1932 अस्तित्व का विषय लोकतांत्रिक तरीके से विरोध व जनांदोलन किया जाएगा,राज्यपाल के फैसले का इंतजार : कैलाश यादव

रांची : झारखण्ड नवनिर्माण मंच के तत्वाधान में रविवार को धुर्वा में प्रमुख लोगो की आवश्यक बैठक अध्यक्ष कैलाश यादव की अध्यक्षता में हुई।
चर्चा के दौरान उपस्थित तमाम लोगों ने महागठबंधन सरकार द्वारा विगत दिनों 1932 विधेयक पारित करने के फैसले का विरोध कर दुर्भाग्यपूर्ण बताया। लोगों ने कहा कि कभी सपनों में किसी ने नहीं सोचा था की एकीकृत बिहार के समय से वर्षो से निवास करने वाले करोड़ों बहुसंख्य आबादी को हेमन्त सरकार 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का विधेयक पारित कर अपने ही राज्य में रिफ्यूजी बना देगा।
लोगों ने कहा की बेहद चिंतनीय विषय है कि वर्ष 15 नवंबर 2000 निर्माण के पूर्व से वर्तमान तक झारखंड को हर क्षेत्रों में विकसित राज्य बनाने एवं आपसी भाईचारे,सामाजिक संस्कृति को बढ़ावा देने एवं सामाजिक उत्थान में तमाम समुदाय के लोगो का बहुमूल्य योगदान रहा है ।जबकि राज्य में बिहार,यूपी,उड़ीसा,छत्तीसगढ़, बंगाल, एमपी,राजस्थान,दिल्ली जैसे अन्य जगहों के बहुसंख्यक आबादी वर्षो वर्षो से निवास कर रहे हैं । मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा लाए गए 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक गैरसंवैधानिक है, किसी भी हाल में इस विधेयक को न्यायालय अनुमति नहीं दे सकती है । क्योंकि देश के संविधान अनुसार कोई भी राज्य सरकार पूर्ण रूप से स्थानीय के नाम पर तृतीय,चतुर्थ श्रेणी की नौकरी को रिजर्व नही कर सकता है । जबकि भारतीय संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत देश में किसी भी राज्य के निवासी कही निवास कर सकते हैं,नौकरी,रोजी रोजगार कारोबार कर सकते हैं ।
ज्ञातव्य है कि भारत के अधिकांशतः राज्यों की डोमिसाइल नीति के अनुसार 3 वर्ष या 15 वर्षो से रहने वाले लोग उस राज्य का स्थानीय माना जाएगा । लेकिन झारखंड देश का पहला राज्य है जहां 1932 में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा किए गए लैंड सर्वे को आधार बनाकर 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति बनाने का विधेयक पारित किया गया है ।
यही कारण था की पूर्व में वर्ष 2002 में तत्काली मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की सरकार द्वारा बनाए गए 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति डोमिसाइल नीति को झारखंड उच्च न्यायालय के 5 जजों की खंडपीठ ने खारिज कर दिया था ।
यादव ने कहा कि 1932 विधेयक का झारखंड के महामहिम राज्यपाल के अध्ययन एवं अंतिम फैसले का इंतजार किया जाएगा उसके उपरांत झारखण्ड नवनिर्माण मंच के तत्वाधान में 1932 प्रस्तावित विधेयक के विरोध में अंतिम सांस तक प्रदर्शन करता रहेगा एवं सभी विकल्पों के साथ जनांदोलन का स्वरूप तैयार किया जाएगा ।
हेमंत सरकार 1932 और ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण को नवीं अनुसूची में शामिल कर केंद्र को भेजने का निर्णय राज्य के 60 % पिछड़े वर्ग एवं कुल साढ़े तीन करोड़ लोगो के साथ कोरा मजाक कर धोखा देने वाली बात किया है ।
बैठक में सुनिल पाण्डेय,उपेंद्र नारायण सिंह,अनिल तिवारी रामकुमार यादव, प्रो.गोपाल प्रसाद,डा.सत्यनारायण सिंह,रबिंद्र भारती, सुबोध ठाकुर,सुरेश राय,संजय कुमार, कृष्ण कुमार पांडेय, संतोष मेहता, नलिन शर्मा,जैनेंद्र राय, चंदेश्वर प्रसाद, सीपी सिंह,डीके सिंह, देवबिहारी सिंह सहित अन्य लोग मौजूद थे ।

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