राष्ट्रपति चुनाव में झामुमो किसे करेगा वोट, एक तरफ कुंआ एक तरफ खाई

रांचीः राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड में महागठबंधन किसे करेगा वोट, बन गई है असमंजस की स्थिति। खासकर झामुमो किसे बोट करेगा, इसके लिए इधर कुंआ उधर खाई वाली स्थिति बन गई है। इसकी वजह यह है कि बीजेपी वे राष्ट्रपति पद के लिए पहली बाद किसी आदिवासी महिला को उम्मीदवार बनाया है। यूं कहें कि एनडीए ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। बताते चलें कि देश भर में आदिवासियों की संख्या लगभग 13 करोड़ है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है। आदिवासियों के हित की बात करना वाला झामुमो के बीच एनडीए के इस ट्रंप कार्ड से असमंजस की स्थिति बन गई है। खास कर वैसे दल जो बीजपी विरोधी राजनीति कर रहे हैं, उस पर इसका प्रभाव तो पड़ेगा ही। झारखंड की बात करें तो 2014 में बीजेपी ने गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बनाकर सभी को चौंका दिया था। रघुवर दास सीएम बने। लेकिन इसकी भरपाई के लिए द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल बनाया गया। उस वक्त द्रौपदी मुर्मू ने अपने कार्यकाल के दौरान विपक्ष में बैठे झामुमो को भी प्रभावित किया। कहा भी जाता है कि झाममुो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और द्रौपदी मुर्मू के बीच बेहतर रिश्ते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में इसका असर पड़ सकता है। फिलहाल झामुमो के विधायकों की संख्या 30 है। वहीं लोकसभा में एक और राज्यसभा में एक सदस्य हैं। लिहाजा झामुमो के लिए धर्मसंकट की स्थिति बन गई है। बताते चलें कि झारखंड विधानसभा के 81 में से 28 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है। इसमें से फिलहाल 26 सीटों पर झामुमो और कांग्रेस का कब्जा है।

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