जातीय जनगणना पर रोक का अंतरिम आदेश देने से पटना हाई कोर्ट का इंकार

पटना : बिहार में जाति आधारित जनगणना जारी रहेगी। पटना हाई कोर्ट ने जनगणना के दूसरे चरण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जाति आधारित गणना रोकने के लिए हाई कोर्ट में करीब छह याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से मार्च 2023 में जारी अधिसूचना को रद्द किए जाने की मांग की गई है।
बीते 18 अप्रैल को पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की और जाति आधारित गणना पर रोक लगाने का कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। पटना हाई कोर्ट में मंगलवार को जब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो याचिकाकर्ताओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह, हाईकोर्ट के अधिवक्ता दीनू कुमार समेत अन्य ने याचिका पर पक्ष रखना चाहा, लेकिन हाई कोर्ट ने सभी मामलों पर 4 मई को सुनवाई करने का आदेश दिया।
याचिका से जुड़े कई पक्षों ने जाति आधारित गणना पर रोक लगाने की अपील की, लेकिन हाई कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया।याचिकाकर्ताओं ने यह चुनौती दी है कि राज्य सरकार को जातीय जनगणना कराने का अधिकार नहीं है और यह अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है। याचिकाओं में गोपनीयता का मसला भी उठाया गया है। याचिकाकर्ता के वकीलों का कहना है कि सरकार नागरिकों की गोपनीयता के अधिकार में दखल दे रही है। अगर कोई नागरिक अपनी जाति नहीं बताना चाहता तब भी राज्य सरकार जाति आधारित गणना से उसे जाति बताने को बाध्य कर रही है।
बिहार सरकार ने रखा पक्ष
जाति आधारित गणना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने भी पटना हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा। राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता पीके शाही ने हाई कोर्ट को बताया कि जो याचिका दायर की गई है, उसमें जाति आधारित गणना के लिए आकस्मिक निधि यानी कंटीजेंसी फंड से 500 करोड़ निकालने का गलत आरोप लगाया गया है।
बता दें कि राज्य सरकार ने जाति आधारित गणना के दूसरे चरण के लिए मार्च महीने में अधिसूचना जारी की थी। इस आदेश के बाद बिहार में जातीय गणना के दूसरे चरण का काम 15 अप्रैल से शुरू हो गया है, जो पूरे एक महीने चलेगा।

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