राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन पहुंचे उलिहातु,भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके वंशजों से की मुलाकात

खूंटी: झारखंड के नए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन शनिवार को राज्यपाल पद की शपथ लेने के बाद भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू पहुंचे। राज्यपाल को जिला प्रशासन ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। उनका स्वागत पारंपरिक रूप से भगवान बिरसा मुंडा के वंशजों ने किया ।
राज्यपाल ने बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया। साथ ही बिरसा मुंडा के वंशजों और सखी मण्डल की दीदियों  से मुलाकात किया।  इस दौरान राज्यपाल की धर्मपत्नी एवं सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन व अन्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया गया। जिले के डीसी शशि रंजन सहित तमाम जिले के अधिकारी मौजूद रहे।
मौके पर डीसी ने कहा कि उलिहातु में किसानों को उन्नत कृषि गतिविधियों को जोड़ने के उद्देश्य से किसान पाठशाला को विकसित किए जाने की योजना है। ड्रैगन फल, चाय, कॉफी और बागवानी फसलों जैसी उच्च उपज और उच्च मूल्य वाली फसल को बढ़ावा दिया जाएगा।
साथ ही पारंपरिक खेती के साथ – साथ वाणिज्यिक खेती के संबंध में किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ ही उत्पादन सह संसाधन केंद्र विकसित किया जाएगा।
जिला प्रशसान द्वारा उलिहातु को एक पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने की दिशा में अनेक योजनाएं क्रियान्वित हैं। उलिहातु जाने वाली पक्की सड़क पर एक भव्य बिरसा मुंडा द्वार निर्मित है। यहां भगवान बिरसा मुंडा की एक भव्य व आर्कषक प्रतिमा स्थापित है। उनके आवासीय परिसर का सुंदरीकरण कर ‘‘बिरसा ओड़ाः‘‘ का निर्माण कराया गया है। बिरसा ओड़ाः में भगवान बिरसा मुंडा की आदमकद प्रतिमा स्थापित है। प्रत्येक साल भगवान बिरसा जयंती के अवसर पर 15 नवंबर को उलिहातु में भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है, जहां हजारों की संख्या में खास व आम लोग आकर अमर शहीद वीर बिरसा को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। अमर शहीद बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 ई को हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा मुरहू प्रखंड के बुरजू स्थित मिशन स्कूल से प्राप्त की। उनकी गिनती मेधावी छात्र के रूप में होती थी। इसके मद्येनजर आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें चाईबासा भेज दिया गया।
यहां आकर लोग गर्व महसूस करते हैं कि हम भगवान बिरसा मुंडा की भूमि पर आये हैं जिन्होंने अपने अदम्य साहस एवं चमत्कारी नेतृत्व की क्षमता से अपनी अमर गाथा लिखी है। वे एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने आम आदमी की पहचान से उपर उठकर भगवान का संबोधन प्राप्त किये। 

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