मणिपुर की शर्मनाक घटना संवैधानिक लोकतंत्र में बिल्कुल अस्वीकार्य : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : मणिपुर में हुई हिंसा के दौरान दो महिलाओं को नग्न घुमाने और उनके साथ सामूहिक रूप से दुष्कर्म करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। सोशल मीडिया पर घटना की वीडियो वायरल होने के बाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार से रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि मामले में दोनों सरकारें कार्रवाई करे।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि ‘यह बिल्कुल अस्वीकार्य’ है। सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में महिलाओं को निशाना बनाना संविधान का सबसे बड़ा दुरुपयोग है। सीजेआई ने कहा कि जो वीडियो सामने आए हैं, उससे हम बेहद परेशान हैं। अगर सरकार कार्रवाई नहीं करेगी तो हम कार्रवाई करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार वास्तव में कदम उठाए और कार्रवाई करे। संवैधानिक लोकतंत्र में यह बिल्कुल अस्वीकार्य है। यह बहुत परेशान करने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और मणिपुर सरकार से यह बताने को कहा कि अपराधियों को सजा दिलाने के लिए उन्होंने क्या कार्रवाई की है? मीडिया में दिखाई देने वाले दृश्यों के बारे में जो बताया जा रहा है, वह ‘गंभीर संवैधानिक उल्लंघन’ और महिलाओं को ‘हिंसा के साधन के रूप में’ उपयोग करना, मानव जीवन का उल्लंघन है, जो संवैधानिक लोकतंत्र के खिलाफ है। सीजेआई ने आदेश देते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार उठाए गए कदमों से अदालत को अवगत कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई अगले शुक्रवार को तय की है।
बता दें कि, 4 मई का एक वीडियो बुधवार को वायरल होने के बाद मणिपुर के कुछ इलाकों में तनाव बढ़ गया, जिसमें एक समुदाय की दो महिलाओं को दूसरे पक्ष के कुछ पुरुषों द्वारा नग्न कर के घुमाया जा रहा था। घटना से संबंधित वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है। घटना को लेकर मणिपुर के एक आदिवासी समूह ने दोनों महिलाओं को खेत में ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म किए जाने का भी आरोप लगाया है।

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