राष्ट्रपति पद का चुनाव विचारधारा की लड़ाईः यशवंत सिन्हा

अंतररात्मा की आवाज सुन कर विपक्षी विधायक मुझे वोट देंगे
देश में समाप्त हो रहा है प्रजातंत्र
संसद के बाहर धरना-प्रदर्शन पर रोक लगा दिया गया , प्रजातंत्र का मंदिर समाप्त हो रहा है
देश की वर्तमान परिस्थिति बद-से-बदतर
संसद में कुछ शब्दों को असंसदीय कहना हास्यास्पद
वह प्रजातंत्र कहां गया, जिसे बाबा साहेब आंबेडकर ने बनाया था.
रांचीः विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कहा है कि राष्ट्रपति पद का चुनाव विचारधारा की लड़ाई है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए मेरे प्रचार अभियान का आज आखिरी दिन भी है। मुझे बेहद खुशी है कि मैं इसे रांची में संपन्न कर रहा हूं। अविभाजित बिहार मेरी जन्मभूमि थी। झारखंड मेरी कर्मभूमि है। मैं इस राज्य का बहुत ऋणी हूं क्योंकि झारखंड के लोगों ने मुझे तीन बार लोकसभा के लिए चुनकर अपना प्यार, स्नेह और विश्वास दिया है।
बेहद मुश्किल समय में हो रहा चुनाव
यशवंत सिन्हा ने कहा कि भारत के 15 वें राष्ट्रपति का चुनाव बेहद मुश्किल समय में हो रहा है। हमारे गणतंत्र को संविधान के लिए इससे पहले कभी भी एक साथ इतने खतरों का सामना नहीं करना पड़ा। संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम की सबसे अनमोल देन थी, हर दिन नए खतरों का सामना कर रही है।
सत्ताधारी दल पर भी निशाना साधा
यशवंत सिन्हा ने सत्ताधारी दल को सत्ता पर कब्जा करने एवं अपनी ताकत बढ़ाने के करने के लिए संविधान के मूल्यों, आदर्शों और अवरोधों का उल्लंघन करने में कोई शर्म या संकोच नहीं हो रहा है। विपक्षी दलों में दलबदल करवाने और उनके द्वारा चलाई जा रही राज्य सरकारों को गिराने के लिए ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग जैसी एजेंसियों और यहां तक ​​कि राज्यपाल कार्यालय का भी बेशर्मी से दुरुपयोग किया जा रहा है। ऐसा मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और हाल ही में महाराष्ट्र में हुआ है। इसके लिए बेहिसाब धन का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। सार्वजनिक जीवन के अपने लंबे करियर में मैंने कभी भी ‘ऑपरेशन लोटस’ को लोकतंत्र के लिए इतना खतरनाक नहीं देखा। अगर निकट भविष्य में झारखंड में झामुमो-कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के लिए इसी तरह की गंदी रणनीति अपनाई जाए तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा।
सत्तारूढ़ दल संसद सदस्यों के अधिकारों और स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश कर रहा
लोकतंत्र पर सबसे ताजा अटैक वो तरीके हैं जिससे सत्तारूढ़ दल संसद सदस्यों के अधिकारों और स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश कर रहा है। “भ्रष्ट”, “जुमलाजीवी”, “विश्वासघात” जैसे कई शब्दों को असंसदीय घोषित किया गया, जो संसद में स्वतंत्र बहस का मजाक बनाता है। इसके अलावा, सांसदों को अब संसद परिसर के अंदर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने से भी रोक दिया गया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से मिसमैनेज्ड
भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से मिसमैनेज्ड है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के मूल्य में सबसे बड़ी गिरावट वर्तमान प्रधान मंत्री के कार्यकाल के दौरान हुई है। जो रुप्या 2014 में 58.44 का ता आज 80.05 तक पहुंच गया है। ये और गिर सकता है। अभूतपूर्व मूल्य वृद्धि ने आम लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है। उदाहरण के लिए 2014 में एक रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 410 रुपये थी। आज रांची में यह 1129 रुपये है। लगभग 300% की वृद्धि। रिकॉर्ड बेरोजगारी ने देश के युवाओं के लिए एक अंधकारमय भविष्य बना दिया है।
ऐसे राष्ट्रपति की जरूरत है जो संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करे
धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान की प्रस्तावना के स्तंभों में से एक है। सत्ताधारी दल और उनकी सरकार साम्प्रदायिक घृणा और हिंसा फैलाकर इसे सुनियोजित ढंग से खत्म करती रही है। चुनावी फायदे के लिए भारत के बहुधार्मिक समाज का ध्रुवीकरण किया जा रहा है। इसके परिणाम भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए अत्यंत खतरनाक हो सकते हैं। ऐसे समय में भारत को एक ऐसे राष्ट्रपति की जरूरत है जो संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करे। राष्ट्रपति को बिना किसी डर या पक्षपात के अपने स्वविवेक का इस्तेमाल करना चाहिए और जब भी आवश्यक हो, कार्यपालिका को संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन करने से रोकना चाहिए।
साठ से अधिक प्रेस कांफ्रेंस को किया संबोधित
अपने चुनाव अभियान के दौरान, मैंने देश के सामने विभिन्न मुद्दों और चुनौतियों पर निडरता से अपने विचार रखे हैं। इस क्रम में मैंने साठ से अधिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया है और मीडिया इंटरव्यू दिए हैं। मैंने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि भारत के लोग गणतंत्र के सर्वोच्च पद के उम्मीदवारों से यह जानने की उम्मीद करते हैं कि देश के विभिन्न मुद्दों एवं चुनौतियों पर उनके विचार क्या हैं। हालांकि, मेरे प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार ने पूरे प्रचार अभियान के दौरान चुप्पी साध रखी है। उन्होंने भारत में आदिवासी समुदायों से संबंधित मुद्दों पर भी अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी। आज मैं फिर वही दोहरा रहा हूं जो पहले भी कई बार कहा है: मैं श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का व्यक्तिगत रूप से बहुत इज्जत करता हूं। लेकिन वोट देने जा रहे सदस्यों एवं भारत के लोगों से मेरे कुछ सवाल हैं:

1) क्या भारत में एक मौन राष्ट्रपति होना चाहिए?

2) क्या भारत में रबर-स्टांप राष्ट्रपति होना चाहिए?

3) भारत के अगले राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री की रक्षा करनी चाहिए या संविधान की रक्षा करनी चाहिए?
राष्ट्रपति चुनाव में कोई व्हिप नहीं होता
राष्ट्रपति चुनाव में कोई व्हिप नहीं होता है। ये गुप्त मतदान के माध्यम से होता है। संविधान के महान निर्माताओं ने गुप्त मतदान की विधि इसीलिए तैयार की थी ताकि राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने वाले सदस्य अपनी पार्टी के निर्णय से बाध्य होने की बजाए स्वतंत्र रूप से अपने अंतरआत्मा की आवाज सुनें। इसलिए, मैं एक बार पुनः सभी सांसदों और विधायकों से विनम्रतापूर्वक अपील करता हूं कि दल एवं पार्टी से उपर उठकर मुझे वोट दें। अपने प्रचार अभियान के अंतिम दिन, मैं उन सभी विपक्षी दलों से भी अपील करना चाहता हूं, जिन्होंने मेरी उम्मीदवारी का समर्थन किया है। “भारत, भारत के लोकतंत्र और भारत के संविधान को बचाने के लिए – कृपया राष्ट्रपति चुनाव के आगे भी विपक्षी एकता जारी रखें एवं इसे और मजबूत करें।

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