छपरा के लोकसभा चुनाव से रोहणी पर लिखी यह कविता सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है

इनकी गाथा छोड़ चले हम छपरा के मैदानो में ,
जहां खड़ी थी रोहिणी वीर बनी मर्दानों में।
काली थी या दुर्गा थी या थी शक्ति का अवतार
लाखों करोड़ों लोगों का उसको मिल रहा है प्यार।
सोनपुर परसा अमनौर में हमने सुनी कहानी थी
मढ़ौरा गरखा छपरा के जनता ने भी मानी थी।
मामा बाबू सुनील सिंह की भांजी बहुत दुलारी थी
अबकी बार सारण के रण को जीतने की तैयारी थी।
पिता के लिए किया था त्याग,कहानी सब की जुबानी थी
बेटी बनकर हर घर आए, मन्नत सब ने मांगी थी।
चुनावी वादों से दूर जनता के दुख दर्द को पहचानी थी
सारण के तकदीर को बदलने मैदान में उतरी बेटी रोहिणी मर्दानी थी।
जितेंद्र छोटेलाल सुरेंद्र राजन रामानुज सुधांशु रामबाबू सबकी बहुत दुलारी थी
चुनावी समर में आई बीटियां सबकी प्यारी थी।
जल गया लालटेन मनोहर, सारण का सौभाग्य जगा
जनता के विश्वास से एक बार सामाजिक न्याय का दरबार सजा।

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