंदित हो जाता है इसमें संदेह नहीं है।
🙏🏻 सुगंधित चंदन, अनेक प्रकार के फूल, मिष्टान्न, नैवेद्य, धूप, दीप आदि से लक्ष्मी सहित सनातन भगवान तथा पितामह भीष्म का पूजन करें। घंटा, मृदंग और शंख की ध्वनि के साथ कपूर और चंदन से आरती करें। ये न हों तो रूई की बत्ती से ही आरती कर लें। इससे अनंत फल की प्राप्ति होती है। चंदन, अक्षत और पुष्पों के साथ ताँबे के पात्र में पानी रखकर भक्ति से प्रातःपूजन के पहले या बाद में अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय भगवान ब्रह्माजी के साथ मेरा स्मरण करके इस मंत्र को बोलें
देवदेव महादेव प्रलयोत्पत्तिकारक।
गृहाणार्घ्यमिमं देव कृपां कृत्वा ममोपरि।।
स्वयम्भुवे नमस्तुभ्यं ब्रह्मणेऽमिततेजसे।
नमोऽस्तुते श्रियानन्त दयां कुरु ममोपरि।।
🙏🏻 ‘हे देवदेव ! हे महादेव ! हे प्रलय और उत्पत्ति करने वाले ! हे देव ! मुझ पर कृपा करके इस अर्घ्य को ग्रहण कीजिए। तुझ स्वयंभू के लिए नमस्कार तथा तुझ अमिततेज ब्रह्मा के लिए नमस्कार। हे अनंत ! लक्ष्मी जी के साथ आप मुझ पर कृपा करें।’
🙏🏻 पुरुषोत्तम मास का व्रत दारिद्रय, पुत्रशोक और वैधव्य का नाशक है। इसके व्रत से ब्रह्महत्या आदि सब पाप नष्ट हो जाते हैं।
🌷 विधिवत् सेवते यस्तु पुरुषोत्तममादरात्।
फुलं स्वकीयमुदधृत्य मामेवैष्यत्यसंशयम्।।
🙏🏻 प्रति तीसरे वर्ष में पुरुषोत्तम मास के आगमन पर जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ व्रत, उपवास, पूजा आदि शुभकर्म करता है, वह निःसन्देह अपने समस्त परिवार के साथ मेरे लोक में पहुँचकर मेरा सान्निध्य प्राप्त करता है।”
🙏🏻 इस महीने में केवल ईश्वर के उद्देश्य से जो जप, सत्संग व सत्कथा – श्रवण, हरिकीर्तन, व्रत, उपवास, स्नान, दान या पूजनादि किये जाते हैं, उनका अक्षय फल होता है और व्रती के सम्पूर्ण अनिष्ट हो जाते हैं। निष्काम भाव से किये जाने वाले अनुष्ठानों के लिए यह अत्यंत श्रेष्ठ समय है। ‘देवी भागवत’ के अनुसार यदि दान आदि का सामर्थ्य न हो तो संतों-महापुरुषों की सेवा सर्वोत्तम है, इससे तीर्थस्नानादि के समान फल प्राप्त होता है।
🙏🏻 इस मास में प्रातःस्नान, दान, तप नियम, धर्म, पुण्यकर्म, व्रत-उपासना तथा निःस्वार्थ नाम जप – गुरुमंत्र का जप अधिक महत्त्व है।
🔥 इस महीने में दीपकों का दान करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। दुःख – शोकों का नाश होता है। वंशदीप बढ़ता है, ऊँचा सान्निध्य मिलता है, आयु बढ़ती है। इस मास में आँवले और तिल का उबटन शरीर पर मलकर स्नान करना और आँवले के वृक्ष के नीचे भोजन करना यह भगवान श्री पुरुषोत्तम को अतिशय प्रिय है, साथ ही स्वास्थ्यप्रद और प्रसन्नताप्रद भी है। यह व्रत करने वाले लोग बहुत पुण्यवान हो जाते है।
अधिक मास में वर्जित
इस मास में सभी सकाम कर्म एवं व्रत वर्जित हैं। जैसे – कुएँ, बावली, तालाब और बाग आदि का आरम्भ तथा प्रतिष्ठा, नवविवाहिता वधू का प्रवेश, देवताओं का स्थापन (देवप्रतिष्ठा), यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह, नामकर्म, मकान बनाना, नये वस्त्र एवं अलंकार पहनना आदि।
अधिक मास में करने योग्य
प्राणघातक रोग आदि की निवृत्ति के लिए रूद्रजप आदि अनुष्ठान, दान व जप-कीर्तन आदि, पुत्रजन्म के कृत्य, पितृमरण के श्राद्धादि तथा गर्भाधान, पुंसवन जैसे संस्कार किये जा सकते हैं।
🙏🏻 स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2010, पृष्ठ संख्या 13, अंक 208

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