मोदी सरकार की सस्ते में सोना खरीदने की गोल्ड बॉन्ड स्कीम हो रही है सुपहिट

नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार की सस्ते में सोना खरीदने का विकल्प देने वाली सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (SGV) सुपहिट साबित हो रही है। इसके जरिए सोने में निवेश करने वाले निवेशकों को जमकर कमाई हो रही है। इस स्कीम में निवेश करने वाले निवेशकों के पैसे सिर्फ पांच साल में ही डबल हो गए। ये स्कीम सस्ते में सोना खरीदने के लिए बेहद लोकप्रिय है। इसकी शुरुआत सरकार ने साल 2015 में की थी। इसमें मैच्योरिटी पीरियड 8 साल का होता है। हालांकि इस गोल्ड बॉन्ड स्कीम का भले ही मैच्योरिटी पीरियड आठ साल हो, लेकिन इसमें पांच साल के बाद निकासी की छूट दी जाती है। बीते पांच सालों की बात करें तो वित्त वर्ष 2017-18 में के मई महीने में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की पहले चरण की की पूर्व निकासी अवधि 12 मई 2023 को पूरी हो चुकी है। इस चरण में जिन निवेशकों ने सोना खरीदा था, उनके प्रति ग्राम गोल्ड बॉन्ड का भाव 2,901 रुपये तय किया गया था, वहीं फिलहाल इसकी कीमत बढ़कर 6115 रुपये पर पहुंच चुकी है। अर्थात निवेशकों का निवेश दोगुने से भी ज्यादा हो चुका है।
पांच सालों में इस गोल्ड बॉन्ड योजना के रिटर्न की बात करें तो निवेशकों को 110 फीसदी का रिटर्न हासिल हुआ है। निवेशकों को सरकार की ये स्कीम बेहद पसंद आ रही है। इतना सरकार अब तक कुल 62 बार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी हो चुके है। इनमें से 21 ऐसे हैं, जिनकी पूर्व निकासी अवधि पूरी हो चुकी है, लेकिन निवेशक निकासी के बजाय अपने निवेश को बरकरार रखना ज्यादा फायदे का सौदा मानकर चल रहे हैं।
बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के लिए कैश, डिमांड ड्राफ्ट या फिर नेट बैंकिंग के माध्यम से पेमेंट किया जा सकता है। इसमें फिजिकल रूप से सोने की खरीदने के बजाय डिजिटल गोल्ड खरीदने की सुविधा होती है। इस गोल्ड बॉन्ड की सरकारी गारंटी होती है। सबसे खास बात ये है कि जब आप इसे बेचने का मन बनाते हैं, तो बिक्री पर आपको सोना नहीं, बल्कि उस समय उसके मौजूदा मूल्य के आधार पर पैसे मिल जाते हैं।
इस योजना के तहत आप महज एक ग्राम सोने में भी निवेश कर सकते हैं। जबकि, कोई निवेशक एक वित्तीय वर्ष में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत ज्यादा से ज्यादा 4 किलोग्राम सोने की खरीद कर सकता है। अविभाजित हिंदू परिवारों और ट्रस्‍टों के लिए ये लिमिट 20 किलोग्राम तय की गई है।

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