गणादेश खासः 34वें राष्ट्रीय खेल से पहले हुआ था बड़ा ‘खेल,’कई सफेदपोश आएंगे निगरानी के दायरे में, निकलेगा जिन्न आइएफएस पीसी मिश्रा खुद हैं चार्ज शीटेड, अब हाकी इंडिया के उपाध्यक्ष पर करेंगे एफआइआर दो पूर्व मंत्री के साथ एक दर्जन हाई प्रोफाइल पर है पैनी नजर
रांचीः खेल : वर्ष 2011 में रांची के खेल गांव में 34वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन कर इतिहास तो रचा गया, लेकिन इस पर घोटाले का काला धब्बा भी लगा। अब इसमें फिर एक नया मोड़ आ गया है। आइएफएस अफसर पीसी मिश्र पीसी मिश्रा हाकी झारखंड के अध्यक्ष भोला नाथ सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए दो-दो बार लालपुर थाने जा चुके हैं। उनका आरोप है कि भोला नाथ ने उनके खिलाफ न्यायालय को गुमराह किया है और गलत तथ्य देकर उन्हें 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाले में फंसाया है। उनके पास इससे संबंधित दस्तावेज भी हैं। उनके आवेदन पर अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
खुद चार्ज शीटेड हैं पीसी मिश्र
आइएफएस अधिकारी रहे पीसी मिश्रा 34वें राष्ट्रीय खेल के वक्त झारखंड में खेल निदेशक थे। उनके विरुद्ध अनुसंधान में झारखंड पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भी पर्याप्त साक्ष्य का दावा करते हुए आरोप पत्र दाखिल किया था। मामला न्यायालय में विचाराधीन है। उस समय भोलानाथ सिंह झारखंड राज्य कुश्ती संघ के महासचिव थे।
कई सफेदपोश आएंगे निगरानी जांच के दायरे में
खेल उपकरण के साथ स्टेडियम निर्माण में करोड़ों रुपये की बंदरबांट होने के आरोप हैं। इसमें कई सफेद पोश निगरानी जांच के दायरे में आ गये है। दो पूर्व मंत्री के साथ एक दर्जन हाई परोफाइल लोगों पर निगरानी में सिकंजा कश दिया है। आरोप यह भी है कि उस समय सत्ता में काबिज नेताओं और अफसरों ने निर्माण कार्य में तिगुने रेट की वसूली की। 31 मई 2006 को स्टेडियम निर्माण के लिए सिंप्लेक्स और नागार्जुना के बीच 18 महीने का करार हुआ था। करार के वक्त यह प्रोजेक्ट 206 करोड़ रुपये का था। तिथि बढ़ने से यह प्रोजेक्ट 377.7 करोड़ का हो गया। फिर एक बार अवधि विस्तार होने से यह प्रोजेक्ट 506 करोड़ रुपये का हो गया। इस दौरान तत्कालीन डिप्टी सीएम, खेल मंत्री सहित अफसरों पर स्टील बीम, मिट्टी, बालू, चिप्स से लेकर मैनपावर तक में मुनाफा कमाने के आरोप लगे। अतिरिक्त सामान के नाम पर 10 करोड़ रुपये भी वसूले गये।
61 करोड़ का आज तक नहीं मिला है हिसाब-किताब
तत्कालीन राज्य सरकार ने स्टेडियम निर्माण के एवज में 506 करोड़ रुपये खर्च किये। जबकि, कंपनियों को 445 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया। शेष 61 करोड़ रुपये का ब्योरा अब तक न तो सरकार के पास है और न ही एजेंसी के पास। डिप्यूटेड रेट को फाइनल करने के लिए अपीलेट कमिटी भी बनी। इसमें मेकन, सीपीडब्ल्यूडी के सदस्यों को शामिल किया गया था, लेकिन इस कमिटी को कैबिनेट से भी मंजूरी नहीं दी गयी।
खेल संघों की भी खूब चली दुकानदारी
झारखंड ओलिंपिक संघ समेत खेल संघों की भी खूब दुकानदारी चली। राष्ट्रीय खेल आयोजन की तिथि बार-बार बढ़ाने से खेल संघों की चांदी हो गयी। खेल संघों के पदाधिकारियों पर लाखों रुपये खर्च किये गये। जिमखाना और रांची क्लब में हाई-फाई मीटिंग चली। सरकार ने प्रशिक्षण शिविर के नाम पर खेल संघों को पहले चरण में 1.3 करोड़ और दूसरे चरण में 1.59 करोड़ रुपये भी दिये। खेल संघ के कई पदाधिकारियों सहित संघ के कोषाध्यक्ष फिलहाल जांच के दायरे में हैं।
क्या–क्या हुई अनियमितता
बॉस्केट बॉल स्टेडियम के निर्माण में तीन साल का समय लगा।
चार बार बदला गया डिजाइन।
जापान और कोरिया की कंपनी को एडवांस दिया गया।
एक्वेटिक स्टेडियम में कंपनी ने पहले इटालियन कंपनी का डाइविंग बोर्ड लगाया, फिर उसे बदलकर इंडियन कंपनी ड्यूरा का बोर्ड लगाया गया।
ऐसी थी स्टेडियमों की लागत राशि
स्टेडियम लागत राशि (रुपये में)
मुख्य स्टेडियम- 140 करोड़
बॉस्केट बॉल- 30 करोड़
एक्वेटिक – 25 करोड़
बैडमिंटन – 25 करोड़
शूटिंग रेंज- 10 करोड़
टेनिस कोर्ट, टेनिस स्टेडियम और प्रैक्टिस कोर्ट- 33 करोड़
ऐसे तय किया गया मनमाना रेट
मैटेरियल सरकारी रेट मनमुताबिक रेट
जेड सेक्शन 8700 रुपये 22 हजार रुपये
एसीटी फ्रेम 6200 रुपये 22 हजार रुपये
बल्ब शेड 6200 रुपये 22 हजार रुपये
सिटिंग अरेंजमेंट 9000 रुपये 22 हजार रुपये
मैनपावर 1800 रुपये 2400 रुपये से अधिक
बालू, चिप्स और ईंट कैरेज रेट (आठ किमी) 22-40 (किमी)
घोटाले का पर्दाफाश होने का घटनाक्रम
नवंबर 2008 : स्टेडियम खेल सामग्री की खरीदारी शुरू हुई।
जून 2009 : घोटाला सामने आया।
अगस्त 2009 : स्पेशल ऑडिट का आदेश पारित।
अगस्त 2009 : खेल निदेशक पीसी मिश्र ने इस्तीफा दिया। फिर कुछ दिन बाद उन्हें वापस बुला लिया गया।
सितंबर 2009 : पीसी मिश्र खेल निदेशक पद से हटाये गये।
अक्तूबर 2009 : पीसी मिश्र के खिलाफ निगरानी जांच का आदेश।
अप्रैल 2010 : स्पेशल ऑडिट की रिपोर्ट में 37 करोड़ रुपये की गड़बड़ी उजागर।
सितंबर 2010 : निगरानी में एफआईआर के लिए अर्जी दी गयी।
पांच अगस्त 2018 : खेल मंत्री अमर बाउरी ने खेल घोटाले की सीबीआई जांच की अनुशंसा की।