जिला स्तरीय मुखिया कार्यशाला में नई शिक्षा नीति के संबंध में विस्तार से दी गई जानकारी

खूंटी: झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय, कन्या सभागार में जिला स्तरीय मुखिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में नई शिक्षा नीति के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही विद्यालयों में 5 से 18 आयुवर्ग के बच्चों का नामांकन, ठहराव एवं 12वीं तक की शिक्षा को पूर्ण कराने में ग्रामीण जनप्रतिनिधियों की जिम्मेवारी के संबंध विस्तृत चर्चा का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्धाटन खूंटी के जिला परिषद अध्यक्ष श्री मसीह गुड़िया, उप विकास आयुक्त श्री नितीश कुमार सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी  श्री अतुल कुमार चौबे  सहित अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। मौके पर विद्यार्थियों की सुविधा हेतु जिज्ञासा चैट बोट तथा डीजी-साथ (झारखंड) लांच किया गया।
कार्यशाला में जिला परिषद अध्यक्ष ने कहा कि मानव जीवन में शिक्षा का महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि सभी जनप्रतिनिधि गांव और समाज से जुड़े होते हैं। जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र के विद्यालयों और आंगनबाड़ी केन्द्रों की अद्यतन स्थिति से अवगत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों का बेहतर कैसे बनाया जाय, इसकी सोच रखने की आवश्यकता है। उन्होंने पंचायत स्तर पर योजनाओं के चयन में विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों के विकास से संबंधित योजनाओं को प्राथमिकता देने की अपील की। उन्होंने गांव के अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरुक करने की अपील करते हुए कहा कि गांव में बच्चे नशापान की ओर अग्रसर हो रहे हैं जो चिंता का विषय हैं, इसे लेकर क्षेत्र में लोगों को जागरूक करें।
मौके पर उप विकास आयुक्त ने कहा कि किसी भी योजना को धरातल पर उतारने में जनप्रतिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने शिक्षा के विकास में मुखिया की भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि विद्यालयों में पठन-पाठन कार्य, आधार संरचना सहित अन्य व्यवस्थाओं पर घ्यान देना मुखियाओं की भी जिम्मेवारी बनती है। स्कूल में नामांकन के बाद कई बच्चे नियमित रुप से स्कूल नहीं जाते हैं। ड्राॅप आउट बच्चों की पहचान कर उन्हें विद्यालय से जोड़ने तथा ड्राॅप आउट की समस्याओं को रोकने की दिशा में आवश्यक पहल करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिधियों को चाहिए कि बच्चे क्यों नहीं स्कूल जा रहे हैं, इसकी जानकारी प्राप्त करें और उनके माता-पिता को अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरुक करें। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र भी शिक्षा का एक केंद होता है, जहां स्कूल से पूर्व बच्चों को शिक्षा दी जाती है। विद्यालयों और  आंगनबाड़ी क्रेन्द्रों में आधारभूत व्यवस्थाएं यथा- पेयजल, शौचालय, अतिरिक्त क्लास रुम सहित अन्य छोटे-छोटे कार्यों के लिए 15वें वित आयोग अनुदान के तहत आवंटित राशि का व्यय मुखिया द्वारा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मुखिया को चाहिए कि वैसी योजनाओं का चयन करें जिसका लाभ समाज के लागों को लंबे समय तक प्राप्त हो सके।
जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई।
कार्यक्रम में जिला परिषद सदस्य, विभिन्न प्रखंडों के प्रमुख, मखिया, स्वयं सेवी संस्था सिन्नी टाटा ट्रस्ट व प्रतिज्ञा के प्रतिनिधि सहित शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी शामिल थे।

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