शनि का मनी कनेक्शन

शनि देव अच्छे कर्म करने वालों के लिए जितने कृपालु हैं, तो वहीं बुरे कर्म करने वालों के लिए उतने ही दंडाधिकारी हैं। रुष्ट हों तो शनि आर्थिक कष्ट देते हैं। जब शनि कुंडली के नीच भाव में हो तो धन हानि होती है। जब कुंडली की दशाओं में सूर्य और शनि की युति बनती है, तब भी पैसे का नुकसान होता है। राशि परिवर्तन के साथ अगर आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही तो भी शनि आपको धन हानि कराते हैं। इसके अलावा नीलम शनि का रत्न माना जाता है, लेकिन अगर बिना ज्योतिष की सलाह आप नीलम रत्न धारण कर लेते हैं तो इसका नकारात्मक प्रभाव आपको आर्थिक नुकसान करता है। वहीं शनिवार को अगर आप मांस मदिरा का सेवन करते हैं, तो शनि देव आपसे रुष्ठ हो सकते हैं जो आपके जीवन में अच्छा संकेत नहीं होगा।
माना जाता है कि जिन राशि जातकों की कुंडली में शनि तीसरे और चौथे भाव में होते हैं तो जीवन में धन लाभ की संभावनाएं बनती हैं। कुंडली के उच्च भाव में होने पर भी शनि धन लाभ कराते हैं। ऐसा शनि के विशेष अनुकूल होने, साढ़ेसाती या ढैया होने या शनि की महादशा के बावजूद शनि आर्थिक लाभ कराते हैं।
ऐसे करें प्रसन्न
शनिदेव के क्रोध से बचने और उन्हें खुश रखने के लिए ज्योयतिष शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं। माना जाता है कि शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के चौमुखी दीपक जलाने और पेड़ की तीन या सात बार परिक्रमा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। परिक्रमा करते समय 108 बार शनि बीज मंत्र का भी जाप करना चाहिए। किसी गरीब को कुछ सिक्के देकर दान करना चाहिए। व्यापार में सफलता की कामना के लिए शनिवार के दिन ब्रह्म महूर्त में सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने चाहिए। इसके अलावा दिन में किसी गरीब को भोजन दान करना चाहिए और खुद भी उस दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए। शाम को उसी पीपल के पेड़ के नीचे लोहे की कटोरी में सरसों के तेल का चौमुखी दिया जलाना चाहिए और शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए।

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