नेपाल में हो रहे चुनाव से भारत पर कैसे प्रभाव पड़ेगा!

हरिअक्ष नाथ तिवारी
20 सितंबर 2015 को जब नेपाल के 598 सदस्यों वाले संवैधानिक सभा के 538 सदस्य नेपाल के दूसरे संविधान के पक्ष मे अपनी सहमति दे रहे थे, तब उनके मन मे ये शंका थी कि कहीं नेपाल के पहले संविधान की तरह इसका भी विरोध ना शुरू हो जाए। उन्हें ये अंदाजा नहीं था कि यह संविधान उनके देश के लोकतंत्र को कितना मजबूत करेगा!
दिसम्बर 2020 में नेपाली संसद भंग होने के बाद सबके मन में ये विचार जरूर आया था कि नेपाल के नए संविधान के साथ भी वही होगा, जो नेपाल के पहले संविधान के साथ हुआ था। यानी उसे भी निष्प्रभावी कर दिया जाएगा।
दुनिया के अलग-अलग देशों के लोगों का उनके देश के लोकतंत्र से भरोसा उठ रहा हो, तब एक नए नवेले लोकतांत्रिक देश के संविधान निर्माताओं के मन की झिझक वाजिब थी। जब मेक्सिको, ग्रीस, ब्राजील और स्पेन जैसे देशों के नागरिकों का अपने देश के लोकतंत्र से मोहभंग हो जाए। उस वक्त नेपाली नेताओं का आत्मविश्वास डगमगाना कोई नई और बड़ी बात नहीं थी।
नेपाल के इस नए संविधान पर सिर्फ नेपाली नागरिकों की ही नहीं बल्कि भारत समेत तमाम देशों की नजर थी। इस संविधान ने नेपाल के एकात्मक शासन को बदल कर संघीय सरकार को मान्यता दी थी।
इसके बाद 2017 में नेपाल में पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव हुए। दिसंबर 2020 में हुए राजनैतिक कांड के बाद किसी को उम्मीद नहीं थी कि नेपाल में स्थानीय निकाय चुनाव अपने समय पर होंगे।

स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे चीन और भारत की विदेश नीति को प्रभावित करेंगे…

नेपाल में कुल 79 दलों ने स्थानीय चुनाव के लिए अपने उमीदवार खड़े किए हैं। इस चुनाव में 5 सत्तारूढ़ दलों ने गठबंधन किया है, जिसमें नेपाली काँग्रेस, सीपीएन (सेंटर), सीपीएन (यूनिफाइड- सोशलिस्ट), जनता समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनमोर्चा शामिल है। वहीं नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी, सीपीएन यूएमएल ने राष्ट्रीय प्रजातन्त्र पार्टी, नेपाल परिवार पार्टी और लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है।
नेपाल के मधेसी लोग साम्यवादी दलों को अपना मत नहीं देते हैं, और ठीक इसी तरह नेपाल के पहाड़ी लोगों का मत कभी भी नेपाली काँग्रेस को नहीं मिला है। अगर इस स्थानीय निकाय चुनाव में गठबंधन की वजह से नेपाली काँग्रेस को पहाड़ी लोगों का वोट मिलता है और साम्यवादी दलों को मधेसी लोगों का वोट मिलता है तो ये गठबंधन आगे भी चलेगा। अगर गठबंधन का गणित विफल होता है। तो ऐसी स्थिति में सभी साम्यवादी दलों के गठबंधन की संभावना है। नेपाल का स्थानीय निकाय चुनाव नेपाल के संसदीय और राजकीय चुनाव को प्रभावित करेगा।
अगर नेपाल के स्थानीय निकाय चुनाव में नेपाली कांग्रेस ज्यादा सीटों पर अपनी पकड़ बनाती है तो उससे भारत को फायदा होगा। ठीक इसके इतर सीपीएमएल और उनके सहयोगी दलों की बढ़त चीन के लिए फायदेमंद साबित होगी।
नेपाल में स्थानीय सरकारें अधिकारों और संसाधनों दोनों से सशक्त हैं। संविधान स्थानीय सरकारों को 22 विशेष राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकार प्रदान करता है। इसी तरह, समवर्ती शक्तियों की एक लंबी सूची है।

