झारखंड की राजनीति में कभी भी भड़क सकती है चिंगारी
हेमंत सोरेन को चार चौकड़ी से निजात पाना बड़ी चुनौती
रांचीः माइनिंग लीज और कोविड बम का मुद्दा झारखंड की राजनीति में भूचाल दिया है। लेकिन इससे अलग झारखंड की राजनीति में चार चौकड़ी की चुनौती भी कम नहीं है। आग सुलग रही है। धुंआ साफ दिखाई दे रहा है। यूं कहें कि चिंगारी कभी भी भड़क सकती है। खास बात तो यह है कि अपने ही लोग ही सीएम हेमंत को चुनौती दे रहे हैं। सत्ता के ईर्द-गिर्द रहने वाले चार चौकड़ी परेशानी का सबब बन चुके हैं। इस पर फिलहाल सभी ने चुप्पी साध रखी है। विपक्षी दल भाजपा भी इसे बखूबी भुना रही है।
पहली चुनौती झामुमो विधायक लोबिन ने दे डाली है। लोबिन हेम्ब्रम इस समय 1932 के खतियान के आधार पर झारखंड में स्थानीय नीति और तेस्थानीय नियोजन नीति लागू करने की मांग कर रहे हैं। तर्क है- यह झामुमो का चुनावी एजेंडा रहा है, मांग पूरी नहीं हुई तो जनता को क्षेत्र में क्या जवाब देंगे। संकल्प ले रखा है कि जबतक यह मांग पूरी नहीं हो जाती, घर नहीं जाएंगे। हेमंत सोरेन समझ नहीं पा रहे कि इनसे कैसे निपटा जाए।
दूसरी चुनौती अमित महतो ने दी है। कभी हेमंत सोरेन के करीबी रहे अमति महतो ने झामुमो से काफी दूरी बना ली है। उनका आरोप है कि जिन मुद्दों के आधार पर जनता ने झामुमो को इतना बड़ा जनादेश दिया, हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया, अब उसी मुद्दे पर हेमंत ने चुप्पी साध ली है। नाराज पूर्व विधायक अमित महतो ने खतियानी झारखंडी पार्टी का गठन लिया। अब इसी बैनर तले अपना आंदोलन चला रहे हैं। हर जगह कार्यक्रम आयोजित कर हेमंत सोरेन पर वादाखिलाफ का आरोप लगा रहे हैं।
तीसरी चुनौती सीता सोरेन ने दी है। उन्होंने स्पष्ट कहा भी है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है। सरकार भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं करती। सीता सोरेन के इस बयान ने हेमंत सोरेन की सरकार को असहज कर दिया। उनकी शिकायक पर केंद्र ने मामले को गंभीरता से लिया। जांच तक के आदेश जारी कर दिए गए।
चौथीा चुनौती स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने दे दी है। वे हेमंत सरकार के फैसलों और कार्यक्रम से वह नाखुश नजर आ रहे हैं। बन्ना गुप्ता ने अपनी पार्टी के अधिवेशन में साफ कह दिया कि हेमंत सोरेन कांग्रेस को झारखंड से साफ करने की कवायद में जुटे हैं। बन्ना गुप्ता के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहा हैं। बन्ना गुप्ता की यह नाराजगी जिला स्तरीय नियोजन में हिंदी और कई अन्य स्थानीय भाषाओं को हटाने को लेकर था।
खुद बन्ना नए विवाद में घिर गए
बन्ना गुप्ता एक नए विवाद में घिर गए हैं। जमशेदपुर पूर्व के विधायक सरयू राय ने उन पर आरोप लगाया है कि मंत्री ने खुद और कई चहेतों को कोरोना प्रोत्साहन राशि का लाभ दिला दिया है। सरयू राय के इस कोविड बम के बाद विपक्षी दल हेमंत सोरेन सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। एक तरह से देखा जाए तो बन्ना गुप्ता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए चुनौती बने हुए हैं।