नगर निगम चुनाव में होगी राजद के नए समीकरण की अग्नि परीक्षा

नृपेन्द्र किशोर
मुजफ्फरपुर:सूबे में नगर निकायों का चुनाव जल्द होगा. इसकी प्रशासनिक तैयारी शुरू कर दी गई है. मुजफ्फरपुर में भी नगर निगम का चुनाव होना है. मेयर- उपमेयर की कुर्सी पर सभी दलों की नजर है. फिलहाल चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है.

भूमिहार- यादव समीकरण की होगी अग्नि परीक्षा

नगर निगम के मेयर- उपमेयर का चुनाव दलीय आधार पर होने की संभावना है, जबकि वार्ड पार्षदों का चुनाव स्वतंत्र होगा. इसे लेकर विगत दिनों बने नए समीकरण के तहत राजद मेयर पद पर भूमिहार प्रत्याशी उतार सकता है. वहीं, उपमेयर का टिकट अन्य जाति के उम्मीदवार को दे सकता है. यदि ऐसा हुआ तो यह चुनाव भूमिहार जाति के लिए अग्नि परीक्षा के समान होगा. इस समाज के समक्ष अपने को स्थापित करने की गंभीर चुनौती होगी.

बोचहां उपचुनाव में बना था समीकरण
भाजपा से बार-बार उपेक्षित होने और भूमिहार नेताओं के खिलाफ भाजपा नेताओं के अनर्गल आलाप से यह समाज विधानसभा उपचुनाव के दौरान आक्रोशित हो उठा. इससे पहले विधान परिषद चुनाव में भूमिहार समाज को सम्मान स्वरूप पांच टिकट देकर राजद ने दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया था. नतीजा रहा कि बोचहां उपचुनाव में इस समाज ने राजद प्रत्याशी को अपना समर्थन दिया, जिस कारण भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा.

आखिरकार क्यों बिदके भाजपा के कोर वोटर..

सूबे में भूमिहार व सहनी समाज को भाजपा का कोर वोटर माना जाता रहा है. दोनों समाज ने चुनावों में एनडीए प्रत्याशी की जीत के लिए कई बार अपने समाज के प्रत्याशी को भी नकार दिया. लेकिन, समय के साथ दोनों समाज के लोगों में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ती गई. भाजपा नेताओं के अनर्गल प्रलाप से भूमिहार समाज और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को मंत्री पद और एनडीए से हटाने से सहनी समाज भाजपा से विमुख हो गया. इसका प्रमाण बोचहां उपचुनाव के दौरान देखने को मिला. शुरू में भाजपा ने इसे हल्के में लिया, लेकिन बात जब पूरी तरह बिगड़ गई तो भाजपा को पसीने छूटने लगे. अंतिम समय में भाजपा ने दोनों समाज को अपनी ओर करने की जबरदस्त कोशिश भी की, लेकिन बात नहीं बन सकी.

भूमिहार और सहनी समाज को अपने पाले में करने में जुटी भाजपा..

बोचहां उपचुनाव में दोनों समाज के छिटकने के बाद भाजपा अब सुरक्षात्मक मोड में आ गई है. उपचुनाव के परिणाम के बाद पार्टी ने स्थिति की समीक्षा शुरू कर दी है. पार्टी में मंथन की गति इतनी सुस्त है कि नगर निकाय चुनावों तक इसमें कोई सुधार होने की भी गुंजाइश काफी कम दिख रही है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा को डैमेज कंट्रोल की दिशा में तेजी से काम करना चाहिए. इसमें सुस्ती से आने वाले दिनों में भाजपा को भारी नुकसान हो सकता है.

सांसद अजय निषाद नहीं कर सके मुकेश सहनी की भरपाई..

बोचहां के वीआईपी विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के बाद से ही सांसद अजय निषाद इस सीट को लेकर आक्रामक हो गए. वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी इस सीट पर अपना दावा जताने लगे तो भाजपा सांसद के जरिए इस सीट पर अपना दावा जताने लगी. इस बीच यूपी चुनाव में मुकेश सहनी के पैतरे से भाजपा नाराज हो गई और उन्हें मंत्री पद और एनडीए से बाहर कर दिया. इसकी तीखी प्रतिक्रिया सहनी समाज में हुई और समाज ने स्वजातीय होने के बावजूद सांसद की एक न सुनी. इस समाज ने बोचहां उपचुनाव में वीआईपी प्रमुख के आह्वान पर पार्टी उम्मीदवार को अपना एकमुश्त वोट दे दिया जो भाजपा की हार का प्रमुख कारण बना.

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