ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती और लोगों के जीवन स्तर में सुधार केंद्रित होना चाहिए उत्पादन: मुंडा

रांची/नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि हमें सिर्फ उत्पादन बढ़ाने पर काम नहीं करना है, बल्कि इसे ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता विकास और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान केंद्रित भी रखना है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो और हमारे सभी किसान गरीबी रेखा से बाहर कैसे आएं, इसका लक्ष्य लेकर उत्पादन को जोड़ना है। श्री मुंडा ने राष्ट्रीय उच्चतर कृषि प्रसंस्करण संस्थान, रांची (झारखंड) में, लाख व तसर उत्पादन प्रणालियों के लिए कृषि उच्चतर प्रसंस्करण पर आयोजित दो दिवसीय विचार-मंथन के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए यह बात कही।
केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि अगर आप जनजातीय क्षेत्रों के बारे में विचार करते हैं सिर्फ गरीब, कमजोर मानते हुए कार्ययोजना बनाने की बजाय वहां उद्यमिता मॉडल कैसे विकसित कर सकते हैं, इस पर मंथन करने की जरूरत है। उत्पादन इस तरीके का हो कि वह व्यक्ति के विकास के साथ-साथ देश के विकास में भी योगदान दे सके। कार्ययोजना अर्थव्यवस्था में योगदान, जीवन पद्धति में सुधार के साथ-साथ ग्रामीण अस्तित्व को बरकरार रखते हुए तैयार की जाए, क्योंकि शहरीकरण लाभ देने के लिए तो हो सकता है, लेकिन पेट भरने के लिए नहीं। यह ग्रामीण जीवन ही दे पाएगा। इस दो दिवसीय विचार विमर्श में यह निष्कर्ष निकलना चाहिए कि आज हम कहां पर हैं और भविष्य में कहां होना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी 5 ट्रिलियन इकोनॉमी या दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था की बात करते हैं, हमें उस दिशा में भी विचार करना होगा, क्योंकि लोगों के जीवन स्तर में सुधार और अर्थव्यवस्था में उनके योगदान से ही इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।
श्री मुंडा ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान 100 वर्ष पूरे कर चुका है। लगातार इस तरह के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। संस्थान का लाख की खेती में महत्वपूर्ण योगदान रहा है व इसने मशीनीकृत प्राथमिक प्रसंस्करण हेतु प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं, उत्पादन को क्रमवार तरीके से कैसे बढ़ा सकते हैं, इस पर काम करने की जरूरत है। प्राथमिक उत्पादकों व ग्रामीणों की अस्थाई आय सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना जरूरी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में मजबूती के लिए हम ताकत नहीं लगाएंगे तो वह कंज्यूमिंग ही रहेगा। यह विचार मंथन किसानों को मजबूत करने वाला होना चाहिए। चर्चा के माध्यम से विषयवार बातों को ध्यान में रखकर रोडमैप तैयार होना चाहिए। क्षेत्र को हब के रूप में कैसे विकसित कर सकते हैं, रॉ मटेरियल के लक्ष्य के साथ वैल्यू एडिशन के लिए इस एरिया में किस तरह के संस्थान शुरू किए जा सकते हैं, इस पर विचार करना है। लाख में वैल्यू एडिशन हो रहा है, तसर में एक्सपोर्ट की संभावना कितनी है, आसपास विकास की क्या संभावनाएं हैं, उत्पादन सपोर्ट, गुणात्मक सुधार और कैश क्रॉप के रूप में क्षेत्र के लोगों को लाभान्वित करने की दिशा होनी चाहिए।
इस कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक डॉ. अभिजीत कर, सीटीआर एंड टीआई के निदेशक डॉ. आर. चौधरी, लाख और तसर के किसान, उद्यमी व वन विभाग के अधिकारियों सहित हितधारकों ने भाग लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *