झारखंड में शिक्षा व्यवस्था का हाल, काजग पर चल रहा स्कूल, कैंपस में दफनाया जाता है मुर्दा

रांचीः झारखंड में शिक्षा व्यवस्था भी भगवान भरोसे ही है। कहीं टीचर नहीं हैं, तो कहीं इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं तो कहीं संसाधनों का आभाव। ऐसे में राज्य के नौनिहालों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। अब हम बात कर रहे हैं पलामू की। जहां कागज पर स्कूल है, लेकिन स्कूल के कैंपस में मुर्दा दफनाया जाता है। य़ह स्कूल पलामू प्रमंडल मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर पर लेस्लीगंज पंचायत में हैष जहां स्थापित बांसदोहर कन्या मध्य विद्यालय पिछले चार वर्षों से बंद है। अब उसमें मुर्दा दफनाया जा रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार लगातार कम हो रहे बच्चों की संख्या के बीच मध्यान भोजन को लेकर उठे विवाद के कारण स्कलू को बंद कर दिया गया। स्कूल के प्रिंसिपल मुकेश गुप्ता स्थानांतिरत होकर अन्यत्र चले गए। इसके बाद स्कूल में ही ग्रामीणों ने मुर्दों का दफनाना शुरू कर दिया। इस समय स्कूल कैंपस में दर्जनों पत्थर कब्रों पर लगाए दिख रहे हैं। कब्रिस्तान बन चुके इस स्कूल के बच्चें अब दूसरी स्कूलों में दाखिला ले चुके हैं। स्कूल केवल कागज पर जिंदा है।
वर्ष 2019 में स्कूल को दोबारा खोलने का प्रयास किया था,लेकिन सफल नहीं हो पाया। चौर पंचायत की मुखिया बिंदु देवी ने बताया कि उनके स्तर से शिक्षा विभाग को कई बार स्कूल खोलने का आग्रह किया गया है। लेकिन उनकी बातें अनसुनी कर दी गईं। इस गांव के बच्चों को दो से चार किलोमीटर पैदल चलकर कर दूसरे स्कूलों में जाना पड़ता है। स्कूल के बंद होने के बाद कमरों में कुछ लोगों द्वारा भूसा रखा जाता है। शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए। बंद स्कूल तुरंत खोलने की पहल होनी चाहिए।
पलामू के जिला शिक्षा पदाधिकारी सह जिला शिक्षा अधीक्षक उपेंद्र नारायण ने बताया कि उक्त विद्यालय के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। विद्यालय में स्मारक बन गया संबंधित जानकारी ली जा रही है।

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