राजधानी रांची के बड़े अस्पतालों की मनमानी बढ़ी,पैसे के कारण मरीजों की जा रही जान

रांची: राजधानी रांची में निजी अस्पताल की मनमानी बढ़ गई है। इसको रोक पाने में राज्य सरकार विफल साबित हो रही है। अस्पताल प्रबंधन के द्वारा मोटी रकम चढ़ावा देने के बाद सरकार का रवैया सुस्त पड़ जाता है। इसमें गरीब मरीज की जान चली जाती है। एक छोटी सी दुर्घटना में घायल होने के बाद एक पिता अपने बच्चे को पारस अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए भर्ती कराया। उम्मीद थी की हल्की चोट लगी है तो उसका इलाज इस अस्पताल में हो जाएगा। लेकिन चार घंटे के बाद बच्चे ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। इसके बावजूद अस्पताल में पैसा डिपॉजिट कराया गया।भर्ती के समय एक लाख और बाद में फिर से एक लाख रुपये डिपॉजिट करने को परिजनों को बोला गया.लेकिन बच्चे की क्या हालत है यह उन्हे नहीं बताई गई।
मृतक की परिजन ने बताया कि खूंटी से देवड़ी मंदिर जा रहे थे। इसी बीच एक दुर्घटना हो गई।दुर्घटना में बच्चे को चोट लगी। जिसके बाद परिजनों ने उसे अस्पताल ले कर पहुँच गए। अस्पताल में पहुँचने के बाद बच्चे को ऐड्मिट ले लिया गया।अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों ने बच्चे के पिता को एक लाख रुपये डिपॉजिट करने के लिए कहा जिसके बाद पिता ने एक लाख रुपये का भुगतान कर दिया।डॉक्टर की ओर से बताया गया कि छोटी सी चोट लगी है। उसका एक्सरे करना है और भी कुछ जांच किया जाएगा।
वार्ड  में रख कर बच्चे का इलाज कर रहे थे इसी बीच शाम छह बजे डॉक्टर ने कहा कि एक लाख रुपया जमा कर दीजिए. जब परिजनों ने पूछा की एक्सरे करने की बात कही थी जिसके लिए एक लाख ऐड्मिट करने समय जमा कर चुके है. इसपर डॉक्टर ने परिजन को बताया कि बच्चा अब इस दुनिया में नहीं है. आप एक लाख रुपया जमा कर बॉडी ले जा सकते है. बच्चे की मौत कैसे हुई यह भी डॉक्टर या कोई अस्पताल का कर्मी बताने को राजी नहीं है.साथ ही परिजनों ने कहा कि अस्पताल में पैसे की लूट मची हुई है.सवाल पूछने पर डॉक्टर अस्पताल से भाग खड़े हुए है.

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