पटनहिया प्यार

तू पटना कि मेरीन ड्राइव सी
मैं कंकडबाग बाईपास प्रिय
तुम हरी-भरी इको पार्क बनी
मैं उजड़ा हार्डिंग पार्क प्रिय
तुम कुम्हरार की अंगराई
मैं गर्दनीबाग का टूटा पार्क प्रिय
तुम नई मॉल सी सजी-धजी
मैं न्यू मार्केट सा बेहाल प्रिय
तुम अटल पथ सी सरपट तेज
मैं फुलवारी की जाम प्रिय
तुम एम्स सी हाईटेक बनी
मैं पीएमसीएच सा बेहाल प्रिय
तुम राजनीति सी उलट-पुलट
मैं सीधा साधा बेगार प्रिय
तुम बिस्कोमान सी विशाल
मैं अतिक्रमण का मकान प्रिय
तुम नई नवेली मेट्रो सी
मैं गया लाइन की रफ्तार प्रिय
तुम बेली रोड सी सरपट हो,
मैं डाकबंगला की जाम प्रिय
तुम पलटिमार सियासत सी
मैं गठबंधन सरकार प्रिय
तुम मिलियन वाली डिजिटल सी
मैं सुबह का अखबार प्रिय
तुम मौर्या लोक की मोमो सी
मैं स्टेशन की चार् प्रिय
तुम बहाली के बाद की नियुक्ति पत्र सी
, मैं नियोजन का करार प्रिय
तुम साढ़े चार साल की अग्नि वीर,
मैं जनगणना का रोजगार प्रिय
तुम ज्ञान भवन सी हो सुंदर,
मैं गोलघर सा उखड़ा बिखड़ा बेजार प्रिय
तुम कालीघाट की शंख ध्वनि
मैं दीघा का मसान प्रिय
तू मास्क लगा कर चली आना
मैं हेलमेट वाला प्यार प्रिय
रचना – अनमोल कुमार

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