अपराध का शतक लगा चुके दुर्दांत जयनाथ साहू ने किया सरेंडर…

गणादेश ब्यूरो
रांची/खूंटी: मंगलवार को लंबे अरसे से फरार सम्राट गिरोह के सरगना जयनाथ साहू ने कानून के सामने सरेंडर कर दिया। इस दुर्दांत अपराधी पर हत्या और अपहरण समेत 100 से अधिक मामले दर्ज हैं। लंबे समय से फरार इस क्षेत्र के आतंक को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई।

इसने रांची सिविल कोर्ट में सरेंडर कर दिया है. पिछले दो दशक से यह खूंटी, रांची, गुमला और सिमडेगा में गिरोह चला रहा था. इस गिरोह के खिलाफ रांची, खूंटी और गुमला में दर्जनों व्यवसायियों की हत्या और अपहरण जैसे 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं.
सम्राट गिरोह के सुप्रीमो जयनाथ साहू ने सिविल कोर्ट में जज कमलेश बेहरा की अदालत में सरेंडर किया है. रांची, खूंटी, गुमला और सिमडेगा जिले की पुलिस को दशकों से जयनाथ साहू की तलाश थी. जयनाथ साहू मूल रूप से रांची जिला के लापुंग का रहने वाला है।
खूंटी पुलिस ने जयनाथ साहू को रिमांड पर लेने की तैयारी शुरू कर दी है. पुलिस को उससे पूछताछ के बाद कई खुलासे होने की उम्मीद है. जयनाथ साहू से खाकी और खादी से संबंध का भी खुलासा होने की उम्मीद है. जयनाथ साहू का सम्राट गिरोह रांची, खूटी, सिमडेगा, गुमला और सिमडेगा जिले में सक्रिय था लेकिन, बीतते समय के साथ इस गिरोह का वर्चस्व धीरे-धीरे कम हो गया और इससे जुड़े अपराधियों ने भी गिरोह को छोड़ दिया. इससे पहले कई जिले की पुलिस ने सम्राट गिरोह से जुड़े अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था लेकिन, जयनाथ अब तक पुलिस की पकड़ से दूर था.
खूंटी एसपी अमन कुमार ने कहा कि जयनाथ साहू के सरेंडर किए जाने की सूचना है और इसी आधार पर पुलिस कार्य कर रही है. उन्होंने बताया कि जयनाथ गिरोह ने सैकड़ों वारदातों को अंजाम दिया है और कई मामलों का उद्भेदन भी नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि जल्द ही जयनाथ साहू को रिमांड पर लिया जाएगा, उससे पूछताछ की जाएगी. जल्द ही जिले में हुए बड़े व्यवसायियों की हत्या के कारणों का खुलासा हो सकता है.
झारखंड गठन के बाद से खूंटी के इलाके में सम्राट गिरोह शुरू हुआ और धीरे-धीरे सम्राट गिरोह का दबदबा हो गया. सम्राट गिरोह के खिलाफ पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप ने साल 2000 में लड़ाई का बिगुल फूंका और झारखंड लिबरेशन टाइगर का गठन किया. बताया जाता है कि दिनेश गोप का परिवार गांव की ऊंची जाति के लोगों के निशाने पर था और उसके परिवार ने काफी प्रताड़ना भी सही थी. उस दौरान कर्रा और लापुंग के इलाके में सम्राट गिरोह काफी सक्रिय था.
उसके हथियारबंद गुर्गों के शोषण से शोषित स्थानीय लोगों ने दिनेश का समर्थन किया और साल 2001 के आसपास औपचारिक रूप से झारखंड लिबरेशन टाइगर के रूप में सम्राट गिरोह के खिलाफ एक नया दस्ता खड़ा हो गया. दोनों समूहों में खूनी भिड़ंत की कई घटनाएं हुईं और हजारों की जानें चली गईं. साथियों के मारे जाने से सम्राट गिरोह कमजोर होता गया और दिनेश गोप और जेएलटी के रूप में एक नये गिरोह का उदय हुआ, जो वर्तमान में पीएलएफआई नक्सली संगठन के नाम से झारखंड की पुलिस व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बनते जा रहा है.
सम्राट गिरोह के लगभग खत्म होने के बाद पीएलएफआई संगठन का आतंक खूंटी, गुमला और सिमडेगा में बढ़ता चला गया. इस संगठन ने रांची के तुपुदाना, बेड़ो और लापुंग में भी वर्चस्व स्थापित किया. जुलाई 2014 में पीएलएफआई ने लगातार कई वारदात किए. इसके बाद तत्कालीन मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती और तत्कालीन डीजीपी राजीव कुमार ने पीएलएफआई के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया.
इस कार्रवाई में सीआरपीएफ के अलावा हेलीकॉप्टर की भी मदद ली गयी. तब इस संगठन के अधिकांश नक्सली खूंटी छोड़ भाग चुके थे. संगठन के सुप्रीमो दिनेश गोप के भी ओड़िशा या छत्तीसगढ़ भागने की खबर आयी और कई नक्सली पकड़े गये, जबकि कुछ मारे भी गये थे.

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