गणादेश उठा रहा है खदान से परत दर परत राजः आखिर पूर्व खान सचिव श्री निवासन 45 दिन छुट्टी पर क्यों चले गए
रांचीः आइएएस पूजा सिंघल प्रकरण के बाद खान विभाग पूरी तरह से लाइम लाइट में है। खान विभाग की जिसने भी जिम्मेवारी संभाली कमोबेश सभी पर ऊंगली उठी। पूजा सिंघल से पहले खान सचिव श्रीनिवासन थे। उसके कार्यकाल के दौरान पलामू, गढ़वा, लातेहार और कोल्हान से आधा दर्जन शिकायतें एसीबी के पास पहुंची थीं। उस संमय श्रीनिवासन ने मौखिक आदेश से बालू, लोहा, पत्थर का परिवहन चालान नियम विरुद्ध जाकर रोक दिया था। इसके बाद एसीबी ने तत्कालीन खान सचिव श्रीनिवासन के खिलाफ एफआइआर करने के साथ जांच के लिए मंत्रिमंडल सह निगरानी विभाग से अनुमति मांगी थी, लेकिन राज्य सरकार ने अनुमति न देकर श्रीनिवासन का तबादला कर दिया और उनकी जगह पूजा सिंघल को खान सचिव बना दिया। इसके बाद श्री निवासन लगभग 45 दिनों तक छुट्टी पर चले गए। इसके पीछे तर्क यही था कि कागज पर कोई आदेश-निर्देश नहीं रहेगा तो फंसने की संभावना नहीं के बराबर होगी। एसीबी की पुख्ता सूत्रों के अनुसार एसीबी ने सरकार को सभी शिकायतों से अवगत भी कराया था।
श्रीनिवासन पर ये हैं गंभीर आरोप
पहला आरोपः पलामू अंचल के तत्कालीन उप निदेशक खान राजेश कमार पांडेय ने आठ जुलाई 2021 को पलामू, गढ़वा व लातेहार जिले के जिला खनन पदाधिकारियों को पत्र भेजकर यह आदेश दिया था कि तत्कालीन खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव ने दूरभाष पर ही मौखिक आदेश जारी किया है कि आठ जुलाई 2021 की शाम चार बजे से बालू परिवहन का चालान जारी नहीं किया जाएगा।
दूसरा आरोपः श्रीनिवासन के मौखिक आदेश पर पश्चिमी सिंहभूम जिला में 13 अगस्त 2020 में 30 से अधिक आयरन ओर एवं पत्थर क्रशरों की आइडी ब्लाक करते हुए ई-चालान निर्गत करने पर भी रोक लगा दी थी। उक्त सभी क्रशर नोवामुंडी व बड़ाजामदा क्षेत्र में अवस्थित थे। एक क्रशर संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि खान सचिव श्रीनिवासन के मौखिक आदेश पर अगस्त 2020 में झारखंड मिनिरल्स रूल्स 2017 के तहत स्वीकृत डीलर लाइसेंस का आइडी झारखंड इंटीग्रेटेड माइंस एंड मिनरल मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल की ओर से ब्लाक किया गया था। इसके बाद आइडी ब्लाक करने का बिना कोई ठोस कारण बताये तीन माह बाद नौ नवंबर 2020 को सभी ब्लाक आइडी को खोल दिया गया। क्रशर संचालकों का आरोप है कि आइडी खोलने के लिए सभी क्रशर संचालकों से नकद राशि की वसूली की गयी थी।
तीसरा आरोप ः श्रीनिवासन पर ओएमएम कंपनी को लाभ पहुंचाने का भी आरोप है। इस मामले को विधायक सरयू राय विधानसभा में भी उठा चुके हैं। सरयू राय ने विधानसभा में कहा था कि 2011-12 में पश्चिमी सिंहभूम जिला में ओएमएम नाम की कंपनी ने अनुमति से ज्यादा खनन कर लिया था। उस समय पश्चिमी सिंहभूम जिला के उपायुक्त के. श्रीनिवासन थे। उपायुक्त ने उस गलती पर जुर्माना देने के लिए कुछ नहीं किया था बल्कि डीएमओ को लिख दिया कि कंपनी ने 2009-10 में जितना ज्यादा खनन कर लिया है, उसे 2011-12 में उतना कम खनन करने दीजिए। जो 2010-11 में खनन किया है उसे 2012-13 में घटा लीजिए जबकि ऐसा आदेश देने की शक्ति डीसी को नहीं है। सरयू राय ने आरोप लगाया था कि के श्रीनिवासन के उपायुक्त रहते ओएमएम कंपनी ने 2009-10 में पर्यावरण स्वीकृति की सीमा से 0.615 मीट्रिक टन और 2010-11 में 0.665 मीट्रिक टन अधिक उत्पादन किया था।