परिवारवाद की राजनीतिक का अखाड़ा बन गया है संताल परगना, सत्ता की धुरी रहा है संताल परगना
रांचीः संताल परगना का क्षेत्र झारखंड की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखता है। इस क्षेत्र ने मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक दिए हैं। यूं कहें कि संतालपरगना सत्ता का केंद्र भी रहा है। यहीं से बगावत भी हुई। कई ने दल भी बदला। कामयाबी भी हासिल की। मौजूदा स्थिति में अगर झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम की बात करें तो लोबिन हेंब्रम के पुत्र अजय हेंब्रम भी पिता की विरासत को थामने के लिए तैयार है। नलिन सोरेन का बेटा आलोक सोरेन, सीता सोरेन की दोनों बेटियां जयश्री सोरेन और राजश्री सोरेन, सारठ से पूर्व विधायक शशांक शेखर भोक्ता के पुत्र शेखर भोक्ता अपने पिता के विरासत को थामने के लिए बेकरार नजर आ रहे हैं।
कुछ कदम बढ़ा चुके हैं कुछ बढ़ाने की तैयारी में
संताल में परिवार वाद की राजनीति या परिवार की विरासत को संभालने वाले की फेरहिस्त काफी लंबी है। स्वर्गीय साइमन मरांडी के पुत्र लिट्टीपाड़ा के विधायक दिनेश विलियम मरांडी हैं। स्वर्गीय हाजी हुसैन अंसारी के पुत्र हफीजुल अंसारी पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। राजमल सांसद विजय हांसदा को भी राजनीति विरासत में ही मिली है। उनके पिता स्वर्गीय थामस हांसदा कांग्रेस के सांसद हुआ करते थे। नलिन सोरेन की पत्नी जायस बेसरा फिलहाल दुमका जिला परिषद की अध्यक्ष पद पर काबिज हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अभी संताल परगना के बरहेट सीट से विधायक है। जब हेमंत पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब दुमका से विधायक चुने गए थे। वे भी अपने पिता का विरासत को संभाल रहे हैं।
दूसरे दल भी पीछे नहीं
बात करें कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के पिता हरिशंकर पत्रलेख की पहचान पुराने कांग्रेसी के तौर पर स्थापित है। खुद चुनाव लड़कर विधानसभा जाना चाहते थे लेकिन सफल नहीं हो पाए। अब बादल पिता के सपनों को साकार कर रहे हैं। पूर्व मंत्री व मधुपुर से विधायक चुने गए कांग्रेसी नेता कृष्णानंद झा के पिता पंडित विनोदानंद झा अखंड बिहार के दौर में मुख्यमंत्री बने थे । गोड्डा से सांसद रहे फुरकान अंसारी का बेटा डा.इरफान अभी जामताड़ा से कांग्रेस का विधायक है। कांग्रेस की महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह अपने ससुर अवधबिहारी सिंह की विरासत को संभाल रही हैं। गोड्डा के भाजपा विधायक अमित मंडल अपने पिता रघुनंदन मंडल की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव के भाई अजित महात्मा भी पोडैयाहट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली।