वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर के साथ झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा की बैठक संपन्न

रांची- झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा का एक प्रतिनिधि मंडल वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर के साथ उनकेसाथ अशोक नगर स्थित आवासीय कार्यालय में झारखंड आंदोलनकारियों व अनुसूचित क्षेत्र के झारखंडियों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित कराने के संबंध में मुलाकात की व मांग पत्र सौंपे। 12 फरवरी 2025 को पुन: झारखंड आंदोलनकारियों के जेल जाने की बाध्यता को समाप्त करने के मसले पर गृह सचिव को लेकर विशेष चर्चा करने का निर्णय लिया गया। साथ ही
झारखंड आंदोलनकारियों व झारखंडियों के नियोजन -तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के नौकरिया एवं जेपीएससी की नियुक्तियों में एवं रोजी- रोजगार में सौ प्रतिशत की गारंटी हो तथा क्षैतिज आरक्षण उत्तराखंड के तर्ज पर 10 प्रतिशत लागू करने, सभी बहालियों में आंदोलनकारियों के आश्रितों की सीधी नियुक्ति करने आदि विषयों पर चर्चा हुई। मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने गृह कर आपदा विभाग के जांच अधिनियम 1952 के तहत चिन्हित स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनकारियों जेपी आंदोलनकारियों, उत्तराखंड के आंदोलनकारियों, के देय सुविधाएं व लाभ बारे में विस्तृत जानकारी लिए।
झारखंड आंदोलनकारियों के बारे में सकारात्मक पहल सरकार करेगी हमारी सरकार की यह चिंता है। गरीबी भाग वित्त विभाग एवं विधि विभाग से आंदोलनकारियों को देय सुविधाओं एवं लाभ देने के बारे में विमर्श किया जाएगा।
प्रतिनिधि मंडल में मुख्य रूप से झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संस्थापक एवं प्रधान सचिव पुष्कर महतो, केंद्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र सिंह कुशवाहा, संयोजिका श्रीमती सरोजिनी कच्छप ,श्रीमती शियोन तिर्की, श्रीमती नेहा नवनीता, संयोजक जविउल्ला अंसारी, सुबोध लकड़ा, सुजीत कुमार राम व रंजन बाड़ा थे। झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संस्थापक एवं प्रधान सचिव पुष्कर महतो ने सरकार से झारखंड आंदोलनकारियों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार देने की मांग करते हुए कहा कि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद झाकेवली आंदोलनकारियों व झारखंडियों की स्थिति हाशिए पर है ,संवैधानिक अधिकारों से वंचित हैं। झारखंड अलग राज्य के संवैधानिक मूल्य अधूरे हैं। झारखंड व आंदोलनकारियों के अस्तित्व, अस्मिता, अलग पहचान केवल सवाल खतरें में हैं।
उन्होंने कहा कि 3 जनवरी को मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की जयंती को झारखंड आंदोलनकारी दिवस घोषित किया जाए। झारखंड आंदोलनकारियों के जेल जाने की बाध्यता समाप्त हो। झारखंड आंदोलनकारियों की अलग पहचान हो यथा स्वतंत्रता सेनानी की तरह झारखंड आंदोलनकारी, झारखंड सेनानी
,झारखंड फाइटर वगैरह का दर्जा दिये जाए। ताम्रपत्र , प्रशस्ति पत्र व सम्मान कार्ड वगैरह सम्मान समारोह पूर्वक प्रदान किया जाए। झारखंड आंदोलनकारियों को राजकीय मान -सम्मान मिलना चाहिए यथा जीते जी राजकीय सम्मान एवं मरोपरांत राजकीय सम्मान। झारखंड आंदोलनकारियों को सम्मान पेंशन समान रूप से कम से कम 50-50 हजार रु.तक प्रति माह दिये जाए।
झारखंड आंदोलनकारियों का चिंहितिकरण कार्य बिना किसी जाति- पार्टी के भेदभाव युद्ध स्तर परमात्मा किया जाए। चिन्हित हुए झारखंड आंदोलनकारियों के संपुष्टि के कार्य तेजी से हो एवं अधिसूचित आंदोलनकारियों को जल्द से जल्द जिला मुख्यालय व प्रखंड मुख्यालय चिंतित आंदोलनकारियों की सूची भेजा जाए। गजट में नाम प्रकाशित हो एवं सम्मान प्रदान किया जाए के. इनमें हमारे अमर पुरोधाओं यथा मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा , लाल हरिहरनाथ शाहदेव ,लाल रणविजय नाथ शाहदेव,एन ई होरो, निर्मल महतो ,विनोद बिहारी महतो, ए के राय,पुरनचंद, बागुन सुमराई सुशील बागे, सी पी तिर्की, देवेंद्र मांझी, सोबरन अंसारी, टेकलाल महतो, विशुन महतो, कॉ महेंद्र सिंह, डॉ रामदयाल मुंडा, रमेश सिंह मुंडा, एल पी एन शाहदेव ,सुदर्शन भगत, सुधीर महतो सुनील महतो की प्रतिमा स्थापित किए जाएं तथा झारखंड आंदोलनकारी कॉरिडोर का निर्माण कराया जाए।
साथ ही झारखंड आंदोलन के अग्रणीय नेताओं में प्रमुख दिशुम गुरु वीर शिबू सोरेन का नाम झारखंड अलग राज्य के आंदोलनकारी के रूप में अधिसूचित एवं गजट में नाम प्रकाशित कर समारोह पूर्वक सरकार द्वारा जीते जी सम्मानित किया जाए.
कौन हमने मांग की कि चिंहित झारखंड आंदोलनकारियों का बकाया एरियर का भुगतान राज्य गठन की तिथि 15 नवंबर 2000 से किया जाए। झारखंड आंदोलनकारियों को 2021 के स्थान पर 2015 से समान रूप से सम्मान का राशि का भुगतान हो एव राज्य सरकार मंत्रिमंडल की बैठक कर अपने संकल्प में शीघ्र संशोधन कर राज्य गठन की तिथि से सभी को सम्मान राशि दे। झारखंड आंदोलनकारी को सम्मान पेंशन का लाभ राज्य गठन की तिथि से ही दिया जाए। आंदोलनकारी के पेंशन को पेंशन हेड से जोड़ा जाए ताकि 1 तारीख से 10 तारीख तक सम्मान पेंशन सरकार के संकल्प के अनुरूप हो। आंदोलनकारियों को निशुल्क चिकित्सा सुविधाए , निशुल्क अंतर राज्य परिवाहन सुविधाए, रेलवे कूपन की सुविधा एवं निशुल्क शिक्षा की सुविधा के जी से पी जी* तक तकनीकी शिक्षा सहित को दिया जाए।आंदोलनकारी के नाम चौक चौराहा पर शिलालेख के माध्यम से स्थापित किया जाए। जिससे झारखंड झारखंड रंग में दिखाई दे. मृत हुए झारखंड आंदोलनकारियों के आश्रितों को विशेष संरक्षण देते हुए चिकित्सा, नियोजन, रोजी रोजगार शिक्षा आवास वगैरह की सुविधा दिए जाएं। 14-सरकारी नियुक्तियां के आवेदनों में आंदोलनकारियों के आश्रितों के लिए अलग से झारखंड आंदोलनकारी कॉलम निर्धारित किया जाए। प्रत्येक आंदोलनकारी को गुरु जी आवास की सुविधा दिए जाएं। झारखंड आंदोलनकारी के अगुआ दिशुम गुरु वीर शिबू सोरेन ने आंदोलनकारियों की स्थिति को देखते हुए पूर्व में मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को पत्र लिखकर पक्का मकान देने की सिफारिश की थी।
उन्होंने मांग की कि झारखंडियों के व्यापक हितार्थ में राज्य में समता जजमेंट लागू हो एवं 26 परसेंट रॉयल्टी का अधिकार मिले। राज्य सरकार झारखंड आंदोलनकारी को बोर्ड/ निगम /आयोग /वगैरह में भागीदारी सुनिश्चित करें। आंदोलनकारियों के आश्रितों के वाणिज्य व्यापार हेतु 50 लाख रुपया सब्सिडी में राशि सुलभ कराया जाए।
झारखंड आंदोलनकारी कल्याण कोष का गठन किया जाए. मंत्रिमंडल की बैठक के माध्यम से सरलता एवं सहजतापूर्वक उक्त मांगों पर कार्यवाई किया जा सकता है। सरकार झारखंड आंदोलनकारी कल्याण बोर्ड का गठन शीघ्र से शीघ्र किया जाए.
उन्होंने विशेष मांग की कि पांचवी अनुसूची एवं 18 जनवरी 2013 सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर पूर्व राज्यपाल कैलाशपति मिश्रा की प्रतिमा को हिनू स्थित जगन्नाथपुर थाना के ठीक बगल विधानसभा मैदान के पास रिलायंस पेट्रोल पंप के नजदीक लगाई गई है उसे शीघ्रताशीघ्र हटाया जाए. झारखंड अनुसूचित क्षेत्र में झारखंड के आदिम जनजाति, जनजातीय, अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्गों के लिए सड़क ,नाली, पेयजल, स्वास्थ्य, सुविधाएं, सिंचाई की समुचित विकास एवं युवक युवाओं के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग , आवासीय विद्यालयों की देखरेख ,शिक्षा के समुचित व्यवस्था वगैरह मामलों में हो रही उपेक्षा बंद हो। पलायन विस्थापन को रोका जाए। विभिन्न योजनाओं यथा सीसीएल ,बीसीसीएल ,इसीए सेल , भेल, चांडिल डैम, बीएसएल,
मैथन डैम, डिवीसी,एचइसी, इंसुलेटर फैक्ट्री नामकुम , ईएफ फैक्ट्री टाटीसिल्वे, टाटा कंपनी, सुगढ़ा माइंस, बॉक्साइट खदान, चिड़िया माइंस आदि के विस्थापितों को पुनर्वास मुआवजा एवं नियोजन की गारंटी की जाए। साथ ही हजारीबाग के बड़कागांव के किसानों से जबरन अदाणी ग्रुप को खेती योग्य जमीन देने की योजना को रद्द कराया जाए एवं किसानों को तनाव से मुक्त किया जाए। अनुसूचित क्षेत्र के जल, जंगल, जमीन एवं खनिज संपदाओं का दोहन ,शोषण से मुक्त करते हुए झारखंड में समता जजमेंट लागू किया जाए एवं रॉयल्टी का 26 परसेंट अधिकार झारखंड के आदिवासियों एवं झारखंडियों को दिया जाए।
अनुसूचित क्षेत्र के झारखंड के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं यथा कुडूख, मुंडा ,हो संथाली,खड़िया नागपुरी /सादरी, पंचपरगानिया, खोरठा, कुरमाली को आठवीं सूची में शामिल किया जाए एवं इसके संरक्षण संवर्धन में ध्यान दिया जाए भाषा आधारित अकादमी का गठन हो। झारखंड के अनुसूची क्षेत्र में गैर झारखंडियों की प्रतिमा लगाकर यहां के डेमोग्राफी को समाप्त न किये जाए। जमीन जगह के हस्तांतरण एवं खरीद बिक्री को रोका जाए। अनुसूचित क्षेत्रों में कल- कारखानों उद्योग धंधों खदानों के उत्खनन वगैरा कार्यों से हो रहे हैं पर्यावरण प्रदूषण के कारण टीबी एवं सिलिकोसिस नामक बीमारियों से रोकथाम यथाशीघ्र किया जाना चाहिए। बीमारियों से जूझ रहे लोगों की समुचित इलाज की व्यवस्था हो।
अनुसूचित क्षेत्र के बेटियों को मानव तस्करियों से बचाया जाए व महानगरों से मुक्त किया जाए।

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