पार्ट थ्रीः राष्ट्रीय खेल घोटालाः खेल संघों की भी खूब चली दुकानदारी

,रांची और जिमखाना क्लब में चली थी हाई फाई मीटिंग
हाई फाइ मीटिंग के नाम पर लाखों रूपए उड़ाए गए
प्रशिक्षण के नाम पर करोड़ों रूपए बहाए गए
खेल में उपयोग आने वाले सीटी पर भी कमिश्न खाया
रांचीः 34 वें राष्ट्रीय खेल नें घोटालों का रिकॉर्ड भी बना। जिसने जब चाहा तब कमीश्न खाया। इस मामले में खेल संघों के पदाधिकारी सबसे आगे रहे। खेल में उपयोग आने वाले सीटी पर भी खेल संघों के पदाधिकारियों ने कमीश्न ली। इस दौरान झारखंड ओलिंपिक संघ समेत खेल संघों की भी खूब दुकानदारी चली। इसकी बजह यह भी रही कि राष्ट्रीय खेल आयोजन की तिथि बार-बार बढ़ाई गई। तारीख बार-बार बढ़ाने से खेल संघों की चांदी हो गयी। खेल संघों के पदाधिकारियों पर लाखों रुपये खर्च किये गये। जिमखाना और रांची क्लब में हाई-फाई मीटिंग चली। मीटिंग के नाम पर लाखों रूपए पानी की तरह बहाए गए।
प्रशिक्षण पर करोड़ों रूपए किए गए खर्च
तत्कालीन सरकार ने प्रशिक्षण शिविर के नाम पर खेल संघों को पहले चरण में 1.3 करोड़ और दूसरे चरण में 1.59 करोड़ रुपये भी दिये। जिस टेनिस बॉल की कीमत 550 रुपए दर्जन थी, उसे खरीद 880 रुपए प्रति दर्जन में खरीदा गया । दूसरे खेल सामग्रियों को ऊंची कीमत पर बिना किसी टेंडर के खरीदा गया। इस पर करोड़ों का कमीश्न भी मिला। खेल संघ के कई पदाधिकारियों सहित संघ के कोषाध्यक्ष फिलहाल जांच के दायरे में हैं।
खेल संघों ने मनचाहा डिजाइन तैयार करवाया
खेल संघों ने स्टेडियम निर्माण में मनचाहा डिजाइन तैयार कराया। बार-बार डिजाइन बदलने से खेल संघों ने खूब चांदी काटी। इसमें भी कंपनियों से कमीश्न लिए गए। हद तो तब हो गई जब बॉस्केट बॉल स्टेडियम का चार बार डिजाइन बदला गया । जापान और कोरिया की कंपनी को एडवांस दिया गया। एक्वेटिक स्टेडियम में कंपनी ने पहले इटालियन कंपनी का डाइविंग बोर्ड लगाया, फिर उसे बदलकर इंडियन कंपनी ड्यूरा का बोर्ड लगाया गया।
घोटाले का पर्दाफाश होने का घटनाक्रम
नवंबर 2008 : स्टेडियम खेल सामग्री की खरीदारी शुरू हुई।
जून 2009 : घोटाला सामने आया।
अगस्त 2009 : स्पेशल ऑडिट का आदेश पारित।
अगस्त 2009 : खेल निदेशक पीसी मिश्र ने इस्तीफा दिया। फिर कुछ दिन बाद उन्हें वापस बुला लिया गया।
सितंबर 2009 : पीसी मिश्र खेल निदेशक पद से हटाये गये।
अक्तूबर 2009 : पीसी मिश्र के खिलाफ निगरानी जांच का आदेश।
अप्रैल 2010 : स्पेशल ऑडिट की रिपोर्ट में 37 करोड़ रुपये की गड़बड़ी उजागर।
सितंबर 2010 : निगरानी में एफआईआर के लिए अर्जी दी गयी।
पांच अगस्त 2018 : खेल मंत्री अमर बाउरी ने खेल घोटाले की सीबीआई जांच की अनुशंसा की।
22 अप्रैल 2022 को सीबीआइ ने केस टेक ओवर कर लिया

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