भारत को ये भी देखना है कि हाल ही में नेपाल में लागू किए संविधान का तराई इलाकों में जमकर विरोध हुआ था। संविधान में बदलाव की मांग को लेकर जमकर हिंसा हुई। मधेशियों को देश में दोयम दर्जा देने वाले संविधान का मधेशियों ने पुरजोर विरोध किया। बावजूद इसके वो संविधान लागू हुआ। नेपाल के मधेशी चीन के मुकाबले खुद को भारत के करीब महसूस करते हैं। सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से वो भारत के करीब हैं भी।
इसके ठीक उलट नेपाल के पहाड़ी इलाकों में बसी आबादी की अलग सोच है। मंगोलियाई मूल की ये आबादी चीन से नजदीकी महसूस करती है। दरअसल शारीरिक बनावट और खान-पान की संस्कृति के मामले में नेपाल की पहाड़ी आबादी चीनियों के करीब है भी। नेपाल के पहाड़ में बसे लोग और चीन की बड़ी आबादी मंगोल मूल की है। लिहाजा दोनों में ठीक वैसा ही अपनापन है, जैसा नेपाल के मधेशी और भारतीय लोगों के बीच है।
नेपाल की ज्यादातर ज़रूरतें भारत से पूरी होती हैं, भारत के सीमावर्ती इलाकों में भारत-नेपाल के लोगों के बीच बेटी-रोटी का रिश्ता है। लिहाजा, नेपाल की बड़ी सियासी जमात भारत के साथ बेहतर रिश्तों की पैरोकार है।
नेपाल ने 6 महानगरीय क्षेत्र, 11 उप-महानगरीय क्षेत्र 246 नगर पालिका और 460 ग्रामीण नगरपालिका में होने वाले चुनावों को शांतिपूर्ण ढंग से करने के लिए भारत का सहयोग मांगा है। नेपाल से सटे भारत के राज्यों के अधिकारियों ने नेपाली अधिकारियों से बैठक कर नेपाल में होने वाले चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से कराने के लिए भारत और नेपाल की सीमा को 13 मई की रात तक बंद कर दिया है। केवल आकस्मिक सेवाएं यथावत रहेंगी। नेपाल में मेयर, डिप्टी मेयर, चेयरपर्सन, डिप्टी चेयरपर्सन, वार्ड चेयरपर्सन और वार्ड मेंबर सहित कुल 35221 प्रतिनिधियों का चुनाव होना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा से भारत और नेपाल के संबंध सुधरेंगे?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 मई को नेपाल जाएंगे। मंगलवार को नेपाल में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने कार्यक्रम स्थल का दौरा कर व्यवस्था की जानकारी ली। पीएम मोदी लुंबिनी के एक होटल में भारतीय मूल के 50 नेपाली नागरिकों एवं बच्चों से मुलाकात करेंगे। जिसकी लिस्ट नेपाल-भारत मैत्री केंद्र ने दूतावास को सौंप दिया है। दूतावास के अधिकारी प्रधानमंत्री के आगमन तक लुंबिनी में रहेंगे। 2019 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का यह पहला नेपाल दौरा है। पहले कार्यकाल में वो चार बार इस पड़ोसी देश के दौरे पर गए थे।
लुम्बिनी नेपाल के भैरवा जिले में है। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा एक महीने पहले भारत दौरे पर आए थे। इस दौरान उन्होंने मोदी से मुलाकात की थी। नेपाल में मोदी के दौरे की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। मोदी दिल्ली से कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचेंगे और इसके बाद हेलिकॉप्टर से नेपाल के लुम्बिनी पहुंचेंगे। यहां वे माया देवी मंदिर जाएंगे। यही भगवान बुद्ध की जन्मस्थली है। नेपाली प्रधानमंत्री देउबा प्रधानमंत्री मोदी से मिलने से पहले नेपाल के दूसरे अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे का उद्घाटन करेंगे, जिसे चाइनीज नार्थवेस्ट सिविल एविऐशन एयरपोर्ट कन्स्ट्रक्शन ग्रुप ने बनाया है। इस एयरपोर्ट का नाम गौतम बुद्ध के नाम पर रखा गया है। प्रधानमंत्री मोदी से मिलने से ठीक पहले इस एयरपोर्ट के उदघाटन को कई विशेषज्ञ अंतर्राष्ट्रीय राजनीति से जोड़ कर भी देख रहे है।

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