विषहरी बाबा घनश्याम…जहाँ सर्प दंश से पीड़ित का बिष उतारा जाता है “

जमुई में बाबा घनश्याम का पिंडी स्वरूप आज भी वही है, जो पारंपरिक नियमानुसार मिट्टी का अस्तु बना हुआ है, जिसकी पूजा आज भी पौराणिक विधि के अनुसार की जाती है।इलाके के लोगों की पौराणिक मान्यता है कि जो लोग सर्प दंश के शिकार होते हैं, उन्हें बाबा घनश्याम के पास ले जाते हैं, और वहीं उनका वहाँ के पुजारी द्वारा, मंत्रोच्चारण से शर्प का विष उतारने का काम किया जाता है, जो किसी अलौकिक चमत्कार से कम नहीं है। बल्कि यह कहें कि सर्प दंश से पीड़ित लोगों को तत्कालीन प्रभाव से भी मुक्ति दिलाई जाती है। जिसके लिए घनश्याम बाबा विख्यात माने जाते हैं। यहाँ वर्षों से बलि प्रथा का भी प्रचलन है साथ ही मन्नत मांगकर बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराया जाता है।

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