बच्चों में बहरेपन का पता लगाने के लिए प्रशासन संवेदनशील

गणादेश ब्यूरो
गया: बच्चों के बहरेपन का पता लगाकर व उसका इलाज कराने के लिए श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट मील का पत्थर साबित हो रहा है। गया समाहरणालय में जिलाधिकारी डॉक्टर त्यागराजन एसएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि बहरेपन के शिकार चार बच्चों को इलाज के लिए कानपुर रेफर किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि श्रवण श्रुति कार्यक्रम की शुरुआत गया जिले से की गई है। जिसके तहत आंगनवाड़ी केंद्रों में 0 से 6 साल तक के बच्चों को कान से सुनने की क्षमता को ऑडियोमेट्री के माध्यम से जिला प्रशासन ने जांच करवाना शुरू किया है। अभी तक 11511 बच्चों की जांच की गई है। जिसमें 43 ऐसे बच्चे मिले जो सुन नहीं पा रहे थे। 30 बच्चे अस्थाई रूप से सुन नहीं पा रहे थे। उसमें से 7 वैसे बच्चों को चिन्हित किया गया है जिनके इंनर ईयर में प्रॉब्लम के कारण सर्जरी की आवश्यकता है। जिलाधिकारी ने कहा कि एक बच्चे का पहला सर्जरी किया गया जिसमें सफलता मिली है। अब 4 बच्चों को जिला प्रशासन कानपुर भेज रही है। जहां इनका निःशुल्क ईलाज होगा। विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि बच्चे छह माह की उम्र से ही प्रतिक्रिया देना आरंभ कर देते हैं। यदि बच्चे प्रतिक्रिया नहीं देते हैं तो संभवत: उनमें जन्मजात बहरेपन की समस्या होती है। वहीं बच्चों में भाषा की समझ होने के लिए उनका अच्छी तरह सुनना जरूरी है। कई बार बहुत देर से माता पिता को बच्चों में कम सुनने या बहरेपन का पता चल पाता है। बच्चे में बहरेपन का पता लगाना जरूरी है। यदि जन्म के समय बहरेपन का पता चल जाये तो उसका इलाज संभव है। बच्चों में बहरापन दूर करने के लिए श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट संचालित किया जा रहा है। बच्चों के बहरेपन की गंभीरता देख आवश्यक इलाज किया जाता है। इसके लिए बच्चों को आकोस्टिक मशीन भी दी जाती है। श्रवण श्रुति कार्यक्रम की शुरूआत सर्वप्रथम बोधगया प्रखंड से हुई थी। जिलाधिकारी की देखरेख में बोधगया प्रखंड के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर शून्य से 6 वर्ष तक के बच्चों का प्राथमिक अवस्था में हियरिंग लॉस की स्क्रीनिंग करने का निर्णय लिया गया था। इसमें हियरिंग लॉस बच्चे की पहचान कर उसे समुचित इलाज के लिए उच्च स्वास्थ्य संस्थान भी भेजा गया। विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के कर्मचारियों ओर आॅडियोलॉजिस्ट को आवश्यक निर्देश दिया गया था। साथ ही जिलाधिकारी ने लोगों से अपील किया है कि जहां पर भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप लगाई जाती है वहां पर अपने बच्चों को लाकर आवश्यक जांच करवाएं ताकि समय रहते इलाज करा सकें। इस कार्यक्रम की शुरुआत मोक्ष एवं ज्ञान की नगरी बोधगया से हुई है। इसी कड़ी में अब जिले के शेरघाटी, खिजरसराय, बेला में भी जांच कराया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *