महाराष्ट्र के बाद क्या भाजपा का अगला टारगेट बिहार और झारखंड है….

रांची: 24 के रण से पहले विपक्षी एकता कमजोर पड़ने लगी है। भाजपा ने महाराष्ट्र में राजनीति खेला कर पूरे देश के विपक्षी दलों को एक मैसेज देने का काम किया है। लक्ष्मी और सत्ता में बहुत ताकत होती है।भाजपा 24 के रण को किसी भी तरह फतह करना चाहती है। पिछले दिनों पटना में सीएम नीतीश कुमार ने 15 से अधिक पॉलिटिकल पार्टी के नेताओं के साथ पहली बैठक कर भाजपा के खिलाफ शंखनाद किया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए रणनीति अख्तियार किया था। वहीं दूसरी बैठक से पहले ही भाजपा ने विपक्षी एकता में सेंधमारी कर दी। महाराष्ट्र में एनसीपी के अजीत पवार के साथ कई विधायकों को अपने पाले में कर विपक्षी एकता को जोर का झटका देने का काम किया है। इससे विपक्षी एकता की बेंगलुरु में होने वाली बैठक भी टल गई।
वहीं राजनीतिक जानकारों की मानें तो महाराष्ट्र के बाद भाजपा का टारगेट बिहार और झारखंड होगा। बिहार में राज्यसभा सांसद सुशील मोदी,लोजपा सांसद चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा ने दावा किया है की जेडीयू के कई बड़े नेता और विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। वहां पर कभी भी सियासी खेला हो सकता है। सीएम नीतीश कुमार ने जब से राजद से हाथ मिलाया है तब से यह नाराजगी चल रही है। यदि ऐसा हुआ तो जेडीयू में सिर्फ नीतीश कुमार और लालन सिंह ही रह जायेंगे। अब झारखंड की बात की जाए तो यहां पर झामुमो सबसे मजबूत है। भाजपा की नजर झामुमो विधायकों पर है। पार्टी से नाराज चल रहे लोबिन हेंब्रम के भाजपा में शामिल होने की चर्चा कुछ दिनों से चल रही है। उनके साथ कई और झामुमो के विधायक भी आ सकते हैं। वैसे झामुमो पहले भी भाजपा का एलाइंस पार्टनर रह चुका है। इसबर यदि ऐसा होता है तो कोई नई बात नहीं होगी। इससे भाजपा को लोकसभा चुनाव में बिहार और झारखंड में आसानी से कमल खिलाने में मदद मिलेगी।

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